Sunday, November 17, 2024
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‘हम जल्द ही आप तक पहुँचेंगे’ : सिल्क्यारा सुरंग में पहली बार गूँजी उम्मीद की एक आवाज, खिल उठे 10 दिनों से फँसे 41 मजदूरों के चेहरे, PM ने भी ली राहत कार्य की जानकारी

"हम जल्द ही आप तक पहुँचेंगे, कृपया फिक्र न करें। कृपया एक-एक करके कैमरे के सामने आएँ। हम आपके रिश्तेदारों को दिखाना चाहते हैं कि आप ठीक हैं।"

सिर पर सफेद, पीली, नारंगी प्लास्टिक की टोपियाँ, चेहरे पर थकान मगर आँखें जीवन की आस की किरणों से चमक रही थीं। उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में फँसे 41 मजदूरों के पास मंगलवार (21 नवंबर, 2023) को 10 दिनों में पहली बार कैमरा पहुँचा था। दरअसल, भूस्खलन के वजह से बीते 12 नवंबर से ये लोग यहाँ फँसे हुए हैं।

वहाँ राहत और बचाव में लगी टीम के लोगों ने छह इंच के पाइप के जरिए उन तक खाना पहुँचाया। इस पाइप की ही मदद से वहाँ वॉकी-टॉकी और एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरे भेजे गए। इस कैमरे से पहली बार इनकी तस्वीर सामने आई तो वॉकी-टॉकी से इनके बचाव में लगे लोगों से इनकी बाचतीच भी हो पाई।

हालाँकि, अभी भी बचाव दल और फँसे हुए मजदूरों के बीच लगभग 40 मीटर मोटा मलबे का फासला है। हिमालयी क्षेत्र होने और यहाँ की मिट्टी की वजह से इनकों वहाँ से बाहर निकलना बड़ी चुनौती है, लेकिन इसके बाद भी जब मंगलवार सुबह लगभग 3.45 बजे इनके चेहरे कैमरे पर आए तो ये पल बचाव टीमों के लिए कुछ देर के लिए ही सही पर उत्साह का पल रहा।

भले ही इसके बाद बचाव की आगे की रणनीति बनाने के लिए वहाँ माहौल फिर से गंभीर हो गया। मजदूरों को वहाँ से निकालने के अगले कदम की योजना के साथ ही राहत और बचाव दल के लोगों ने मजदूरों को दिलासा दिया कि वो जल्द ही वहाँ उन्हें बचाने के लिए पहुँच रहे हैं। ये सुनते ही इस मुश्किल हालातों में भी मजदूरों के चेहरे खिल उठे।

‘हम जल्द ही आप तक पहुँचेंगे’

जब मजदूरों को वॉकी-टॉकी पर कहा गया, “क्या आप ठीक हैं? यदि आप सभी ठीक हैं, तो कृपया खुद को कैमरे के सामने दिखाएँ। कृपया अपने हाथ उठाएँ और मुस्कुराएँ।” इतना सुनते ही मजदूरों ने कैमरे के सामने लाइन लगाकर इसका जवाब दिया।

इतने वक्त से वहाँ फँसे होने की वजह से उनके छोटी दाढ़ी उग आई थी। उनके सिर सख्त प्लास्टिक की टोपियों से ढके हुए थे। उन्होंने कैमरे की ओर हाथ हिलाकर संकेत दिया कि वे ठीक हैं। इसी बीच एक बचावकर्ता ने कहा, “हम जल्द ही आप तक पहुँचेंगे, कृपया फिक्र न करें। कृपया एक-एक करके कैमरे के सामने आएँ। हम आपके रिश्तेदारों को दिखाना चाहते हैं कि आप ठीक हैं।”

फिर इन मजदूरों को पाइप के अंदर से कैमरा लेने और उनमें से हर एक पर फोकस करने को कहा गया। तब बचाव दल के सदस्यों ने उनसे कहा, “हम आपको बहुत साफ तौर से देख सकते हैं।” इसी दौरान एक बचावकर्ता ने इन मजदूरों से पूछा कि पाइप के जरिए से भेजा गया वॉकी-टॉकी मिला तो इन लोगों ने इशारे से इसके मिलने के बारे में बताया।

इसके बाद इन सब को बचावकर्मियों ने वॉकी-टॉकी चलाने के बारे में बताया। बताते चलें कि कैमरा और वॉकी-टॉकी का कनेक्शन लंबे वक्त तक चलने वाले बचाव अभियान के लिए अहम हैं। मलबे के बीच डाला गया छह इंच का पाइप सुरंग में फँसे इन मजदूरों के लिए जीवन रेखा बन गया है।

इसके जरिए मजदूरों को भोजन और दवाएँ भेजी जा सकती हैं। मंगलवार को मजदूरों को सुरंग में इस पाइप के जरिए 10 दिनों में पहली बार खिचड़ी भेजी गई। वहीं कैमरा और वॉकी-टॉकी कनेक्शन अब बचाव टीमों को मजदूरों का हौसला बढ़ाने उनके घर लौटने के उनके कष्टदायक इंतजार के बीच उन्हें भरोसा दिलाने में मदद करेगा।

पीएम मोदी ने भी ली सुंरग बचाव-राहत कार्य की जानकारी

वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी राहत की साँस ली है। यही नहीं पीएम मोदी ने फिर से फोन कर सिलक्यारा की निर्माणाधीन सुरंग में फँसे मजदूरों के राहत और बचाव अभियान के बारे में भी अपडेट लिया। सीएम धामी ने पीएम को बताया कि 6 इंच व्यास की पाइप लाइन को मलबे के पार मजदूरों तक पहुँचा दिया गया है।

सीएम धामी ने पीएम को बताया कि इसी के जरिए उन्हें भोजन और अन्य जरूरी सामान पहुँचाया जा रहा है। इसके साथ ही एंडोस्कोपिक फ़्लेक्सी कैमरे की मदद से मजदूरों से हुई बातचीत और उनकी कुशलता की जानकारी भी दी गई। इस पर पीएम ने यह भी कहा कि सभी श्रमिक भाइयों को सुरक्षित निकालना उनकी पहली प्राथमिकता है।

सुरंग में फँसे मजदूरों के सकुशल होने की खबर पाकर उनके परिवारवालों ने भी राहत की साँस ली है। उन्हें खुशी है कि आखिर ये खबर मिली। सुरंग में फँसे एक मजदूर छोटे भाई का कहना है, “टनल में मेरा बड़ा भाई फंँसा हुआ है। उसका नाम विश्वजीत कुमार है। मैं उनसे लगातार संपर्क में हूँ। मेरा एक और रिश्तेदार सुबोध कुमार भी अंदर है। वहाँ सभी लोग ठीक हैं। उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। वे खुश हैं कि दूसरी पाइप मिल गई जिससे खाना भी मिल जाएगा। अभी तक केवल ड्राई फ्रूट्स जा पा रहा था। हमें बहुत राहत महसूस हो रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “वो इस बात से ज्यादा खुश हुए है कि उन लोगों को दूसरी पाइप मिल गई। जिससे शायद उनको पूरा खाना मिल पाए। अभी तक वो सूखे मेवे खाकर काम चला रहे थे। दूसरे 6 इंच के पाइप से खाना वगैरह सब जा सकता है। उनको और राहत मिल गई है कि चलो बाहर से प्रोसेस चालू है कि हमें निकालने के लिए कोशिशों की जा रही है। तो वो लोग भी खुश है।”

‘मेरा भाई बाहर आएगा 90 फीसदी सकारात्मक हूँ’

सुरंग के अंदर फँसे विश्वजीत ने अपने छोटे भाई को ये भी बताया, “वैसे तो हमें अंदर कोई दिक्कत महसूस नहीं हो रही है, लेकिन अब थोड़ा अच्छा लग रहा है कि हमें इस दूसरे पाइप के जरिए बात आसानी से हो जाएगी। पहली पाइप में बात आसानी से नहीं हो पा रही थी। इस पाइप के जरिए हम बाहर वाले से आमने-सामने बात कर पा रहे हैं। इससे हमें बहुत राहत महसूस हुई है।

उनका कहना है कि बड़े भाई की सकुशल जानकर हम लोगों को भी काफी राहत मिली है। हम खुश है कि इससे उनके पास पूरा खाना खाने की सुविधा होगी। पाइप के जरिए उन लोगों का वीडियो आ गया यही काफी है। सुंरग में फँसे मजदूर के भाई का कहना था कि वो सब अंदर घूम फिर रहे हैं, सब सुरक्षित हैं। हम सब अब उन्हें लेकर बहुत पॉजीटिव हैं। ये 90 फीसदी सकारात्मक हालात हैं, क्योंकि अब वो सुरक्षित बाहर आएँगे।

उन्होंने आगे कहा कि क्योंकि पहले तनाव बन रहा था कि ये पहली पतली पाइप अंदर किसी वजह से भी कोई दिक्कत पैदा करती है तो फिर क्या उपाय हो सकता है, उस वक्त बाहर के प्रॉसेस में कितना वक्त लगेगा ये कहना मुश्किल था, लेकिन दूसरी पाइप के अंदर जाने से अब कोई दिक्कत नहीं है।

वहीं दूसरी तरफ सुरंग में फँसे एक मजदूर ने अपनी माँ को भावनात्मक संदेश भेजा, “मैं ठीक हूँ माँ, कृपया अपना खाना समय पर खाएँ।” इससे पहले 20 नवंबर को यहाँ अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स भी पहुँचे थे। उन्होंने मजदूरों को जल्द निकाल लेने का भरोसा दिलाया था। वहीं रक्षा मंत्रालय से एक रोबोटिक्स टीम भी आई थी।

इस टीम ने बताया था कि वो सुरंग के अंदर वाईफाई कनेक्शन लगाने की भी कोशिश कर रहे हैं। मजदूरों को पाइप के जरिए अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी भेजे गए हैं। इसी के साथ ही मजदूरों के निकालने के लिए ऑगर मशीन की मदद से 900 मिलीमीटर की वाली पाइप को आगे ले जाने का काम भी दोबारा शुरू होने वाला है।

उत्तराखंड में सिल्क्यारा और डंडालगाँव के बीच 12 नवंबर को निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के बाद 41 मजदूर फँस गए। ये सुरंग केंद्र की महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजनाओं का हिस्सा है और उत्तरकाशी और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए प्रस्तावित सड़क पर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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