गैंगस्टर विकास दुबे आज (10 जुलाई) मार गिराया गया। उसे उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने और उज्जैन पहुॅंचने से पहले वह फरीदाबाद में भी रुका था।
फरीदाबाद में उसको शरण देने के आरोप में अंकुर मिश्रा और उनके पिता श्रवण मिश्रा पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अब दैनिक जागरण के सुशील भाटिया ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि कैसे विकास और उसके साथियों को मिश्रा के घर शरण मिली थी।
श्रवण मिश्रा की पत्नी शांति मिश्रा और बहू गुंजन मिश्रा के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास उनका दूर का रिश्तेदार है। 6 जुलाई को वह अपने साथी प्रभात मिश्रा और अमर दुबे के साथ मिश्रा के घर में दाखिल हुआ था। चेहरे पर मास्क लगाए ये लोग जब उनके घर में घुसे तब घर के पुरुष सदस्य बाहर थे। महिलाओं ने उनसे जाने की गुजारिश की, लेकिन हथियार के बल पर उसने उन्हें बंधक बना लिया और उनके मोबाइल ले लिए। जब रात में अंकुर और श्रवण लौटे तो ये लोग उनके घर में ही थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास ने श्रवण के पहचान पत्र ले लिए और अंकुर को अपने साथ लेकर होटल में कमरा बुक करने चला गया। वहीं इस दौरान प्रभात और अमर उनके घर ही रुके रहे। शांति और गुंजन ने उम्मीद जताई है कि विकास के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अंकुर और श्रवण जल्द बाहर आ जाएँगे। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जॉंच की मॉंग भी उच्चाधिकारियों से की है।
उल्लेखनीय है कि अमर दुबे को 8 जुलाई को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके बाद उसका वह बाप भी जिंदा पकड़ा गया था जो पॉंच साल से अपने मौत की अफवाह फैलाकर भूमिगत था।
19 साल पहले भी हुई थी विकास को एनकाउंटर में मारने की तैयारी
इधर दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि विकास दुबे को 19 साल पहले भी एनकाउंटर में मार गिराने की तैयारी की गई थी। लेकिन वह बच गया था। यह दावा अमर उजाला की एक पुरानी रिपोर्ट और स्थानीय पत्रकारों के हवाले से किया गया है।
यह मामला तब का है जब विकास दुबे ने थाने में घुसकर संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। शुक्ला को तत्कालीन राजनाथ सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। इस मामले में उसके खिलाफ बाद में कोई गवाह नहीं मिले थे।
रिपोर्ट में एक पत्रकार के हवाले से बताया गया है कि तब के डीजीपी वीके गुप्ता ने विकास दुबे पर 50 हजार का इनाम घोषित कर कानपुर पुलिस को उसके एनकाउंटर के निर्देश दिए थे। उसकी तलाश में 120 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई थी। बाद में जब उसके पकड़े जाने की खबर फैली तो आसपास के गॉंवों के लोगों ने थाने को घेर लिया था ताकि उसका एनकाउंटर न किया जा सके।
विकास दुबे की मौत के बाद शिवली के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष लल्लन वाजपेयी चर्चा में आए हैं। साल 2002 में चुनावी रंजिश के चलते विकास दुबे ने लल्लन वाजपेयी पर हमला करवाया था। लेकिन उस कोशिश में भाजपा नेता संतोष शुक्ला मारे गए थे।
विकास दुबे की मौत पर लल्लन वाजपेयी ने कहा, “आज ऐसा लग रहा है जैसे हम सदियों बाद स्वतंत्र हुए हों। एक आतंक युग का अंत और शांत युग का प्रारंभ हुआ है। शाम को संगीत की व्यवस्था भी की गई है।”
कानपुर: 2002 को चुनावी रंजिश के चलते #विकास_दुबे ने लल्लन वाजपेयी पर हमला करवाया था। #विकास_दुबे की मौत पर लल्लन वाजपेयी, “आज ऐसा लग रहा है जैसे हम सदियों बाद स्वतंत्र हुए हों। एक आतंक युग का अंत और शांत युग का प्रारंभ हुआ है। शाम को संगीत की व्यवस्था भी की गई है।” pic.twitter.com/UIik015HBd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 10, 2020
गौरतलब है कि एसटीएफ ने अपने बयान में बताया है कि उज्जैन से लाते वक्त रास्ते में जानवरों को बचाने के चक्कर में वह गाड़ी पलट गई जिसमें विकास सवार था। एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीन वह कच्चे रास्ते से भाग रहा था। इसी दौरान मुठभेड़ में वह मारा गया। कानपुर में 3 जुलाई को शूटआउट में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। विकास दुबे इस घटना का मुख्य आरोपित था और इसके बाद से ही उसकी सरगर्मी से तलाश की जा रही थी।