उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया और न ही कोई महिला उनके शासन में सुरक्षित है। हालाँकि, विपक्षियों के आरोपों से उलट, NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो) के आँकड़े कुछ और ही बयान करते हैं। यही वजह है कि राज्य पुलिस भी अपनी सरकार से खुश है और सार्वजनिक तौर पर उनकी तारीफ करने से नहीं चूक रही।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2017 में उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद, राज्य को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आँकड़ों में देश में महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित स्थान बताया गया है। NCRB की इस रिपोर्ट के अनुसार, देश के 21 प्रमुख राज्यों की तुलना में यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे कम मामले हैं।
मंगलवार (जनवरी 12, 2021) को ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर बताया, “योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर उत्तर प्रदेश को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए हम सबने बहुत मेहनत की और महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों को कम करने के लिए काम किया।”
आगे पुलिस ने NCRB की 2019 की रिपोर्ट को शेयर करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों में 15वें स्थान पर है। वहीं, बलात्कार के मामले में 26 वें स्थान पर और दोष सिद्धि (Convictions) मामले पर 1 रैंक पर है।
On the directions of Hon’ble CM UP Sri @myogiadityanath ji to make UP safer for women,we have worked hard on all aspects to reduce crime against women.
— UP POLICE (@Uppolice) January 12, 2021
A/c to NCRB report(2019),on crime rate, UP ranks 15th in the country in crime against women, 26th in rape & 1st in convictions. pic.twitter.com/M324TBjQCH
उल्लेखनीय है कि आज हम राजनैतिक झुकाव के चलते राज्यों के विकास पर बात करते रहे हैं। लेकिन वास्तविकता ये है कि यदि किसी सरकार की कामयाबी को आँकना है तो इसे हर नजरिए से देखा जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य की तुलना यदि दिल्ली से की जाए, वो भी सरकार की कामयाबी या असफलता के आधार पर, तो वह पूर्ण रूप से बेईमानी और धूर्तता है। बात चाहे क्षेत्रफल की हो या फिर जनसंख्या की। उत्तर प्रदेश हर मायनों में कई राज्यों से बड़ा है। ऐसे में, वहाँ की सरकार पर चुनौतियाँ भी उसी हिसाब से हैं। बावजूद इसके, पूरे राज्य की महिलाओं की सुरक्षा पर काम करना और बाकायदा आँकड़ों के जरिए भी सफलता को सिद्ध करना बड़ी बात है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि भारत में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों का फीसद 2018 साल के मुकाबले बढ़ा है। जो क्राइम रेट प्रति लाख महिलाओं की जनसंख्या पर 58.8 था, वही 2019 में बढ़कर 62.4 हो गया। लेकिन उत्तर प्रदेश में यह रेट 55.4 प्रति लाख (महिला जनसंख्या) रही। जबकि महाराष्ट्र में ये रेट 63.1 था और बंगाल में 64 था। इसी प्रकार मध्यप्रदेश में रेट 69 है और राजस्थान में 110 है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अन्य राज्यों के मुकााबले यूपी की इस सफलता के लिए राज्य सरकार द्वारा लाई गई योजनाओं को मददगार बताते हैं। ‘टाइम्स ऑफ़ इण्डिया’ की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 मेें आँकड़े 3,289 थे। लेकिन 2020 में ये कम होकर 2, 232 हो गए। यानी मामलों में 32 फीसद की गिरावट हुई।
इसी तरह, यदि लड़कियों के अपहरण के मामले देखें तो साल 2016 में करीब 11,121 केस सामने आए थे। वहीं, योगी सरकार के काल में ये आँकड़ा बढ़ने की बजाय नीचे उतरकर 11,057 पर आ गया। यानी, 27% की गिरावट। अधिकारी कहते हैं राज्य सरकार ने सिर्फ़ पुलिस प्रशासन को मजबूत नहीं किया बल्कि तकनीकों को सशक्त भी किया है, जिससे जाँच पड़ताल में त्वरित सहायता संभव होती है।
यूपी पुलिस द्वारा शेयर की गई रिपोर्ट में एडीजी आशू पांडे कहते हैं, “हमने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में खुद को बेहतर और सशक्त बनाया है। इससे महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हो रहे अपराधों के मामलों में न्याय दिलाने में सहायता हुई है।”
एडीजी ने कहा कि अभियोजन विभाग द्वारा किए गए प्रयासों से बलात्कार में 89, शादी के लिए अपहरण में 15, दहेज हत्या में 97 और यौन उत्पीड़न में 13 मामलों में 1 जनवरी से 15 दिसंबर, 2020 के बीच सफलतापूर्वक आरोपितों को दोषी ठहराया गया है। उनके मुताबिक, इनमें से 5 दोषियों को अभी तक फाँसी की सजा हुई है, जबकि 193 अन्य मामलों में दोषी आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार के मजबूत डिफेंस के कारण 721 मामलों में दोषियों को सजा दी गई।
वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो राज्य में ‘एंटी रोमिया स्क्वायड’ के कारण, महिला पुलिसकर्मियों की वजह आदि से भी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हुई हैं। इसी प्रकार, महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष महिला पुलिस दस्ता ‘पिंक पैट्रोल’ पर मौजूद महिला कॉन्स्टेबल व ‘पिंक बूथ’ और पुलिस थानों में महिलाओं के लिए हेल्पडेस्क ने भी महिलाओं को सुरक्षित महसूस करवाया है।
बता दें कि हाथरस, बलरामपुर आदि मामलों के बाद से चर्चा में आ रहे उत्तर प्रदेश में 2019 में 3065 मामले दर्ज किए गए और पीड़िताओं की संख्या 3131 रही। यानी प्रतिदिन औसत वहाँ करीब 8 मामले रिकॉर्ड हुए। हालाँकि प्रदेश में प्रति लाख जनसंख्या पर यदि अपराध के आँकड़े देखें तो दर 2.8 है। साथ ही सूची में उत्तर प्रदेश का स्थान कुल 36 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में 24वाँ है।
तीसरे नंबर पर मध्यप्रदेश है। यहाँ कुल 2485 मामले रिकॉर्ड किए गए। पीड़िताओं की संख्या 2490 दर्ज की गई और प्रति लाख जनसंख्या के हिसाब से अपराध की दर 11.1 रही। प्रतिदिन औसत प्रदेश में 6.8 थी। महाराष्ट्र 2299 रेप के मामलों के साथ चौथे नंबर पर आता है। यहाँ रेप पीड़िताओं की संख्या 2305 है। प्रतिदिन औसतन 6 रेप हुए और प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध का दर 3.9 रहा।
इसके बाद सूची के अनुसार केरल में 2023 मामले आए। इसी तरह असम में 1773, हरियाणा में 1480, झारखंड में 1416 और ओडिशा में 1382 मामले सामने आए। देश की राजधानी दिल्ली में 1253 रेप के मामले दर्ज किए गए। सिक्किम में यह संख्या 11, पुडुचेरी में 10, नागालैंड में 8 और दादर नगर हवेली तथा लक्षद्वीप में 0 मामले सामने आए।