तमिलनाडु (Tamil Nadu) में मंदिरों के कंट्रोल को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। इस बीच मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने शुक्रवार (25 फरवरी 2022) को भक्त और कार्यकर्ता रंगराजन नरसिम्हन के खिलाफ दायर मानहानि के दो मामलों को खारिज कर दिया। नरसिम्हन ने श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर का प्रबंधन देखने वाले अधिकारियों पर कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए हजारों मंदिरों के हालातों पर सवाल उठाया था।
हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने भारत में मंदिरों को फिर से पुनर्जीवित करने की जरूरत पर बल देते हुए बात करते हुए सवाल किया कि क्या हिंदू मंदिरों का प्रशासन सरकार के अधीन रहना चाहिए।
दरअसल, नरसिम्हन ने श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर में कुप्रबंधन की तरफ इशारा करते हुए सोशल मीडिया पर हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआरसीई) के आयुक्त और मंदिर के न्यासी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष के कई अवैध कार्यों का भंडाफोड़ किया था। हालाँकि, अधिकारियों ने इन आरोपों को नकारते हुए मंदिर प्रबंधन और उसके ट्रस्टियों को बदनाम करने का आरोप लगाकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।
हिंदू मंदिरों के हालातों पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने सरकारों को आइना दिखाया और कहा कि खुद को सेक्युलर बताने वाली सरकारों को धार्मिक संस्थानों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने सवाल किया, “क्या टीआर रमेश जैसे जानकार और जिम्मेदार कार्यकर्ता का यह तर्क देना उचित नहीं है कि सरकार को मंदिरों पर उसी स्तर का नियंत्रण रखना चाहिए जैसा कि चर्चों और मस्जिदों पर है?”
मंदिरों की भूमि है तमिलनाडु
हाईकोर्ट की बेंच ने तमिलनाडु को मंदिरों की भूमि बताते हुए कहा, “मंदिरों ने हमारी संस्कृति में एक केंद्रीय भूमिका निभाई है, लेकिन मौजूदा समय में इनकी हालत ये है कि कई वांछित चीजों को छोड़ दिया गया है। इनके भरण-पोषण के लिए दी गई जमीन को निजी स्वार्थों के लिए कब्जा कर लिया गया। देश की प्राचीन मूर्तियों की चोरी कर उसकी तस्करी विदेशों में की गई। मंदिर के पुजारी को मामूली सी पेमेंट दी जाती है। प्रदेश के हजारों मंदिरों को उपेक्षा का शिकार बना दिया गया है। उन मंदिरों में पूजा तक नहीं होती। एक बार फिर से इन मंदिरों के गौरव को लौटाने की जरूरत है और इसके लिए कुछ करने की जरूरत है।”
गौरतलब है कि कार्यकर्ता नरसिम्हन के खिलाफ दो केस दर्ज कराए गए थे। इनमें से समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के मामले को लेकर धारा 505 (2) के तहत और दूसरा आईटी एक्ट की धारा 45 के तहत केस दर्ज किया गया था। इस मसले पर बेंच ने कहा कि मंदिर ट्रस्ट और एचआरसीई को बेनकाब करने के कारण भक्तों को निशाना बनाने के लिए ये केस दर्ज किए गए थे।