भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जाँच की निगरानी करने से अब इनकार कर दिया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (26 जुलाई 2021) को सीबीआई को कहा कि वो इसरो मामले में जाँच पूरी कर कानून के मुताबिक कार्रवाई करें। अदालत ने कहा कि ये जाँच और कानूनी कार्रवाई CBI की एफआईआर और जाँच के आधार पर होनी चाहिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपित की ओर से पेश हुए एक वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले में गठित जस्टिस डीके जैन समिति की रिपोर्ट उनके साथ साझा की जाए। इस पर जस्टिस एएम खानविलकर और संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, ”रिपोर्ट केवल एक प्रारंभिक जानकारी है। वे (सीबीआई) केवल रिपोर्ट के आधार पर आपके (आरोपित) के खिलाफ आगे नहीं बढ़ सकते हैं। उन्हें जाँच करनी है, तथ्य जुटाने हैं और फिर कानून के अनुसार आगे बढ़ना है। अंतत: इस मामले की जाँच की जाएगी। रिपोर्ट आपके अभियोजन का आधार नहीं हो सकती है।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में रिपोर्ट का सार है। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है, लेकिन इसे वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है। इस पर मेहता ने कहा कि मामले में दर्ज प्राथमिकी संबंधित अदालत में दायर की गई है और अगर अदालत अनुमति देती है तो इसे वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2021 को केरल के वैज्ञानिक नम्बी नारायणन पर साल 1994 में लगे देशद्रोह के आरोप और उसके बाद हुई उनकी प्रताड़ना के मामले में CBI जाँच के आदेश दिए थे। अदालत ने माना था कि वरिष्ठ वैज्ञानिक की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाया गया और उनके मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिरासत में लिए जाने के बाद उन्हें जिस ‘कुटिल घृणा’ का सामना करना पड़ा, उसके लिए केरल के बड़े पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे। अब इस मामले की जाँच CBI करेगी।
बता दें कि 1996-97 में CBI ने पाया था कि इस मामले की जाँच करने वाले केरल पुलिस के अधिकारियों ने ही सारी गड़बड़ी की है। CBI ने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी केरल सरकार को शिकायती पत्र भी लिखा था। CPI (M) के ईके नायनार तब केरल के मुख्यमंत्री थे। वामपंथी सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के इंतजार का बहाना बनाया।