उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में इस्लामिक धर्मान्तरण का एक बेहद चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहाँ इस्लामिक संगठन के जरिए बेरोजगार हिन्दू युवकों को अपना निशाना बनाते हुए अवैध धर्मान्तरण किया जा रहा था। इस्लामिक संगठन की आड़ में मदरसे में इस कथित इस्लामिक धर्मांतरण रैकेट का उस वक्त भंडाफोड़ हुआ, जब वाराणसी जिले के रहने वाले सुधांशु चौहान ने धर्मांतरण करने से साफ इनकार कर दिया।
क्या है मामला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बेरोजगार हिन्दू युवकों को इस्लाम कबूल करवाने से पहले किसी बड़ी कंपनी में नौकरी, मकान और लाखों रुपए कमाने का सपना दिखाकर पहले अपने संगठन का सदस्य बनाते हैं। और जब हिन्दू युवक इस्लामिक संगठन का सदस्यता ले लेता है तो उसे मदरसे में भेजा जाता है, जहाँ पर मदरसे का मौलवी हिन्दू युवकों को इस्लाम कबूल करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की एक सप्ताह की ट्रेनिग देता है। पूरी प्रक्रिया के तहत सख्त निगरानी राखी जाती थी। इस ट्रेनिंग के दौरान जब मौलवी बेरोजगार हिन्दू युवाओं का ब्रेनवॉश करने में कामयाब हो जाता है तो उनका जबरन धर्मांतरण करवा देता है।
ऐसे हुआ खुलासा
रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी के रहने वाले सुधांशु चौहान को इस्लाम कबूल करवाकर मुस्लिम बनाने की कवायद चल रही थी। जिसपर उसने साफ मना कर दिया। लेकिन सुधांशु के मना करने के बाद मदरसे में ही उसे कई दिनों तक बंधक बनाकर बुरी तरह से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
मामले की भनक परिवार को लगते ही सुधांशु के परिजन केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के पास पहुँचे और उनसे अपने बेटे को इस्लामिक संगठन के चंगुल से छुड़ाने की गुहार लगाई। जिसपर मंत्री ने फतेहपुर जिले के मंत्री प्रतिनिधि अंशू सिंह सेंगर को फोन कर तत्काल पूरे मामले में कार्रवाई कराए जाने की बात कही। मामले का पता लगने के बाद शिकायत सदर कोतवाली पुलिस से की गई।
कहा जा रहा है कि धर्मान्तरण के इस मामले में केंद्रीय मंत्री के जिला प्रतिनिधि अंशू सिंह सेंगर ने सुधांशू चौहान के परिजनों से संपर्क कर पूरा घटनाक्रम जाना। वहीं पुलिस ने इस पूरे मामले में पुलिस ने एक्शन लेते हुए इस्लामिक संगठन की आड़ में लखनऊ बाईपास स्थित एक किराए के मकान में चल रहे मदरसे में दबिश डालकर कर 3 आरोपितों को मौके से गिरफ्तार कर लिया और मदरसे में ही बंधक बनाए गए हिन्दू युवक सुधांशु को भी बरामद कर फतेहपुर थाने ले आई।
पुलिस के मुताबिक, पीड़ित सुधांशू ने इस पूरे मामले में जानकारी देते हुए बताया कि वह वाराणसी के सिगरा थाना क्षेत्र के हबीबपुरा चंदुआ का रहने वाला है। 14 जून को गाजीपुर जिले के अरमान अली ने उसे फोन कर ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी दिलाने की बात कही थी। इस पर वह दो दिन बाद अरमान अली के बताए गए पते पर फतेहपुर आबकारी कार्यालय के पास पहुँचा, जहाँ से अरमान अली उसे तुराबअली का पुरवा ले गया और अगले दिन उसे एक मुस्लिम युवक के साथ लखनऊ बाईपास स्थित मार्केटिंग कंपनी के ऑफिस भेज दिया। जहाँ उनलोगों ने रजिस्ट्रेशन के नाम पर पहले 1000 रुपए और फिर बाद में 10000 और ले लिए गए।
सुधांशू ने आगे बताया कि जब वह 17 जून को उसी ऑफिस पहुँचा, तो वहाँ से से मोहसिन, यासीन नाम के मुस्लिम युवक उसे और करीब 20 हिंदू लड़कों को 30 से 40 मुस्लिम लोगों के साथ शहर के एक मदरसे में ले गए। मदरसे में उन्हें यह झाँसा दिया गया कि वह लोग उनके अनुसार चलेंगे तो हर महीने एक से दो लाख कमा सकते हैं। फिर सेमिनार के नाम पर एक तकरीर हुआ, जिसमें वक्ताओं ने इस्लामिक संगठन से जुड़कर रुपए कमाने की बात कही।
सुधांशू ने इस पूरे मामले से नकाब हटाते हुए बताया कि, 19 जून की सुबह करीब 50 हिंदू लड़कों और 100 मुस्लिम लड़कों के साथ उसे भी शहर के एक मस्जिद में ले गए। जहाँ उनके फोन वगैरह जब्त कर लिए गए और मस्जिद में मौजूद मौलवी ने मुस्लिम धर्म अपनाने और प्रचार-प्रसार की बात कही। जहाँ करीब सप्ताह भर की ट्रेनिंग के बाद उसे इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करने लगे। लेकिन सुधांशु के इनकार करने पर मामला बिगड़ता नजर आया। और कहा जा रहा है कि मकान मालिक अलीम ने धर्म परिवर्तन के लिए उसे जबरन बाध्य करते हुए बंधक बना लिया था।
हालाँकि, बाद में परिजनों की शिकायत पर इस्लामी धर्मान्तरण के इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। वहीं इस्लामी संगठन के लोगों द्वारा बंधक बनाए गए सुधांशु को छुड़ा लेने के बाद इस मामले की जाँच की जा रही है। बता दें कि बाद में पुलिस ने सुधांशु की तहरीर पर कंपनी के हेड इकलाख, यासीन, मकान मालिक अलीम, मोहसिन, मौलवी, अरमान अली और उसके एक अज्ञात मुस्लिम साथी के खिलाफ बंधक बनाने, अवैध धर्म परिवर्तन, धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। वहीं गिरफ्तार किए गए मोहसिन, यासीन और मकान मालिक आलिम को पुलिस ने न्यायिक हिरासत में जेल भेजते हुए मौलवी सहित अन्य आरोपितों की तलाश तेज कर दी है।