उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि धाम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्माण पर लगी रोक को असंवैधानिक बताया है। मुस्लिमों की आपत्ति के 2016 में निर्माण पर जिलाधिकारी ने रोक लगा दी थी। उस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार थी।
कॉन्ग्रेस नेता और कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम अपनी निजी जमीन पर इस मंदिर का निर्माण करवा रहे थे। लेकिन मुस्लिमों की आपत्ति के बाद संभल के तत्कालीन डीएम ने कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस रोक को गलत माना है। जस्टिस सलिल कुमार राय और जस्टिस सुरेंद्र सिंह की डिवीजन बेंच ने अब प्रमोद कृष्णम को जिला पंचायत में मंदिर का नक्शा जमा करवाने का आदेश दिया है। साथ ही मंदिर निर्माण के लिए जिला पंचायत से अनुमति लेने को भी कहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला देते हुए कहा है कि निजी जमीन पर मंदिर निर्माण संविधान के मूल अधिकारों में शामिल है। ऐसे में दूसरे समुदाय (मुस्लिम) की काल्पनिक आपत्ति के आधार पर निर्माण को नहीं रोका जा सकता।
हाई कोर्ट के फैसले पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है, “श्री कल्कि नारायण मंदिर के निर्माण पर 2016 में 6 नवम्बर को अखिलेश सरकार ने रोक लगा दी थी। आज खुशी का अवसर है कि माननीय हाई कोर्ट ने श्री कल्कि धाम मंदिर के निर्माण पर लगे रोक को हटा दिया है। मैं माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत भी करता हूँ। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को उसके निजी भूमि पर मंदिर निर्माण से नहीं रोका जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो यह उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
सत्य “सार्थक”
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) August 17, 2023
सर्वदा-सत्य मेव जयते. #श्रीकल्किधाम pic.twitter.com/PXaEDl82lz
मुस्लिम समुदाय ने जताई थी मंदिर निर्माण पर आपत्ति
बता दें कि कल्कि मंदिर का शिलान्यास 2016 में किया गया था। यह इलाका मुस्लिम बहुल है। रिपोर्ट के अनुसार निर्माण पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिमों ने कहा था कि मंदिर निर्माण स्थल से महज डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर मस्जिद है। ऐसे में दोनों समुदायों में आपसी विवाद और कानून-व्यवस्था को खतरा हो सकता। इसके बाद मुस्लिम किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इनामुर रहमान खान की शिकायत पर तत्कालीन डीएम ने मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी। इसके बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 2017 में इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। याचिका में उन्होंने डीएम के आदेश को कल्पनाओं पर आधारित बताया था।