Sunday, November 17, 2024
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‘मुस्लिम टारगेट’ की योगी सरकार ने निकाली हवा, कहा- एक ही समुदाय भारतीय: बुलडोजर पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

"कोई व्यक्ति किसी मामले में आरोपित है, सिर्फ इसलिए उसके अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई रोकी नहीं जा सकती।"

उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर जमीयत उलमा-ए-हिंद की रोक की माँग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सर्वव्यापी आदेश देने से इनकार कर दिया है। बुधवार (13 जुलाई, 2022) को केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा, “नियम का पालन होना चाहिए। इसमें कोई विवाद नहीं है। यदि निकाय के नियमों के मुताबिक निर्माण अवैध है तो फिर हम उसे कैसे गिराने से रोकने के लिए अथॉरिटीज को आदेश दे सकते हैं।” इस मामले में अब अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 10 अगस्त की तारीख तय की है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में जमीयत उलमा-ए-हिंद के वकील एडवोकेट दुष्यंत दवे ने अपनी दलील में कहा था, “कोई किसी अपराध में आरोपित है तो उसके घरों को गिराने की कार्रवाई हमारे समाज में स्वीकार नहीं की जा सकती। हम कानून के शासन से चलते हैं।”

दुष्यंत दवे ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी आरोप लगाया, “दंगा करने के आरोपितों के खिलाफ सरकार चुनकर कार्रवाई कर रही है। पूरा सैनिक फार्म ही अवैध है, लेकिन बीते सालों में उस पर कोई ऐक्शन नहीं हुआ। दिल्ली में ही अवैध फार्म हाउस देख सकते हैं। कोई ऐक्शन नहीं हुआ। इन मामलों में चुनकर कार्रवाई की जा रही है।”

इस तर्क पर गहरी आपत्ति जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “देश में कोई दूसरा समुदाय नहीं है। सिर्फ एक ही समुदाय है, जिसे हम भारतीय कहते हैं।”

वहीं इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने यूपी सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, “कोई व्यक्ति किसी मामले में आरोपित है, सिर्फ इसलिए उसके अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई रोकी नहीं जा सकती।” उन्होंने कहा कि ऐसे आरोप ठीक नहीं है। अथॉरिटीज ने यह प्रक्रिया दंगों से पहले ही शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि जिनके अवैध निर्माणों को गिराया गया है, उन्हें पहले ही नोटिस देकर कार्रवाई के बारे में जानकारी दी गई थी।

बता दें कि यूपी सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि प्रयागराज विध्वंस स्थानीय विकास प्राधिकरण द्वारा किया गया था जो कि राज्य सरकार का एक स्वायत्त निकाय है और शहर को अवैध और अनधिकृत निर्माण से मुक्त करने के उनके प्रयास का एक हिस्सा है।

गौरतलब है कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हाल ही में उन लोगों के घरों को गिराए जाने को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिन्होंने कथित तौर पर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेते हुए उपद्रव और हिंसा किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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