Wednesday, November 6, 2024
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मरकज से कुम्भ की तुलना पर CM तीरथ सिंह ने दिया ‘लिबरलों’ को करारा जवाब, कहा- एक हॉल और 16 घाट, इनकी तुलना कैसे?

सोशल मीडिया पर लिबरल, वामपंथी और कट्टरपंथियों ने कुम्भ की तुलना पिछले साल के निजामुद्दीन मरकज और तबलीगी जमात से कर दी थी। जिसका जवाब देते हुए सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कुंभ की तुलना मरकज से नहीं की जा सकती है। मरकज एक हाल में होता है, लेकिन कुंभ के 16 घाट हैं। यह हरिद्वार से लेकर नीलकंठ तक विस्तृत है।

हरिद्वार में चल रहे कुंभ की तुलना तबलीगी जमात के मरकज से करने वालों को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने करारा जवाब दिया है। दरअसल, सोमवार को कुंभ में सोमवती अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं सहित संतों ने शाही स्नान किया। इसी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

इसके बाद सोशल मीडिया पर लिबरल, वामपंथी और कट्टरपंथियों ने कुम्भ की तुलना पिछले साल के निजामुद्दीन मरकज और तबलीगी जमात से कर दी थी। जिसका जवाब देते हुए सीएम तीरथ सिंह रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कुंभ की तुलना मरकज से नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि मरकज एक हाल में होता है, लेकिन कुंभ के 16 घाट हैं। यह हरिद्वार से लेकर नीलकंठ तक विस्तृत है। बावजूद इसके लोग एक सही जगह पर स्नान कर रहे हैं और इसके लिए समयसीमा निर्धारित है।

सोमवती अमावस्या पर हुए शाही स्नान को पूरी तरह से सफल बताते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने संत समाज के पूर्ण सहयोग का जिक्र किया। अधिकारियों और मीडिया को धन्यवाद देते हुए सीएम ने कहा कि जिस तरह की सुविधाएँ संत चाहते थे वैसी सुविधा उन्हें दी गई।

28 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी है कि शाम तक 28 लाख लोग आस्था की डुबकी लगा चुके थे, जिसके 35 लाख को पार करने की संभावना उन्होंने व्यक्त की है। इस दौरान केंद्र की कोरोना गाइडलाइंस के पालन का दावा मुख्यमंत्री ने किया है। रिपोर्ट के मुताबिक सोमवती अमावस्या पर पहले सभी 13 अखाड़ों ने स्नान किया, इसके बाद ही श्रद्धालुओं ने स्नान किया।

कुंभ की जमातियों से तुलना करने वालों को सबक

उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के आयोजन को सख्त नियमों के पालन के साथ अनुमति दी है। यहाँ नागरिकों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। मेले में आने से पहले लोगों के पास कोरोना के आरटी पीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए, जो कि 72 घंटे से अधिक पुरानी न हो। यही कारण है कि इस वर्ष भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में बहुत कम है। लेकिन लिबरल-वामपंथी और कट्टरपंथियों का समूह गलत सूचनाओं के आधार पर इसे कोरोना नियमों का उल्लंघन साबित करते हुए अपना प्रोपेगेंडा सेट करने में लगा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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