भीमा कोरेगॉंव हिंसा मामले की जॉंच के लिए गठित आयोग के सामने कुछ अर्बन नक्सलियों ने बयान देने से इनकार कर दिया। इससे पहले इन्होंने आयोग के सामने पेश होकर बयान देने की इच्छा जताई थी। लेकिन, पेशी के दौरान बयान देने की बात से पलट गए। इसके बाद आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस जय नारायण पटेल ने उन्हें दोबारा जेल भेज देने के निर्देश दिए।
आयोग के सामने अर्बन नक्सल सुरेंद्र गाडलिंग ने यह कहते हुए बयान देने से इनकार कर दिया कि इससे ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई पर असर पड़ेगा। गाडलिंग ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में उसकी दलीलों पर कोई असर न पड़े, इसीलिए वह जाँच आयोग को बयान नहीं देगा। हालाँकि, इससे पहले वकील सुरेंद्र गाडलिंग बयान देने को राजी था।
गाडलिंग को आयोग के समक्ष पेश होने के लिए 6 सितम्बर की तारीख दी गई थी। उसके अलावा एक अन्य अर्बन नक्सल सुधीर धावले को भी 7 सितम्बर को पेश होने को कहा गया था। न सिर्फ़ गाडलिंग बल्कि धावले ने भी बयान दर्ज कराने से मना कर दिया है। दोनों फिलहाल पुणे स्थित यरवदा जेल में बंद हैं। इन्हें पिछले वर्ष भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में गिरफ़्तार किया गया था।
पुणे पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत गाडलिंग व धवले सहित अन्य को गिरफ्तार किया था। इससे पहले गाडलिंग ने कहा था कि वह कुछ तथ्यों को सामने लाने के लिए बयान देना चाहता है। गाडलिंग द्वारा बयान देने से मना करने पर उसे वापस यरवदा जेल में भेज दिया गया है। आश्चर्य की बात यह भी है कि एल्गार परिषद मामले में एक अन्य आरोपी सुधीर धावले ने भी एक आवेदन दाखिल किया था और आयोग के समक्ष बयान देने का आग्रह किया था, लेकिन अब उसने भी मना कर दिया है।
Gadling and Dhawale are among the accused arrested by the Pune city police for their alleged links with the banned CPI Maoist.https://t.co/2mF9iDS0aB
— The Indian Express (@IndianExpress) September 7, 2019
धावले एल्गार परिषद के आयोजकों में से एक था। एल्गार परिषद ने माओवादियों के समर्थन से भीमा कोरेगाँव युद्ध की बरसी पर हिंसा भड़काई थी। आरोप है कि इन अर्बन नक्सलियों ने हिंसा भड़काने के लिए एक कार्यक्रम का सहारा लिया था।