पश्चिम बंगाल (West Bengal) के बीरभूम जिले (Birbhum Violence) में हुई हिंसा के मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने सोमवार को बीरभूम जिले की रामपुरहाट अदालत में चार्जशीट फाइल की। इसमें सीबीआई ने आरोप लगाया कि तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के रामपुरहाट कम्युनिटी ब्लॉक-1 इकाई के पूर्व अध्यक्ष अनारुल हुसैन (Anarul Hossain) ने ही हत्याएँ करने का आदेश दिया था। इसके बाद 21 मार्च 2022 को हुई बोगतुई गाँव में 10 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई और पुलिस को भी इससे दूर रखा गया था।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने 1192 पन्नों की चार्जशीट में इसका जिक्र किया है। ये आरोप पत्र चश्मदीद गवाहों, सीसीटीवी फुटेज और रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जल कर मरने वाली दो महिलाओं के बयानों के आधार पर तैयार किया गया है।
इस मामले में अनारुल हुसैन को 24 मार्च 2022 को गिरफ्तार किया गया था, जो कि फिलहाल ज्युडिशियल कस्टडी में है। सीबीआई ने उसे कस्टडी में लेने से पहले उस पर हत्या, आगजनी, घातक हथियारों से दंगा करने और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया था।
कैसे हुआ बीरभूम नरसंहार
21 मार्च 2022 की 8:20 बजे NH-114A पर बोगटुई चौराहे पर बमबारी हुई, जिसमें टीएमसी समर्थित बरशाल ग्राम पंचायत के उप प्रधान भादू शेख की मौत हो गई। चार्जशीट के मुताबिक, बदला लेने के लिए अनारुल हुसैन ने हमले का आदेश दिया। सीबीआई ने दो अलग-अलग अपराधों में आरोप तय किए हैं, लेकिन जाँच एजेंसी ने ये भी रेखांकित किया कि दोनों घटनाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं। भादू शेख हत्याकांड में चार लोग आरोपित हैं, जबकि शेख की हत्या के बाद भड़की हिंसा में अनारुल हुसैन समेत 18 अन्य आरोपित हैं।
उल्लेखनीय है कि टीएमसी नेता के आदेश पर हुई हिंसा में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जन भर घरों को जलाकर राख कर दिया गया। हमलावरों ने लोगों को घरों में बंद कर दिया था, जिससे वो अपनी जान न बचा सकें। घटना पर संज्ञान लेते हुए 25 मार्च 2022 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भादू शेख और बीरभूम हिंसा की जाँच का आदेश सीबीआई को दिया।
चार्जशीट में सीबीआई ने दावा किया है कि शेख और उनके सहयोगियों के बीच संदिग्ध भूमि सौदों, धोखाधड़ी वाली कंपनियों और जबरन वसूली के पैसे के हिस्से को लेकर झगड़ा हुआ, जिसमें उसकी हत्या कर दी गई। चार्जशीट में दावा किया गया है कि हुसैन ने भीड़ को सोना शेख और फातिक शेख के घरों पर हमला करने को कहा था।
उसके आदेश के बाद रामपुरहाट शहर से महज 150 मीटर की दूरी पर बोगतुई गाँव के रहने वाले सोना शेख और फातिक शेख के घर पर हमले किए गए। वहाँ पास के एक स्टोर से एक ई-रिक्शा में ईंधन पहुँचाया गया, जिसके चालक को सीबीआई ने हिरासत में लिया था। इस दौरान कम से कम आठ अन्य घरों में रहने वाले परिवारों पर हमला किया गया था। लेकिन वे बाहर निकलने में सफल रहे। 10 पीड़ित तीनों भाइयों मिहिलाल, शेखलाल और बनिरुल शेख के परिवारों के साथ-साथ सोना और फातिक शेख के परिवार के सदस्य हैं।
अनारुल हुसैन की भूमिका
अनारुल हुसैन ही वो शख्स है, जिसने हमलावरों को बोगतुई गाँव में हमले का निर्देश दिया था। सीबीआई ने चार्जशीट में दावा किया है कि हुसैन ने ही हमलावरों को निश्चिंत कर दिया था कि घटनास्थल पर एक घंटे तक पुलिस नहीं आएगी। जबकि, बोगतुई गाँव थाने से एक किमी से भी कम दूरी पर स्थित है। कई गवाहों ने सीबीआई को सूचित किया कि जब उन्होंने हुसैन को सहायता के लिए फोन किया, तो उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें एक टीएमसी नेता पर हुए हमले के नतीजे भुगतने होंगे। चार्जशीट के मुताबिक, हुसैन ने सबूत मिटाने के लिए अपने फोन से कॉल लॉग्स डिलीट कर दिए।
कौन है अनारुल हुसैन
रामपुरहाट ब्लॉक नंबर 1 से अनारुल हुसैन टीएमसी अध्यक्ष है। इंडिया टुडे के मुताबिक, टीएमसी में शामिल होने से पहले हुसैन कॉन्ग्रेस पार्टी से जुड़ा था। TV9 बांग्ला की एक रिपोर्ट के अनुसार, हुसैन 1998 में तृणमूल कॉन्ग्रेस में शामिल हुआ और एक दशक से अधिक समय तक पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। पार्टी रैंक के भीतर एक ‘कुशल आयोजक’ के रूप में जाना जाता है, वह रामपुरहाट क्षेत्र में नगर निगम और रेत खनन व्यवसाय को नियंत्रित करता है।
एबीपी आनंद के मुताबिक, गरीबी में पला बढ़ा हुसैन राजमिस्त्री के तौर पर काम करता था। वो अपने परिवार के साथ कच्चे घर में रहता था। 2011 के बाद उसका ‘भाग्य’ बदल गया। आज वो हुगली जिले में स्थित संधिपुर गाँव में एक बंगले में रहते हैं। वह कई घरों और कारों के मालिक भी हैं।