सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में संदेशखाली में जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न के मामले में सीबीआई जाँच पर रोक लगाने की माँग वाली याचिका को लेकर बंगाल सरकार की खूब किरकिरी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की संदेशखाली सम्बन्धित CBI जाँच को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा टिप्पणी की, “आखिर राज्य एक याचिकाकर्ता बन कर एक आदमी के हितों को बचाने के लिए क्यों आ रहा है?” यह टिप्पणी जस्टिस बी आर गवई ने की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गर्मी को छुट्टियों के बाद सुनने का निर्णय किया है। सुप्रीम कोर्ट से बंगाल सरकार ने अपील की थी कि इसे बाद में सुना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका के लंबित होने का फायदा किसी और मामले में नहीं उठाया जाएगा। इस बात को लेकर बंगाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने रजामंदी दी।
सुप्रीम कोर्ट में बंगाल सरकार ने संदेशखाली मामले में CBI जाँच को रोकने की माँग की थी। इसको लेकर एक याचिका लगाई गई थी। बंगाल सरकार ने यह याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध डाली थी, हाई कोर्ट ने संदेशखाली में जमीन हडपने और यौन शोषण के आरोपों की जाँच CBI को करने का आदेश दिया था।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली में जमीन हड़पने और यौन शोषण के आरोपों को लेकर जाँच के निष्पक्ष हो, इसके लिए बंगाल सरकार को CBI को सहयोग देने को कहा था। इसके बाद संदेशखाली मामले की जाँच राज्य पुलिस के हाथों से CBI के पास आ गई थी।
गौरतलब है कि जनवरी 2024 में प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम संदेशखाली में स्थानीय तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता शाहजहाँ शेख से पूछताछ करने गई थी। यह पूछताछ राशन घोटाला मामले में होनी थी। इस टीम पर शाहजहाँ के गुंडों ने हमला कर दिया था। इस हमले में कई अधिकारी घायल हो गए थे।
इसके एक माह बाद संदेशखाली की पूरी सच्चाई बाहर आनी चालू हुई थी। संदेशखाली की महिलाओं ने बताया था कि शाहजहाँ शेख और उसके आदमी महिलाओं का यौन शोषण करते थे। इसके अलावा शाहजहाँ शेख ने यहाँ के कई लोगों की जमीन हथियाई हुई थी।
वह उनकी जमीन पर मछली पालता था। लोगों को जमीन का ना उचित पैसा दिया गया था और ना ही उन्हें मजदूरी मिलती थी। अपना पैसा माँगने पर लोगों को मारने की धमकी मिलती थी। यह पूरा मामला सामने आने के बाद शाहजहाँ शेख को गिरफ्तार कर लिया गया था।