मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि किसी पुरुष का अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाना मैरिटल रेप की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शादी के बाद की स्थिति में पत्नी की सहमति का प्रभाव नहीं रह जाता।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जस्टिस गुरपाल सिंह अहलुवालिया की एक सदस्यीय बेंच ने यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी के साथ सबंध बनाता है और पत्नी 15 साल से कम की नहीं है तो यह मैरिटल रेप नहीं माना जा सकता भले ही यह सबंध अप्राकृतिक तरीके बनाए गए हों।
हाई कोर्ट ने यह निर्णय एक महिला द्वारा दायर अपने पति के खिलाफ दायर किए गए एक मामले में सुनाया। महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने उसके साथ अप्राकृतिक सबंध बनाए और गुदाद्वार में भी लिंग डाला। महिला ने आरोप लगाया कि ऐसा उसके साथ कई बार हुआ और पति ने उसे धमकाया भी। महिला ने अपने पति के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया था।
महिला के पति ने हाई कोर्ट में इस FIR को रद्द करने की याचिका लगाई थी। पति ने कोर्ट के सामने कहा कि उसका अपनी पत्नी के साथ किसी भी तरह के संबंध बनाना मैरिटल रेप की श्रेणी में नहीं आता। इस मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि गुदा मैथुन तब अपराध रेप माना जाएगा जब पति-पत्नी साथ रह ना रहे हों, यह तब अपराध नहीं हो सकता जब पत्नी-पति के साथ एक घर में रह रही थी। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी 15 वर्ष से कम की हो तो भी यह मैरिटल रेप माना जाता।
कोर्ट ने यह भी कहा वैसे तो भारत में बिना सहमति के किसी भी महिला के मुख और गुदा में लिंग डालना अपराध माना गया है लेकिन विवाहित और साथ रहे पति-पत्नी के बीच यह अपराध नहीं माना गया। कोर्ट ने इस मामले में दर्ज की गई FIR रद्द करने का आदेश दिया।