पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई 2021 को आए थे। सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की जीत सुनिश्चित होते ही राज्य में राजनीतिक हिंसा का दौर शुरू हो गया था। विपक्ष खासकर बीजेपी समर्थकों, उनके घरों, पार्टी दफ्तरों को निशाना बनाने के आरोप टीएमसी के गुंडों पर लगे थे। इन मामलों में बंगाल पुलिस की उदासीनता से निराश लोग अब न्याय की आस में सुप्रीम कोर्ट पहुँच रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में गैंगरेप की पीड़िताओं ने जो आपबीती सुनाई है वह सिहराने वाली है।
एक 17 वर्षीय दलित नाबालिग ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करते हुए खुद के साथ जंगल में रेप करने का आरोप टीएमसी के गुंडों पर लगाया है। उसने कहा है कि भाजपा का समर्थन करने पर ‘सबक’ सिखाने के लिए चार टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उसके साथ एक घंटे से अधिक समय तक बलात्कार किया। यह घटना नौ मई को हुई थी जब पीड़िता अपने दोस्तों के साथ घर लौट रही थी।
नाबालिग के अनुसार गैंगरेप के बाद उसे मरने के लिए जंगल में छोड़ दिया गया था। घटना के अगले दिन कथित तौर पर टीएमसी का एक नेता एसके बहादुर उसके घर पहुँचा। उसने शिकायत दर्ज कराने पर उसके परिजनों को धमकी दी। साथ ही घर जला देने की भी चेतावनी दी। नाबालिग ने मामले की एसआईटी जाँच और सुनवाई को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की गुहार लगाई है।
इससे पहले बंगाल के दो दिवसीय दौरे के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के चेयरमैन विजय सांपला ने टीएमसी पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था, “दो मई के बाद यहाँ जिस तरह की घटनाएँ हुई हैं, वह चिंताजनक है। 1947 के बाद पहली बार बलात्कार, हत्याएँ बिना किसी राज्य संरक्षण के हो रही हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित अनुसूचित जाति के लोग हुए हैं।” सांपला ने बताया था कि बंगाल में दलितों के खिलाफ हिंसा के 1627 मामले सामने आए। इनमें से करीब 10-12 मामले रेप से संबंधित थे। इसके अलावा 15 से 20 लोगों की हत्या के मामले भी सामने आए हैं।
वहीं एक 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उनका गैंगरेप उनके 6 साल के पोते के सामने किया गया। इतना ही नहीं जब उनके दामाद शिकायत दर्ज कराने थाने पहुँचे तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था। इस महिला का कोलकाता के अपोलो अस्पताल में उपचार किया गया जहाँ जाँच में रेप की पुष्टि हुई। महिला ने अपनी याचिका में कहा है, “इतिहास भीषण उदाहरणों से भरा हुआ है जब विरोधियों को आतंकित और हतोत्साहित करने के लिए बलात्कार को रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया गया। लेकिन कभी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी पर महिला के साथ इस तरह के क्रूर अपराध नहीं किए गए थे।”
इससे पहले हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार और हारन अधिकारी के परिजनों ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हिंसा की सीबीआई या SIT जाँच की अपील की थी। अभिजीत सरकार की पत्नी जो उनकी हत्या की चश्मदीद भी हैं ने बताया था, “भीड़ ने उनके पति के गले में सीसीटीवी कैमरे का तार बाँध दिया। गला दबाया। ईंट और डंडों से पीटा। सिर फाड़ दिया और माँ के सामने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। आँखों के सामने बेटे की हत्या होते देख उनकी माँ बेहोश होकर मौके पर ही गिर गईं।”