तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने 7 अन्य हिंदू बहुल गाँवों को अपनी संपत्ति बताया है। वक्फ बोर्ड ने यह भी दावा किया कि 1500 साल पुराना सुंदरेश्वर मंदिर वक्फ बोर्ड की संपत्ति का ही हिस्सा है।
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक वक्फ बोर्ड द्वारा गाँवों की जिस जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया गया है, उस पर वक्फ बोर्ड ने पोस्टर्स भी लगाए हैं। हालाँकि स्थानीय लोगों ने वक्फ बोर्ड के दावों को सिरे से ही नकारा है। इसके सबूत के तौर पर गाँव वालों ने जमीनों से जुड़े कुछ दस्तावेज दिखाए हैं, गाँव वालों की मानें तो सदियों से ये जमीनें उनके पूर्वजों के पास ही थीं।
ग्रामीणों ने इस मामले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से भी हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनकी सीएम से माँग है कि वह इस मामले में दखल दें और वक्फ बोर्ड को गलत तरीके से जमीनें हड़पने से रोकने में गाँव वालों की मदद करें।
खास बात यह भी है कि यह गाँव कावेरी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित हैं। बोर्ड द्वारा दावा किए गए इलाके में से एक में रहने वाली ग्रामीण हिंदू महिला ज्योतिलक्ष्मी ने बताया, “हम कहाँ जाएँगे? यह मेरे लिए किसी सदमे की तरह है। इससे मेरी धड़कने तेज होने लगी हैं और मुझे अस्पताल भी जाना पड़ा।”
बता दें कि वक्फ बोर्ड ने राज्य के त्रिची के पास तिरुचेंथुरई गाँव (Thiruchenthurai Village) की जमीन को वक्फ बोर्ड की जमीन बताया है। ग्रामीणों ने इसके बारे में जिला कलेक्टर को जानकारी दी तो उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की जाँच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब राजगोपाल नाम के एक व्यक्ति ने अपनी 1 एकड़ 2 सेंट जमीन राजराजेश्वरी नामक व्यक्ति को बेचने का प्रयास किया। राजगोपाल जब अपनी जमीन बेचने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस पहुँचे तो उन्हें पता चला कि जिस जमीन को बेचने के बारे में वह सोच रहे हैं वह उनकी नहीं, बल्कि जमीन वक्फ बोर्ड की हो चुकी है।
राजगोपाल के अनुसार उनको यहाँ के रजिस्ट्रार मुरली ने कहा, “जिस जमीन को आप बेचने आए हैं उस जमीन का मालिक वक्फ बोर्ड है। वक्फ बोर्ड के निर्देश के अनुसार इस जमीन को बेचा नहीं जा सकता। आपको चेन्नई में वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करना होगा।” जिसके बाद यह भी बात सामने आई कि आसपास के अन्य 17 गाँवों की जमीन भी उनकी नहीं, बल्कि वक्फ बोर्ड की है।