केरल में काजू उद्योग डूब रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इस उद्योग को भारी नुक़सान झेलना पड़ा है। कहा जा रहा है कि केरल में पिछले 5 सालों में काजू से सम्बंधित 800 से भी अधिक उद्योग या तो बंद हो चुके हैं या बंद होने वाले हैं। यह केरल स्टेट कैश्यु डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के चिंता का सबब बना हुआ है। ऐसी संकट की घड़ी में केरल की वामपंथी सरकार ने तिरुपति बालाजी से केरल के काजू उद्योग को बचाने की गुहार लगाई है। इस सम्बन्ध में केरल की सरकार ने आंध्र प्रदेश की सरकार के साथ एक पैक्ट पर भी हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया है।
आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर विश्व के भव्य मंदिरों में से एक है और यहाँ प्रसाद के रूप में बड़ी मात्रा में लड्डू बनाए जाते हैं। प्रतिदिन बनाए जाने वाले प्रसाद के लिए 3,000 किलो काजू की रोज ज़रूरत पड़ती है। यानी तिरुपति बालाजी के लड्डू प्रसादम् के लिए मंदिर को प्रतिदिन 3 टन काजू की आवश्यकता होती है। इस हिसाब से महीने में मंदिर को 90 टन काजू की ज़रूरत पड़ती है और पूरे साल में 1,000 टन काजू की ख़रीददारी की जाती है।
अब तिरुपति बालाजी मंदिर केरल के काजू उद्योग के लिए नया जीवन बन कर आएगा। आंध्र प्रदेश और केरल की सरकारों के बीच करार होने के बाद वेंकटेश्वर तिरुपति मंदिर सालाना केरल के काजू उद्योग से 1,000 टन काजू ख़रीदेगा। केरल के काजू कॉर्पोरेशन ने भी तिरुपति बालाजी मंदिर के कारण अब राहत की साँस ली है। यह जानने लायक बात है कि काजू उत्पादन के मामले में भारत विश्व का सबसे अग्रणी देश है और दुनिया का 45% काजू यहीं उगाया जाता है।
केरल सरकार ने जानकारी दी है कि तिरुपति बालाजी मंदिर जल्द ही 70 करोड़ रुपए के काजू ख़रीदेगी। कॉर्पोरेशन में 12 हज़ार लोग हैं, जिनकी आजीविका सीधे काजू उद्योग से जुड़ी है। हर महीने 6 करोड़ रुपए का नुकसान झेल रहा कॉर्पोरेशन अगर प्रति महीने 90 टन काजू तिरुपति बालाजी को सप्लाई करता है तो केरल का काजू उद्योग फिर से पटरी पर आ जाएगा। केरल के कई कर्मचारियों और किसानों की आय काजू उद्योग पर निर्भर है।
The temple requires an average of 3,000 kg of cashew nuts daily for the laddus, and once the agreement is signed, Kerala will begin supplying over 90 tonnes of cashew nuts every month and at least 1,000 tonnes in a year https://t.co/7krD6rhdxT
— Vignesh (@vmvignesh) September 19, 2019
केरल में 3 लाख से भी अधिक लोग काजू की प्रोसेसिंग से जुड़े हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएँ हैं। आंध्र सरकार से करार पर मुहर के बाद केरल काजू कॉर्पोरेशन के 12 हज़ार कमचारियों की नौकरी भी सुरक्षित हो जाएगी। केरल के कोल्लम को कभी काजू उद्योग की वैश्विक राजधानी माना जाता था। यहाँ काजू उद्योग से आने वाले रुपयों से लाइब्रेरी से लेकर होटल तक बने। इतना ही नहीं, दादा साहब फाल्के अवॉर्ड जीतने वाले निर्देशक अडूर गोपालकृष्णन भी इसी उद्योग की वजह से फ़िल्में बना पाए।
केरल में काजू उद्योग से सम्बंधित 173 ऐसी फैक्ट्रियाँ हैं, जो क़र्ज़ में डूबी हुई हैं और उन्हें एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) घोषित किया जा चुका है। केरल की सरकार भी काजू उद्योग को वापस पटरी पर लाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रही है।