पिछले साल दिसंबर महीने में सीएए-एनआरसी के विरोध के नाम पर सड़कों पर हिंसा करने वाले आरोपितों पर योगी सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हिंसा में शामिल 57 आरोपितों से लखनऊ जिला प्रशासन ने 1 करोड़ 55 लाख रुपए की रिकवरी का आदेश जारी किया है। मामले में कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने गुरुवार (02 जुलाई, 2020) को एक आरोपित की दुकान को कुर्क कर दिया।
लखनऊ / सीएए हिंसा के 5 आरोपियों की संपत्ति पर प्रशासन ने लगाया ताला; 16 जुलाई को होगी नीलामी, 57 लोगों से होनी है 1.55 करोड़ की वसूलीhttps://t.co/XWCBLXE5mw#CAAProtest @myogiadityanath @Uppolice @ChiefSecyUP pic.twitter.com/5AFWxXWMPZ
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) July 2, 2020
जानकारी के मुताबिक नफीस अहमद नाम के आरोपित पर सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान का 64 लाख 35 हजार रुपए बकाया है। प्रशासन की ओर से जारी किए गए नोटिस के बाद भी आरोपित द्वारा रकम जमा न कराने के बाद प्रशासन ने गुरुवार को उसकी दुकान की कुर्की कर दी। दरअसल, कुर्की की यह कार्रवाई अपर जिलाधिकारी ट्रांस गोमती विश्व भूषण मिश्रा के आदेश पर की गई है। अब तक प्रशासन ने पाँच आरोपितों की संपत्ति को कुर्क किया है। इनकी 16 जुलाई को नीलामी की जाएगी।
सदर तहसीलदार शंभू शरण सिंह ने बताया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों के मामले में 57 लोगों के खिलाफ वसूली का नोटिस जारी किया गया था। उनमें से हसनगंज इलाके में दो संपत्तियों को मंगलवार (30 जून, 2020) को कुर्क कर दिया गया। साथ ही यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि जिन संपत्तियों को कुर्क किया गया, उनमें एन वाई फैशन सेंटर नाम की कपड़ों की दुकान और एक अन्य दुकान शामिल हैं।
दरअसल एनवाई फैशन सेंटर के सहायक भंडार प्रबंधक धर्मवीर सिंह पर 21 लाख 76 हजार रुपए की आरसी जारी की गई थी। दूसरी ओर माहेनूर चौधरी सीएए विरोधी हिंसा के मामले में आरोपित हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल 19 दिसंबर को सीएए-एनआरसी विरोध के नाम पर हुई हिंसा के मामले में लखनऊ प्रशासन ने 50 आरोपितों को वसूली नोटिस जारी किया था। मार्च में जिला प्रशासन ने आरोपियों के पोस्टर शहर के चौराहों पर लगवाए गए थे, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुझाव पर लखनऊ जिला प्रशासन ने 20 मार्च को तमाम वसूली और कुर्की की प्रक्रिया को अस्थाई तौर पर रोक दिया गया था।