Friday, November 15, 2024
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कक्षा में हिजाब पहनना इस्लामिक प्रथा का अंग है या नहीं, जाँच की जरूरत: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- संवैधानिक अधिकार असीमित नहीं

कोर्ट ने कहा कि जिन शैक्षणिक संस्थानों में यूनीफॉर्म लागू है वहाँ भगवा शॉल, हिजाब या धार्मिक झंडा ले जाने पर अगले आदेश तक पाबंदी करहेगी। कोर्ट ने कहा कि धर्म या संस्कृति के नाम पर भारत के सभ्य समाज में शांति और व्यवस्था को भंग करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती।

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka Hight Court) की फुल बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि कक्षा में हिजाब पहनना इस्लाम का आवश्यक हिस्सा है या नहीं, इसकी गहन जाँच की आवश्यकता है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन स्कूल या कॉलेजों में यूनिफॉर्म कोड लागू है, उनमें अगले आदेश तक क्लास में भगवा स्कार्फ, हिजाब या धार्मिक झंडे जैसी अन्य चीजों पर रोक रहेगी।

मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस कृृष्णा दीक्षित और एमजे काजी ने गुरुवार (10 फरवरी 2022) के अपने आदेश में कहा कि यह आदेश उन्हीं संस्थानों तक सीमित रहेगा, जहाँ ‘कॉलेज विकास समितियों’ ने छात्र ड्रेस कोड/यूनिफॉर्म निर्धारित की है। कोर्ट ने जारी विवाद और उसके बाद शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने से आहत हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।

कोर्ट ने आगे कहा, “भारत बहुधर्मी, बहुसंस्कृति और बहुभाषी देश है। एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के कारण इसकी अपनी कोई धार्मिक पहचान नहीं है। यह सच है कि देश के हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म और आस्था को अपनाने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार संपूर्ण नहीं हैं। ये अधिकार भारत में दिए गए प्रतिबंधों के तहत दिए गए हैं। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के आलोक में कक्षा में हिजाब पहनना इस्लाम की धार्मिक प्रथा का आवश्यक हिस्सा है या नहीं, इसकी गहन जाँच की आवश्यकता है।”

कोर्ट ने कहा कि धर्म या संस्कृति के नाम पर भारत के सभ्य समाज में शांति और व्यवस्था को भंग करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने आगे कहा, “अंतहीन आंदोलन और शिक्षण संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करना खुशी की बात नहीं है। इन मामलों की जरूरी मामलों के आधार पर सुनवाई जारी है।

कोर्ट ने शैक्षणिक सत्र को बढ़ाने को लेकर कहा कि इससे छात्रों के शैक्षिक करियर के लिए हानिकारक है, क्योंकि उच्च अध्ययन/पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए समय सीमा अनिवार्य है। छात्रों के हितों की पूर्ति आंदोलन जारी रखने और संस्थानों को बंद करने से नहीं, बल्कि उनके कक्षा में लौटने से होगी। कोर्ट ने सभी पक्षों से कक्षा शुरू करने का आग्रह किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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