सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को राम भरोसे बताते हुए सरकार को युद्ध स्तर पर मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को आदेश देते वक्त उसके अमल की संभावनाओं के बारे में भी सोचना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट की वैकेशन बेंच के जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई ने कहा कि हाई कोर्ट को ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए, जिन पर अमल करना मुश्किल हो और जिनका राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव हो।
सर्वोच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। मेहता ने हाईकोर्ट के आदेश को अच्छी नीयत से दिया गया आदेश बताया। साथ ही कहा कि इसे लागू कर पाना काफी मुश्किल है।
आदेश देते वक्त उसकी व्यवहारिकता पर भी विचार करें
सर्वोच्च न्यायालय ने इलाबाद हाई कोर्ट के प्रदेश के सभी नर्सिंग होम्स में ऑक्सीजन बेड्स अनिवार्य करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि न्यायालयों को कोई भी फैसला सुनाते वक्त उसकी व्यवहारिकता पर भी विचार करना चाहिए। ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए, जिन पर अमल करना मुश्किल हो। दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि प्रदेश में 97,000 गाँव हैं। ऐसे में आदेश को लागू करवा पाना संभव नहीं है।
वहीं प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को राम भरोसे बताने वाले हाई कोर्ट के बयान पर तुषार मेहता का कहना था कि ऐसी टिप्पणियाँ लोगों को चिंतित करने के साथ ही कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स के मनोबल को तोड़ती हैं। तुषार मेहता ने तर्क दिया कि वो कोर्ट की चिंता समझते हैं, लेकिन उन्हें भी धैर्य रखना चाहिए।
तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से हाई कोर्ट में कोरोना के सभी मामलों की सुनवाई को कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव की पीठ को ट्रांसफर करने की भी माँग की थी, हालाँकि उसे ठुकरा दिया गया।
हाई कोर्ट ने क्या निर्देश दिया था?
उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते केस को लेकर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने 17 मई 2021 को दिए अपने निर्देश में सरकार को ग्रामीण आबादी में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने को कहा था। कोर्ट ने गाँवों में जाँच बढ़ाने का निर्देश दिया था। टीकाकरण के लिए कोर्ट ने सुझाव दिया था कि दान देकर इनकम टैक्स में छूट लेने वाले व्यापारियों को टीके के लिए दान करने के लिए कहा जा सकता है।
हाईकोर्ट ने 20 बेड वाले नर्सिंग होम के 40 फीसदी बेड्स को आईसीयू में बदलने को कहा था, जिसमें 25 प्रतिशत बेड्स पर वेंटिलिटर, 50 फीसदी में बाइपेप मशीन और 25 फीसदी पर हाई फ्लो नेजल कैनुला की सुविधा हो।
इसके अलावा 30 बेड्स वाले नर्सिंग होम में खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्देश दिया था। गाँवों में आईसीयू वाली 2 एंबुलेंस रखने का कहा गया था।