सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के नागरिकों को मिल रहे आरक्षण (EWS) को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस यूयू ललित के नेतृत्व में 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने 3:2 से संविधान के 103वें संशोधन के पक्ष में फैसला सुनाया। दूसरी ओर कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट को ‘जातिवादी’ करार दिया।
CJI UU Lalit agreed with Justice S Ravindra Bhat & gave a dissent judgement
— ANI (@ANI) November 7, 2022
Five-judge Constitution bench by a majority of 3:2 upholds the validity of Constitution’s 103rd Amendment Act which provides 10% EWS reservation in educational institutions and government jobs pic.twitter.com/OwGygzSTpP
हालाँकि, खुद चीफ जस्टिस EWS आरक्षण के खिलाफ थे और उनका साथ जस्टिस रविन्द्र भट्ट ने दिया। उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का सोमवार (7 नवंबर, 2022) को आखिरी कार्य दिवस भी है। उनका कहना था कि SC/ST वर्ग को इससे बाहर नहीं रखा जा सकता है। जिस अधिनियम की वैधता पर सुनवाई हो वही थी, वो शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह अब बरकरार रहेगा।
वहीं जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने EWS आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया। तीन जजों ने कहा यह संशोधन संविधान के मूल भावना के खिलाफ नहीं है। जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS कोटे पर अलग रुख अपनाया है। जस्टिस भट्ट ने कहा कि संविधान सामाजिक न्याय के साथ छेड़छाड़ की अनुमति नहीं देता है। जस्टिस भट्ट ने कहा आरक्षण की सीमा पार करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उनका मानना है कि आरक्षण देना गलत नहीं है, लेकिन EWS आरक्षण एससी-एसटी और ओबीसी के लोगों को भी मिलना चाहिए।
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS कोटा को सही बताया और कहा कि वो जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस त्रिवेदी के फैसले के साथ हैं। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने अपने फैसले में कहा कि एससी-एसटी और ओबीसी को तो पहले से ही आरक्षण मिला हुआ है, इसलिए EWS आरक्षण को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता है। वहीं जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संविधान की मूल भावना के खिलाफ नहीं है।
फैसले के बाद इसका स्वागत और विरोध करते कई तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रहीं हैं। कॉन्ग्रेस नेता उदित राज ने धड़ाधड़ ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट को ही जातिवादी बता दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक! EWS आरक्षण की बात आई तो कैसे पलटी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्यता नहीं है, लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% की सीमा का हवाला दिया जाता रहा।”
सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक! EWS आरक्षण की बात आई तो कैसे पलटी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्यता नही है लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% की सीमा का हवाला दिया जाता रहा।
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) November 7, 2022
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि वो गरीब सवर्णों के आरक्षण के विरुद्ध नहीं हैं, बल्कि उस मानसिकता के हैं कि जब जब SC/ST/OBC का मामला आया तो हमेशा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% सीमा पार नहीं की जा सकती।
मैं गरीब सवर्णों के आरक्षण के विरुद्ध नही हूं बल्कि उस मानसिकता का हूं कि जब जब SC/ST/OBC का मामला आया तो हमेशा SC ने कहा कि इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% सीमा पार नही की जा सकती।
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) November 7, 2022
ईडब्ल्यूएस कोटे की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले में कई याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने पांच अगस्त, 2020 को इस मामले को संविधान पीठ को भेज दिया था।