Saturday, November 23, 2024
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इधर कोरोना की दूसरी लहर का खौफ, उधर 1 साल बाद फिर से खुला निजामुद्दीन का मरकज: पढ़ी गई शब-ए-बारात की नमाज

तबलीगी जमात का कहना है कि मरकज का खुलना अच्छा कदम है लेकिन सभी को अंदर जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। जमातियों ने कहा कि हम कोरोना दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे, लेकिन अन्य जगहों पर भी ऐसा हो।

2020 में भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का विस्फोट दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज से किस तरह से हुआ था, ये लोगों के जेहन में अब भी ताज़ा है। सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर के हजारों लोग मजहबी गतिविधियों में लिप्त थे और मीडिया का एक वर्ग इनके महिमामंडन में लगा था। अब 1 साल बाद मरकज की इमारत फिर से खुली है और वहाँ नमाज जैसे मजहबी कार्यक्रम शुरू हो गए हैं।

पिछले साल यहाँ से जमाती भाग कर देश के कई मुस्लिम बहुल इलाकों में छिप गए थे और पुलिस जब उन्हें खोजने जाती थी तो पुलिसकर्मियों व मेडिकल टीम पर हमले किए जाते थे। रविवार (मार्च 28, 2021) को शब-ए-बरात के मौके पर मरकज का दरवाजा खोला गया। हालाँकि, इस बार पुलिस-प्रशासन ज्यादा सतर्क था और बड़ी संख्या में जवानों को तैनात किया गया था। पहले से अनुमति लिए हुए सिर्फ 50 लोगों को ही भीतर जाने दिया गया।

इन सभी लोगों को स्थानीय थाने से अनुमति लेनी पड़ी थी। 6 मंजिला इमारत में घुसने से पहले सभी के आईडी कार्ड्स चेक किए गए। दिल्ली हाईकोर्ट से केंद्र सरकार ने कहा था कि वक़्फ़ बोर्ड के 50 लोग ही भीतर जाकर नमाज पढ़ सकते हैं। तबलीगी जमात का कहना है कि मरकज का खुलना अच्छा कदम है लेकिन सभी को अंदर जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। जमातियों ने कहा कि हम कोरोना दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे, लेकिन अन्य जगहों पर भी ऐसा हो।

जमातियों ने कहा कि उनलोगों को पिछले साल ‘कोरोना मानव बम’ बना दिया गया था, जबकि सच्चाई ये थी कि जिस तरह अन्य जगहों पर लोग फँसे हुए थे उसी तरह वो लोग भी मरकज में फँस गए थे। दिल्ली हाईकोर्टट ने शब-ए-बरात और रमज़ान को देखते हुए इसे खोलने की अनुमति दी है। सभी 50 लोगों के नाम और पता पुलिस थाने में जमा हैं, जहाँ से थाना प्रभारी द्वारा उन्हें अनुमति पत्र जारी किया गया।

वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अदालत में कहा था कि 13 अप्रैल से शुरू होने वाले रमजान के पवित्र महीने से पहले इस मामले में फैसला किया जाए, क्योंकि उस दौरान और ज्यादा लोग मस्जिद में नमाज अदा करना चाहते हैं। अदालत ने मामले को 12 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। मस्जिद बंगले वाली, मदरसा काशिफ-उल-उलूम और छात्रावास सहित मरकज के कई हिस्से हैं। वक़्फ़ का कहना है कि वे सिर्फ मस्जिद को खोलना चाहते हैं, बाकी के बंद रहने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं।

पिछले महीने ही उत्तर प्रदेश में कोरोना प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन करते हुए पकड़े गए तबलीगी जमात के मरकज़ में शामिल 49 विदेशी नागरिकों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, जिसके बाद सुनवाई के दौरान यूपी कोर्ट ने इन्हें जेल में बिताई अवधि के कारावास और 1500 रुपए के जुर्माने से दंडित किया था। सुनवाई में अभियुक्तों ने भी स्वीकारा कि कोविड-19 महामारी एक असामान्य परिस्थिति थी। वे सभी विदेशी हैं जो टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे। 

गौरतलब है देश में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर आशंका जताई जा रही है। महाराष्ट्र, केरल, पंजाब जैसे कुछ राज्यों में हालात ज्यादा खराब हैं। महाराष्ट्र में रविवार को 40,414 नए मामले सामने आने के बाद एक बार फिर लॉकडाउन के आसार ​जताए जा रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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