अयोध्या के सबसे बड़े पर्व के रूप में रामनवमी को मनाया जाता है। यहाँ रामलला के लिए बधाई गीत गाए जाते हैं। आस्था की डगर पर चलते हुए लाखों श्रद्धालु अलग-अलग स्थानों से अयोध्या पहुँचते हैं और श्रद्धा में सराबोर हो सब कुछ भूल जाते हैं। यूँ कहें कि रामनवमी के अवसर पर अयोध्या हर्ष और उत्साह के रूप में हर किसी को अपनी ओर खींचती है और हर कोई खिंचा चला आना भी चाहता है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण का ऐसा दौर है कि अब उसी रामनवमी पर अयोध्या के सभी बड़े संत-महंत लोगों से अपील कर रहे हैं कि लोग अयोध्या आने के बजाय अपने घरों में ही भगवान की पूजा और आराधना करें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अयोध्या के संतों से विकास भवन में वार्ता की। वार्ता के बाद संत समाज ने राम भक्तों से अपील की है कि वे रामनवमी के अवसर पर अयोध्या न आएँ और अपने घरों में पूजा-अर्चना करें।
मणिराम छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह होती चली जा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हुई है। मुख्यमंत्री ने आग्रह किया है कि इस बार रामनवमी मेला के लिए श्रद्धालु अयोध्या ना आएँ और अपने घरों में ही रहकर भगवान का जन्मोत्सव मनाएँ। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी उपायों को अपनाएँ। क्योंकि जान है, तो जहान है।
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कहा कि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अयोध्या के धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ नही होने देंगे। पाँच से ज्यादा श्रद्धालु धार्मिक स्थलों पर नहीं रह सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संतों के साथ वीसी कर निर्णय लिया है। राम नवमी के दौरान अयोध्या में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगेगी। जरूरत पड़ी तो सीमाएँ भी सील हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में जो लोग बाहर से आएँगे, उनका कोविड टेस्ट होगा। रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही प्रवेश मिलेगा। राम नवमी पर मेला नहीं लगेगा क्योंकि भीड़ नहीं इकट्ठी करनी है। साधु-संत मंदिरों में रामलला का जन्मोत्सव मनाएँ। अयोध्या में नाइट कर्फ्यू पर विचार चल रहा है। बताते चलें कि पिछले वर्ष भी कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए रामनवमी मेला नहीं लगा था। अयोध्या की सीमाएँ सील की गई थीं।