Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजदिल्ली दंगों के दौरान मुस्लिमों को भड़काने वाला संगठन 'किसान' प्रदर्शनकारियों को पहुँचा रहा...

दिल्ली दंगों के दौरान मुस्लिमों को भड़काने वाला संगठन ‘किसान’ प्रदर्शनकारियों को पहुँचा रहा भोजन: 25 मस्जिद काम में लगे

UAH की पूरी कोशिश है कि दिल्ली पहुँचे 'किसान' आंदोलनकारी ज्यादा से ज्यादा दिनों तक यहाँ रहें और लंबे समय तक हंगामा करें। इसलिए, उसने दिल्ली की 25 मस्जिदों के साथ मिल कर आंदोलनकारियों को न सिर्फ खाने-पीने की चीजें, बल्कि रहने के लिए जगह भी मुहैया कराने का जिम्मा उठा लिया है।

पंजाब में कथित किसान आंदोलन को लेकर देश भर में बहस चल रही है। खालिस्तानी संगठनों के साथ-साथ ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH)’ संगठन के भी इसमें शामिल होने और इसे समर्थन देने के आरोप हैं। ये वही इस्लामी संगठन है, जिस पर दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में शामिल होने के भी आरोप हैं। UAH ने किसान आंदोलनकारियों को भोजन व अन्य चीजें पहुँचाने का जिम्मा उठा रखा है।

UAH की पूरी कोशिश है कि दिल्ली पहुँचे ‘किसान’ आंदोलनकारी ज्यादा से ज्यादा दिनों तक यहाँ रहें और लंबे समय तक हंगामा करें। इसलिए, उसने दिल्ली की 25 मस्जिदों के साथ मिल कर आंदोलनकारियों को न सिर्फ खाने-पीने की चीजें, बल्कि रहने के लिए जगह भी मुहैया कराने का जिम्मा उठा लिया है। UAH के मुखिया नदीम खान ने कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों को मदद पहुँचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि 4 किचन पूरे 24 घंटे चलाए जा रहे हैं, ताकि आंदोलनकारियों को भोजन मुहैया कराया जा सके। हौज खास, रोहतक, ओखला और ओल्ड दिल्ली में ये किचन स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन 4 जगहों के अलावा आंदोलनकारियों को उनकी माँग के हिसाब से पार्सल भी पहुँचाए जा रहे हैं। गाड़ियों का इस्तेमाल कर भोजन पैकेट्स आंदोलनकारियों तक पहुँचाया जा रहा है।

UAH की स्थापना खालिद सैफी ने की थी। वो एक इस्लामी कट्टरपंथी है, जिस पर दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों के दौरान मुस्लिमों को भड़काने के आरोप हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में इस दंगे पर बोलते हुए इस संगठन का नाम लिया था। उन्होंने कहा था कि कैसे UAH ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे से पहले सड़कों को जाम करने की बात की थी। उसे गिरफ्तार कर उस पर UAPA भी लगाया गया था।

सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें भी वायरल हुई थीं, जिसमें खालिद सैफी दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, रवीश कुमार से लेकर JNU के छात्र नेता कन्हैया कुमार के साथ देखा गया था। इनमें खालिद सैफी को वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ की आरफा खानम, धान को गेहूँ बताने वाले यूट्यूबर अभिसार शर्मा, राजदीप सरदेसाई और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के साथ देखा गया था।

UAH ग्रुप का व्हाट्सप्प स्क्रीनशॉट वायरल हुआ था

UAH का एक व्हाट्सप्प ग्रुप भी था, जिसमें कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों और विदेश से फंड्स पाने वाले NGO के साथ संबंधों के बारे में पता चला था। इस ग्रुप के एक स्क्रीनशॉट में निकिता चतुर्वेदी नाम की एक महिला ‘खालिद भाई, उमर और नदीम भाई’ का नाम लेती हैं, जिसके जवाब में लिखा जाता है कि ये तीनों प्रदर्शन में आ रहे हैं। निकिता फिर लिखती हैं कि लोग आपका इंतजार कर रहे हैं। अब दिल्ली दंगों का आरोपित संगठन UAH ‘किसान’ आंदोलन को हवा दे रहा है।

यही नदीम खान अब आंदोलनकारियों के लिए सारी व्यवस्थाएँ कर रहा है। CAA विरोधी उपद्रव के दौरान UAH के एक कार्यक्रम में योगेंद्र यादव और शरजील इमाम जैसे विवादित चेहरों ने लोगों को सम्बोधित किया गया था। अब फिर से वही ‘सिख-मुस्लिम एकता’ की बातें की जा रही है। एक सिख व्यक्ति ने CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को लंगर खिलाया था, तब भी ये प्रोपेगेंडा चलाया गया था। बाद में पता चला कि वो AIMIM का नेता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘भंगी’, ‘नीच’, ‘भिखारी’ जातिसूचक नहीं, राजस्थान हाई कोर्ट ने SC/ST ऐक्ट हटाया: कहा- लोक सेवकों की जाति के बारे में अनजान थे आरोपित, कोई...

राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि 'भंगी', 'नीच', 'भिखारी', 'मंगनी' आदि किसी जाति के नाम नहीं है।

UPPSC अब कैसे लेगा RO-ARO और PCS की परीक्षा, पुराने पैटर्न को मंजूरी देने के बाद कैसे होगा एग्जाम, क्या होगी नई तारीख: जानें...

आयोग के प्री परीक्षा को एक दिन में करवाने पर सहमत होने और RO/ARO को लेकर विचार करने के बाद भी अभ्यर्थी प्रयागराज से नहीं हिल रहे हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -