तमिलाडु के अंबुर में आयोजित बिरयानी उत्सव में बीफ को शामिल नहीं करने को लेकर विवाद के महीनों बाद राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने सख्त हिदायत दी है। आयोग ने कहा कि सरकारी कार्यक्रम में बीफ बिरयानी को नजरअंदाज करना ‘भेदभाव’ के बराबर है। आदि द्रविड़ और अनुसूचित जनजाति के लिए आयोग ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि सरकारी कार्यक्रमों में इस तरह का पक्षपात नहीं होना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने बताया कि उनसे स्थानीय विदुथलाई चिरुथईगल काची (वीसीके) श्रमिक मोर्चा के प्रतिनिधियों ने मिलकर आरोप लगाया था कि इस आयोजन में ‘बीफ बिरयानी’ को शामिल न करना अंबुर और उसके आसपास रहने वाली एक महत्वपूर्ण अनुसूचित जाति की आबादी के खिलाफ ‘खाद्य भेदभाव’ है।
ANI की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने सोमवार (1 अगस्त, 2022) को जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि जिला कलेक्टर ने घोषणा की थी कि ‘खाद्य उत्सव’ में ‘बीफ बिरयानी’ को शामिल नहीं किया जाएगा। मई में ‘अंबूर बिरयानी थिरुविझा 2022’ का आयोजन प्रस्तावित था जिसका मकसद यहाँ से लगभग 186 किलोमीटर दूर अंबुर के लोकप्रिय व्यंजन के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) हासिल करना था। हालाँकि, तब जिला प्रशासन ने बारिश के पूर्वानुमान का हवाला देते हुए विवाद होने पर इस आयोजन को टाल दिया था।
वहीं इस पूरे मामले में तमिलनाडु अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने तिरुपथुर के कलेक्टर अमर कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि उनकी घोषणा अंबूर क्षेत्र के दो लाख अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्यों के खिलाफ ‘आधिकारिक भेदभाव’ है। आयोग ने कलेक्टर से पूछा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
जबकि कार्यक्रम को स्थगित करने के बाद कलेक्टर ने अपने जवाब में कहा कि आयोग की कार्रवाई उन पर लागू नहीं होगी, क्योंकि ‘अंबूर बिरयानी थिरुविझा 2022’ कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था। वहीं आयोग के नोटिस के जवाब में अधिकारी ने दावा किया कि बिरयानी में सूअर के मांस का इस्तेमाल नहीं किया गया था, जो दरअसल ‘स्थानीय मुसलमानों का समर्थन हासिल करने’ के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।