कानपुर के बिकरु गाँव में गुरुवार रात 8 पुलिसवालों के साथ जो हुआ, उसे भुला पाना लगभग नामुमकिन है। इस मामले पर पुलिस लगातार नए खुलासे कर रही है। ताजा अपडेट में बताया जा रहा है कि यह पूरी घटना मात्र 6 बीघा जमीन के कारण हुई और कुछ पुलिसवालों की मदद से ही विकास दुबे को पुलिस की दबिश का पहले से पता चल पाया।
घनश्यामपुर ग्राम पंचायत की इस जमीन को लेकर विकास के एक रिश्तेदार राहुल तिवारी ने चौबेपुर थाने में विकास दुबे के ख़िलाफ़ अपहरण का प्रयास, जानलेवा हमले की शिकायत दर्ज करवाई थी। लेकिन अब वह परिवार समेत फरार है।
वहीं, रविवार को गिरफ्तार हुए विकास दुबे के करीबी दयाशंकर अग्रिहोत्री ने यह बताया है कि विकास को पुलिस दबिश की सूचना पुलिस ने ही दी थी। इसी के बाद उसने अपने असलहाधारी साथियों को बुलाया।
अब इस मामले के संबंध में जाँच टीम ने चौबेपुर थाने की भूमिका को संदिग्ध पाया है। बताया जा रहा है कि 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से एक दिन पहले तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी मामले की जाँच के लिए विकास दुबे के पास गए थे।
विकास दुबे ने इस दौरान अपने घर पर थानाध्यक्ष के साथ मारपीट की थी और उन पर बंदूक भी तानी थी। मगर, विनय तिवारी ने इतना सब हो जाने के बावजूद इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी।
अब विनय तिवारी को पुलिस रेड से पहले विकास दुबे के लिए मुखबरी करने के शक के आरोप में निलंबित किया गया है। इसके अलावा STF उनसे लगातार पूछताछ कर रही है।
विकास दुबे की कॉल डिटेल्स से यह भी खुलासा हुआ है कि वह चौबेपुर और शिवराजपुर पुलिस थानों के करीब 24 पुलिसकर्मियों के साथ संपर्क में थे। इसके अतिरिक्त, यह भी पाया गया है कि 60 केस में नाम होने के बावजूद इन थानों में कभी उसे टॉप क्रिमिनल्स की सूची में नहीं रखा गया। न ही उसकी गैंग कभी रजिस्टर की गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी पहलुओं को देखते हुए पुलिस ने इस संबंध में 21 लोगों के खिलाफ नामजद और 60 से अधिक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
आईजी रेंज कानपुर माेहित अग्रवाल ने कहा है अगर कोई आरोपित पाया जाता है तो उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा। उसे फौरन बर्खास्त किया जाएगा। पुलिस की मानें तो मामले में अभी तक 21 आरोपितों की पहचान हुई है। इनमें से 2 को पुलिस ने मुठभेड़ में मार डाला।
इसी बीच यह भी खबर आ रही है कि 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपित विकास दुबे चंबल के बीहड़ों तक पहुँच गया है। उसकी मंजिल इटावा के रास्ते 3 राज्यों की सीमाओं को जोड़ने वाला आगरा सेंटर है। दरअसल, यह वो जगह है, जहाँ से केवल 30 मिनट में यूपी से मध्य प्रदेश और राजस्थान में आया जाया जा सकता है।
विकास दुबे से जुड़े हर कनेक्शन को गहराई से खंगालते हुए पुलिस ने हाल में तीन कार बरामद किया है। दरअसल काकादेव थाना प्रभारी के मुताबिक जाँच में सामने आया कि ब्रह्मनगर निवासी जय बाजपेई की तीनों गाड़ियाँ हैं।
उनके अनुसार गाड़ियाँ तो वह इस्तेमाल करता है लेकिन एक भी कार उसके नाम से नहीं है। इनमें से ऑडी भाजपा नेता प्रमोद विश्वकर्मा की है, जबकि फॉर्च्यूनर चकरपुर निवासी राहुल और हुंडै की वर्ना अशोक नगर निवासी कपिल सिंह के नाम है।
मामले की जाँच कर रहे हैं सीओ स्वरूप नगर अजीत सिंह चौहान कहते हैं कि तीनों गाड़ियों में नंबर प्लेट नहीं लगी है। यह गाड़ियाँ जिनके नाम से रजिस्टर्ड है उन्हें यह पता भी नहीं कि उनके नाम पर यह लग्जरी गाड़ियाँ खरीदी गई हैं।