सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (3 मई, 2024) को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रोड प्रदर्शनकारियों से खाली करवाने सम्बन्धी एक फैसले पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने अप्रैल माह में मोहाली-चंडीगढ़ रोड को रोक कर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने का आदेश चंडीगढ़ और पंजाब को दिया था।
लाइव लॉ के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस निर्णय पर रोक लगाने के साथ ही इस मामले में नोटिस जारी किया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई, सतीश चंद शर्मा और संदीप मेहता की बेंच ने की और निर्णय पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई।
गौरतलब है कि अप्रैल में हुई एक सुनवाई में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रदर्शनकारियों के रोड जाम करने को लेकर पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को लताड़ लगाई थी। हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस लापिता बैनर्जी की बेंच ने कहा था कि कई मौकों के बाद भी पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन ने रोजाना इस सड़क पर चलने वाले लोगों को कोई राहत नहीं पहुँचाई।
कोर्ट ने कहा था कि कुछ प्रदर्शनकारी यहाँ अपने साथ गुरु ग्रंथ साहिब लेकर बैठते हैं, यह कोई कारण नहीं हो सकता कि इन लोगों के खिलाफ पंजाब सरकार कार्रवाई ना करे। हाई कोर्ट ने कहा था, “केवल इस बात के आधार पर कि कुछ प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर धार्मिक भावनाओं का सहारा ले रहे हैं और इसे ढाल बना रहे हैं, इससे पंजाब को यह बहाना नहीं मिल जाता कि वह इन धर्म की आड़ लेने वालों पर कार्रवाई ना करे।”
कोर्ट ने यह टिप्पणियाँ एक याचिका की सुनवाई के दौरान की थी। यह याचिका के NGO द्वारा दायर की गई थी। इसने इन प्रदर्शनकारियों के हटाए जाने की माँग की थी। याचिका में कहा गया था कि इस धरना प्रदर्शन की वजह से रोजाना के यात्रियों को बड़ी समस्याएँ झेलनी पड़ रही थीं। कोर्ट ने इस दौरान इस बात का उल्लेख किया था कि उसने पिछली सुनवाई में पंजाब के डीजीपी तक को बुलाया था और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि को प्रदर्शनकारी यहाँ ना रुके। कोर्ट ने कहा कि पंजाब और चंडीगढ़ मिलकर इस मामले में देरी कर रहे हैं।
इस मामले में दाखिल की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि यह प्रदर्शन जनवरी 2023 से चल रहा है, जिससे स्कूली बच्चों और आमजन, दोनों को असुविधा हो रही है। प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार से बेअदबी के मामलों में सख्त सजा और कुछ सिख कैदियों जिन्हें बंदी सिख के नाम से भी जाना जाता है, की जल्द रिहाई की माँग कर रहे हैं। इन बंदी सिखों में 1993 दिल्ली बम विस्फोट का दोषी देविंदरपाल सिंह भुल्लर और पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह का हत्यारा कैदी बलवंत सिंह राजोआना शामिल हैं।