Thursday, December 5, 2024
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केरल के जिस मंदिर में नहीं कोई गर्भ गृह या मूर्ति, उसके संरक्षण के लिए चिंतित हुआ सुप्रीम कोर्ट: कहा- ये अद्वितीय, इन्हें बचाना जरूरी

यह पूरा मामला केरल के ओअचिरा मंदिर से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। यह देश में अकेला अपनी तरह का मंदिर है। इसमें ना ही कोई गर्भगृह है और ना ही कोई मूर्ति। इस मंदिर में परमब्रह्म की पूजा होती है। मंदिर के अंतर्गत कई अस्पताल और कॉलेज चलते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में CJI संजीव खन्ना की बेंच ने कहा है कि मंदिरों और उनसे जुड़ी संपत्तियों का सावधानी से संरक्षण करना जरूरी है। उन्होंने यह टिप्पणी केरल के एक मंदिर में प्रबन्धन को लेकर चल रहे विवाद की सुनवाई के दौरान दी। CJI संजीव खन्ना की बेंच ने मंदिर के कुशल प्रशासन और चुनाव के लिए एक रिटायर्ड जज की प्रशासक के तौर पर नियुक्ति भी कर दी।

मंगलवार (3 दिसम्बर, 2024) को इस मामले की सुनवाई CJI संजीव खन्ना, जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस संजय कुमार वाली बेंच ने की। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबन्धन करने वाली कमिटी के चुनाव के लिए केरल हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को प्रशासक नियुक्त किया।

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पुराने और अद्वितीय होने के तथ्य को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कहा, “मंदिर और उसकी संपत्तियों को अत्यंत सावधानी से संरक्षित और सुरक्षित करना जरूरी है।” सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में 4 माह के भीतर चुनाव करवाने को भी कहा है।

क्या है मामला?

यह पूरा मामला केरल के ओअचिरा मंदिर से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। यह देश में अकेला अपनी तरह का मंदिर है। इसमें ना ही कोई गर्भगृह है और ना ही कोई मूर्ति। इस मंदिर में परमब्रह्म की पूजा होती है। मंदिर के अंतर्गत कई अस्पताल और कॉलेज चलते हैं।

इसी मंदिर के प्रबन्धन को लेकर विवाद है। मंदिर के नियमों के तहत इसे तीन स्तर पर अलग-अलग कमेटियाँ नियंत्रित करती हैं। मंदिर के प्रबन्धन को लकर 2006 में निचली अदालत में एक केस दायर किया गया था। निचली अदालत ने कहा था कि सभी पक्ष मंदिर प्रबन्धन के लिए एक योजना प्रस्तुत करें और जब तक ऐसा ना हो तब पुराने नियम से मंदिर चले।

निचली अदालत के इस फैसले के विरुद्ध मंदिर के वंशानुगत सदस्य हाई कोर्ट पहुँच गए। उन्होंने हाई कोर्ट से माँग की कि उनके रोल और अधिकार तय किए जाएँ। इसके बाद हाई कोर्ट ने 2010 में एक प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी, हालाँकि उसे कोई अधिकार नहीं दिए गए थे।

हाई कोर्ट ने इसके बाद निचली अदालत को मंदिर प्रबन्धन के लिए योजना बनाने का आदेश दिया था और केरल हाई कोर्ट के ही एक रिटायर्ड जज को मंदिर के प्रशासक के तौर पर नियुक्त कर दिया था। मंदिर की तीनों समितियों को उनकी अनुमति से ही काम करना था।

इसके बाद 2017 में इस मंदिर का रोजमर्रा का काम संभालने वाली समिति का चुनाव हुआ था। इस समिति को हाई कोर्ट ने ही एक आदेश के जरिए 2022 में भंग कर दिया था और दूसरी समिति बना दी थी। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ था। इसके खिलाफ चुने हुए दो प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद पूरा मामला सुना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक और कथित कार्यकारी समिति द्वारा मंदिर और उससे जुड़े संस्थानों के प्रशासन और प्रबंधन पर गंभीर विवाद है।” सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के अद्वितीय होने को देखते हुए केरल हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज K रामाकृष्णन को नया प्रशासक नियुक्त कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रशासक रामाकृष्णन 4 महीने के भीतर चुनाव करवाएँगे और मंदिर का प्रशासन निष्पक्ष तरीके से करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2 लोगों की नियुक्ति देने का भी अधिकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि मंदिर से जुड़े सभी लोग नए प्रशासक की सहायता करें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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