Thursday, November 14, 2024
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हिजाब पहनने से रोका तो मुस्लिम शिक्षिका ने कॉलेज ही छोड़ दी, मजहब के नियमों का दिया हवाला: बंगाल में अल्पसंख्यक आयोग में भी दर्ज करा दी शिकायत

टॉलीगंज स्थित LJD लॉ कॉलेज के प्रबंधन ने सोमवार (17 जून, 2024) को एक ईमेल के जरिए संजीदा क़दर को सन्देश भेज कर कहा था कि वो शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए कॉलेज द्वारा बनाए गए ड्रेस कोड का पालन करते हुए यहाँ वापस ज्वाइन कर सकती हैं।

पश्चिम बंगाल एक मुस्लिम महिला शिक्षिका ने हिजाब के मुद्दे पर कॉलेज ही छोड़ दिया है। मामला राजधानी कोलकाता के एक प्राइवेट लॉ कॉलेज का है, जहाँ उक्त शिक्षिका को हिजाब पहन कर क्लास चलाने से मना किया गया था। हालाँकि, विरोध होने के बाद में उसे दुपट्टा डालने की अनुमति दे दी गई। अब उसने कहा है कि वो वापस कॉलेज नहीं जा रही हैं। इस पर कॉलेज ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वो उक्त मुस्लिम शिक्षिका के निर्णय का सम्मान करता है।

शिक्षिका संजीदा क़दर ने कॉलेज प्रबंधन को एक ईमेल भेज कर बताया कि वो अब वहाँ नहीं पढ़ाएँगी। टॉलीगंज स्थित LJD लॉ कॉलेज के प्रबंधन ने सोमवार (17 जून, 2024) को एक ईमेल के जरिए संजीदा क़दर को सन्देश भेज कर कहा था कि वो शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए कॉलेज द्वारा बनाए गए ड्रेस कोड का पालन करते हुए यहाँ वापस ज्वाइन कर सकती हैं। साथ ही ये सहूलियत भी दी गई थी कि वो इस दौरान अपना सिर ढँकने के लिए दुपट्टे का इस्तेमाल कर सकती हैं।

इसके बाद शिक्षिका ने जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय माँगा था। गुरुवार को कॉलेज को भेजे गए ईमेल में शिक्षिका ने कहा कि कॉलेज के निर्णय पर सावधानी से विचार करने के बाद उसने फैसला लिया है कि वो इस संस्थान में फिर से नौकरी नहीं करेगी और अपने लिए नए मौके की तलाश करेगी। मुस्लिम शिक्षिका ने कहा कि वो समझती है कि उसके करियर के लक्ष्य के लिए ये फ़िलहाल सर्वश्रेष्ठ विकल्प नहीं है। उसने कहा कि परिस्थितियाँ उसके लिए सामान्य हो जाएँगी।

कॉलेज ने इसके बाद उसने निर्णय का सम्मान करते हुए उसे बेहतर भविष्य की शुभकामनाएँ दी। रमजान के महीने से ही संजीदा क़दर ने कॉलेज में क्लास के दौरान हिजाब पहनना शुरू कर दिया था। हालाँकि, अप्रैल से चले आ रहे इस सिलसिले पर जून में विवाद हो गया। संजीदा क़दर ने कहा कि इस कॉलेज में वापस पढ़ाने के लिए जाना उसके लिए सुविधाजनक नहीं होगा। उसने कहा कि हिजाब पहनने से रोका जाना उसके सिद्धांतों के खिलाफ है। पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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