Saturday, December 21, 2024
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ऐसे बदली उत्तराखंड की डेमोग्राफी: 11 साल में 12.5% बढ़ी मुस्लिम आबादी, हिन्दू देवी-देवताओं के नाम से कर रहे कारोबार

"केदारनाथ में 90% घोड़े मुस्लिमों के चलते हैं। जिन हिन्दुओं के इन धंधों पर कब्ज़े जमाए गए वो हिन्दू अब नौकरी कर के बच्चे पाल रहे हैं।"

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में राज्य में छिपे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के भी सत्यापन का ऐलान किया था। उन्होंने देवभूमि की डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव पर चिंता जताते हुए हजारों संदिग्धों के चिन्हित किए जाने का दावा किया था। इसी मुद्दे पर ऑपइंडिया से बात करते हुए उत्तराखंड के हिन्दू एक्टिविस्ट और संत स्वामी दर्शन भारती ने हालात की गंभीरता से अवगत कराया।

पहले 1.5% से 2% थी मुस्लिम आबादी, अब हो चुकी लगभग 14 %

स्वामी दर्शन भारती के मुताबिक, “पहले उत्तराखंड में मुस्लिमों की कुल आबादी 1.5 से 2% के आस-पास थी। यहाँ के मुस्लिम गढ़वाली बोलते थे और यहीं की संस्कृति को मानते थे। बाद में जब हरिद्वार जिले को उत्तराखंड में शामिल किया गया तब यहाँ की आबादी 5 से 6% हो गई थी। वहीं जब UP में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तबसे वहाँ के हजारों मुस्लिम भाग कर उत्तराखंड में बस गए। इन बसने वालों में कई बड़े मुस्लिम नेता और व्यापारी भी शामिल हैं। अब यहाँ की मुस्लिम आबादी लगभग 14% हो चुकी है। इस आबादी में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठी भी शामिल हैं जो नदी के किनारे झुग्गियों को कब्ज़ा करते हुए आगे फैलते जा रहे हैं। उन्होंने तमाम सरकारी दस्तावेज भी बनवा डाले हैं।”

बन चुकी हैं बंगाली कालोनियाँ

स्वामी भारती ने आगे बताया, “देहरादून की विकासनगर में पहली विधानसभा में लगभग 6000 मुस्लिम वोटर थे। आज उसी विधानसभा में लगभग 32 हजार मुस्लिम वोटर हैं। ये तेजी से बढ़ी संख्या अन्य प्रदेशों से आई है। इसमें UP, बिहार, बंगाल के मुस्लिम भी शामिल हैं। आज हालात ये हैं कि उत्तराखंड के कुछ शहरों में तो बंगाली कालोनियाँ बस चुकी हैं। कम से कम 50 हजार बंगाली मुस्लिम यहाँ बसे हुए हैं। पहाड़ों की हालत भी गंभीर है। आज उत्तरकाशी में भी लगभग 5 हजार मुस्लिम वोटर हैं जबकि कभी वहाँ 150 वोटर भी नहीं थे। हमने बद्रीनाथ खाली करवाया वरना वहाँ भी मुस्लिम बस गए थे। एक बार तो मुस्लिम समाज ने बद्रीनाथ मंदिर कमेटी से अपने लिए जगह माँग ली थी। फ़िलहाल वहाँ फिर से बसना शुरू हो गए हैं क्योकि हम रोज रखवाली नहीं कर सकते। भाजपा ने कभी मुस्लिम नहीं बसाए। इनके कागजात कॉन्ग्रेस ने तैयार करवाए।”

बता दें कि नवंबर 2000 में जब उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था तो मुस्लिमों की आबादी केवल 1.5 फीसदी थी। वहीं 2011 की जनगणना में यह बढ़कर 13.95% हो गई। इसके बाद मुस्लिमों की जनसंख्या में वृद्धि को लेकर आधिकारिक आँकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन जानकारों का कहना है आबादी बढ़ने की इस रफ्तार में कमी के कोई संकेत नहीं हैं।

व्यापार में भी हार रहा हिन्दू

स्वामी दर्शन भारती के मुताबिक उत्तराखंड झटका मीट के कारोबार के लिए ही जाना जाता था। आज यहाँ हलाल मीट का कारोबार फल फूल रहा है। हर दिन 25 करोड़ रुपए का हलाल मीट देहरादून में ही बिक रहा है। अन्य व्यापार में भी सब्ज़ी, मीट, पंचर, नाई आदि सभी पर मुस्लिम काबिज़ है। हरिद्वार के पास स्थित चिड़ियापुर में लाईन से खाने-पीने की दर्जनों दुकानें हैं। उन तमाम दुकानों के नाम बद्री केदार, गंगोत्री जैसे हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर रखे गए हैं। लेकिन उनमे से मात्र 3 दुकानें हिन्दुओं की हैं। बाकी सभी मुस्लिम समुदाय की। देहरादून में कई मुस्लिमों की दुकानें नाम बदल कर चल रही हैं। इसके अलावा फर्नीचर, वेल्डिंग, पानी, खनन और बिल्डिंग मैटेरियल के कामों में भी मुस्लिमों का प्रभुत्व हो गया है। आप देवभूमि में अपना घर बिना मुस्लिमों के सहयोग के नहीं बनवा सकते हैं। अब तो ये सोचना पड़ेगा कि मुस्लिमों का प्रभुत्व किस क्षेत्र में नहीं है।

उन्होंने अपने पेज पर रुद्रप्रयाग में फैजाज अहमद द्वारा चलाई जा रही फल की दुकान बद्री केदार ट्रेडर्स को शेयर भी किया है।

स्वामी दर्शन भारती के मुताबिक, “केदारनाथ में 90% घोड़े मुस्लिमों के चलते हैं। जिन हिन्दुओं के इन धंधों पर कब्ज़े जमाए गए वो हिन्दू अब नौकरी कर के बच्चे पाल रहे हैं। हिन्दुओं के हाथ से गए सभी काम थोक पैसे वाले थे जिसमें GST या कोई अन्य टैक्स का झंझट भी नहीं था।”

ऋषिकेश में हिन्दू युवा वाहिनी के पदाधिकारी अमन पांडेय ने ऑपइंडिया को बताया, “ऋषिकेश में भी कई मुस्लिम कारोबारी नाम बदल कर काम करते हैं। गद्दे बेचने वाला अब्दुल मलिक ऋषिकेश मुख्य मार्किट में मलिक हैंडलूम नाम से काम करता है। इस से पहले जूस की एक दुकान इसी वजह से बंद हुई थी जो मुस्लिम हो कर अपना नाम हिन्दू बताता था।”

हरिद्वार में VHP उठा चुका है नाम बदल कर व्यापार पर आपत्ति

1 अप्रैल 2022 को हरिद्वार में विश्व हिन्दू परिषद ने भी इस मुद्दे पर एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में हरिद्वार से मुजफ्फरनगर तक ढाबों और होटलों को मुस्लिम मालिकों द्वारा हिन्दू नाम से चलाने पर आपत्ति जताई गई थी। इस दौरान महालक्ष्मी होटल नाम से ढाबा चला रहे मुस्लिम व्यक्ति दिलशाद के नाम का खुलासा किया गया था। उस होटल में भगवा पट्टिका लगाई गई थी। इसके अलावा कई अन्य स्थानों का खुलासा किया गया था।

मुस्लिम यूनिवर्सिटी हर हाल में बनाने का एलान

आपको याद ही होगा उत्तरखंड के विधानसभा चुनाव 2022 में कॉन्ग्रेस के हरीश रावत ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का न किया था। इसका व्यापक विरोध हुआ था। बाद में कॉन्ग्रेस ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया था। हालाँकि। विरोध के बाद भी अप्रैल 2022 में उत्तराखंड के कॉन्ग्रेस कमेटी महासचिव अकील अहमद ने हर हाल में उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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