Tuesday, November 5, 2024
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हल्द्वानी के धरना-प्रदर्शन में बच्चों का इस्तेमाल: मदरसे के हाफिज से लेकर लोकल नेता तक, सबकी पोल बच्चों ने ही खोली

हल्द्वानी के वनभूलपुरा के अवैध कब्जे वाले स्थानों पर घूमते हुए हम रेल के पटरियों के पास खेलते बच्चों से मिले। खेल में मग्न बच्चों से हमने प्रदर्शन के बारे में सवाल किया। इस दौरान बच्चों ने कई चौंकाने वाली बातें बताई। एक बच्चे ने माना कि बच्चों को मदरसे का ड्रेस पहनाकर धरने में शामिल करवाया गया था।

उत्तराखंड के हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में नाबालिग बच्चों के इस्तेमाल पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आपत्ति जताई गई है

NCPCR ने जहाँ नैनीताल के जिलाधिकारी को पत्र लिख बताया है कि कैसे रेलवे के खिलाफ प्रदर्शन में बच्चों का प्रयोग हो रहा है, उनसे इमोशनल अपीलें करवाई जा रही हैं। वहीं, ग्राउंड जीरो पर मौजूद ऑपइंडिया की टीम ने भी देखा कि सरकार, न्यायालय और विदेशी संस्थाओं पर दबाव बनाने के लिए एक ऑर्गनाइज तरीके से काम किया जा रहा है। बच्चों को आगे कर के इमोशनल ब्लैकमेलिंग की जा रही है।

हल्द्वानी के वनभूलपुरा के अवैध कब्जे वाले स्थानों पर घूमते हुए हम रेल के पटरियों के पास खेलते बच्चों से मिले। खेल में मग्न बच्चों से हमने प्रदर्शन के बारे में सवाल किया। इस दौरान बच्चों ने कई चौंकाने वाली बातें बताई। मोहम्मद समीर नाम के बच्चे ने स्वीकार किया कि बच्चों को मदरसे का ड्रेस पहनाकर धरने में शामिल करवाया गया था।

मोहम्मद समीर ने बताया कि वह इस्लामिया स्कूल में भी पढ़ता है और मदरसे में भी तालीम हासिल करता है। प्रदर्शन के दौरान स्कूल और मदरसों के बच्चों को मदरसे वाले ड्रेस कोड में बुलाया गया था। इसका उद्देश्य भीड़ में ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम मासूमों को दिखाना हो सकता है। धरना-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए मदरसे से बच्चों की माँग मतीन सिद्दकी नाम के स्थानीय नेता ने की थी। मतीन सिद्दकी समाजवादी पार्टी से जुड़ा है। मतीन सिद्दकी प्रदर्शन के मुख्य आयोजकों में से एक है। बच्चों ने बतलाया कि मतीन ने ही इरफान हाफिज से बच्चों को तैयार कर प्रदर्शन में लाने की हिदायत दी थी।

वनभूलपुरा के इलाके में कई मदरसे हैं। सभी मदरसों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में बच्चों को इकट्ठा किया गया। बच्चे जिस तरह ऑन कैमरा बात कर रहे हैं, साफ समझा जा सकता है कि उन्हें इसके लिए अच्छे से तैयार किया गया है। बच्चों को ही नहीं बल्कि भीड़ में शामिल लोगों को कैमरे पर क्या बोलना है, कैसे बोलना है, किस भाषा में बोलना है – सब कुछ बतलाया जा रहा है। ऑपइंडिया के पिछले ग्राउंड रिपोर्ट में भी हम इन तथ्यों को सबूत के साथ आपके सामने पेश कर चुके हैं।

ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान हमने हल्द्वानी के वनभूलपुरा के गलियों में एजेंडाधारियों को देखा जो लोगों को बोलने की ट्रेनिंग दे रहे थे। हमने देखा कि किस तरह एक कथित पत्रकार, भीड़ को ज्यादा से ज्यादा हिंदी शब्दों का इस्तेमाल कर अपनी बात मासूमियत से रखना सिखा रहा था। वह शख्स लोगों से TheWire पर भी सिखाई गई बातें चलवाने का दावा कर रहा था।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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