शारदा चिट फंड घोटाले में शुक्रवार (मई 23, 2019) को सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर अब तक लगी रोक की अवधि को आगे बढ़ाने की माँग पर सुनवाई करने से मना कर दिया। कोर्ट ने राजीव कुमार से कहा कि वो कोलकाता हाईकोर्ट जा सकते हैं, वहाँ छुट्टियाँ नहीं चल रही हैं इसलिए उनकी समस्या का समाधान वहीं हो सकता है।
Saradha chit fund scam: Supreme Court refuses to entertain the plea of former Kolkata Police Commissioner Rajeev Kumar, seeking protection from arrest by CBI till concerned jurisdictional court in West Bengal decides his anticipatory bail plea. pic.twitter.com/dLsQSZHZLV
— ANI (@ANI) May 24, 2019
गौरतलब है इससे पहले शारदा चिट फंड घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के क़रीबी राजीव कुमार को तगड़ा झटका दिया था। कोर्ट ने राजीव कुमार को गिरफ़्तार करने और हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर रोक संबंधी प्रोटेक्शन को वापस ले लिया था। शीर्ष अदालत ने उन्हें अग्रिम ज़मानत के लिए कोलकाता हाईकोर्ट का रुख़ करने के लिए 7 दिन का समय दिया था। अगर वे इन सात दिनों में हाईकोर्ट का रुख़ नहीं करते और उन्हें वहाँ से अग्रिम ज़मानत नहीं मिलती है तो सीबीआई सात दिन बाद उन्हें गिरफ़्तार कर सकती है। राजीव कुमार की गिरफ्तारी में छूट की अवधि 24 मई को खत्म हो रही है।
Supreme Court vacates interim protection given to former Kolkata Police Commissioner Rajeev Kumar from arrest by CBI over his alleged role in destroying evidence in Saradha chit fund case. Court gives seven days to Rajeev Kumar to seek legal remedies. pic.twitter.com/qw9uphvpdQ
— ANI (@ANI) May 17, 2019
ख़बर के अनुसार, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को सीबीआई को कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ पर पहले दी गई छूट को हटाने के लिए संतोषजनक सबूत पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सीबीआई को अदालत में वे सभी सबूत पेश करने होंगे जिससे इस घोटाले में राजीव कुमार की भूमिका साबित हो सके। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को राजीव कुमार की संलिप्तता ख़ासकर लैपटॉप के डेटा, मोबाइल फोन या डायरियों से जुड़े सबूत पेश के निर्देश भी दिए थे, जिसमें कथित रूप से सबूतों को नष्ट करने के लिए प्रभावशाली लोगों के भुगतान की जानकारी शामिल थी।