मुंगेर में दुर्गा पूजा के बाद माता की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान पुलिस पर बर्बरता के आरोप लगे। इस घटना में दो लोगों के मरने की बात कही जा रही है और दो दर्जन के करीब घायल हैं। पुलिस की इस कार्रवाई के बीच एक नाम जो बार-बार उछल कर सामने आ रहा है और जिसकी तुलना लोग जालियाँवाला बाग़ नरसंहार के जनरल डायर से कर रहे हैं, वो हैं मुंगेर की एसपी और जदयू सांसद रामचंद्र प्रसाद (RCP) सिंह की बेटी लिपि सिंह का।
इस घटना के बाद लिपि सिंह ने जिस तरह के बयान दिए, उससे पुलिस के प्रति लोगों के गुस्से में और उछाल ही आया। उन्होंने पुलिस द्वारा फायरिंग की बात से साफ़ इनकार कर दिया और इसके लिए ‘असामाजिक तत्वों’ को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने ‘बदमाशों’ पर पत्थरबाजी के आरोप लगाए। अब लोगों का सवाल ये है कि ये ‘असामाजिक तत्व’ हैं कौन? श्रद्धालु? हिन्दू? माँ दुर्गा की पूजा करने वाले उनके भक्त?
लिपि सिंह काफी चर्चे में रहती आई है और मीडिया का एक धड़ा उन्हें ‘लेडी सिंघम’ कह कर भी पुकारता है। बिहार में वैसे भी पिछले कुछ वर्षों में गुप्तेश्वर पांडेय, मनु महाराज और शिवदीप लांडे जैसे आईपीएस अधिकारी काफी चर्चित रहे हैं। लिपि सिंह की छवि भी मीडिया ने कुछ वैसी ही बनाई है। उनकी कार्रवाइयाँ खबरें बनती हैं और उनके बयान स्थानीय मीडिया में चर्चा का विषय। लेकिन, इस बार वो जबर्दस्त आलोचना का शिकार हो रही हैं।
कौन हैं मुंगेर एसपी लिपि सिंह के पिता RCP सिंह?
लिपि सिंह के बारे में जानने से पहले हमें ये समझना पड़ेगा कि उनके पिता RCP सिंह कौन हैं। उन्हें जदयू का संकटमोचक माना जाता है, जो नीतीश कुमार के दाएँ हाथ कहे जाते हैं। यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे आरसीपी सिंह ने 2010 में राजनीति में कदम रखा था और उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया था। 2016 में उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद फिर से उन पर भरोसा जताया गया।
आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के प्रधान सचिव रह चुके हैं। दोनों का गृह जिला नालंदा ही है। 62 वर्षीय आरसीपी सिंह ने उत्तर प्रदेश के कई विभागों में बड़े पद संभाले थे। जब नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री थे, तब उन्होंने उनके सचिव के रूप में काम किया था और यहीं से दोनों की घनिष्ठता बढ़ती चली गई। नीतीश कुमार के हर फैसले में उनकी राय ज़रूर ली जाती है। 2017 में मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान तो उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की भी चर्चा थी।
एक समय तो दोनों में अनबन की बातें भी सामने आई थीं, जब बिहार में प्रशांत किशोर की एंट्री हुई थी। मीडिया में चर्चा थी कि आरसीपी सिंह पर निर्भरता कम करने और उनके दबदबे को घटाने के लिए ही प्रशांत किशोर को मंत्री के स्तर का दर्जा दिया गया है। इस बार भी वो विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं और जदयू नेताओं के साथ बैठक कर फीडबैक लेते रहते हैं। उनके अलावा एक ललन सिंह ही हैं, जिन्हें नीतीश का इतना करीबी माना जाता है। ललन सिंह मुंगेर से दूसरी बार सांसद बने हैं।
मीडिया में अक्सर चर्चा में रहती हैं लिपि सिंह
बिहार में कई पुलिस अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें किसी खास क्षेत्र में सिर्फ इसीलिए भेजा गया, ताकि वो किसी खास ‘बाहुबली’ पर लगाम लगा सकें। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने बेगूसराय में माफिया अशोक सम्राट के खिलाफ कार्रवाई की। लिपि सिंह बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह के ठिकानों पर छापेमारी के बाद चर्चा में आई थीं। उन्होंने अनंत सिंह के खिलाफ यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की थी, जिसके बाद विधायक अनंत सिंह को फरार होना पड़ा था।
बिहार में ‘छोटे सरकार’ कहे जाने वाले अनंत पटना के मोकामा से बतौर MLA हैट्रिक लगा चुके हैं। अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने आरोप लगाया था कि वो जानबूझ कर उनके करीबियों को परेशान कर रही हैं, जिसके बाद उनका ट्रांसफर हुआ था। इस छापेमारी में एक एके-47 राइफल सहित कई कारतूस व खोखे भी मिले थे। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद लिपि सिंह को बाढ़ का एसडीपीओ बना कर भेजा गया।
General Reginald Dyer
— #AllLivesMatter (@ExSecular) October 27, 2020
Bihar’s General Dyer – Lipi Singh #Munger pic.twitter.com/S9SzU1DN9f
हालाँकि, नीलम देवी लोकसभा चुनाव हार गईं और जदयू के ललन सिंह विजयी रहे। इसके बाद उन्होंने भी लिपि सिंह को अनंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए खुली छूट दे दी। उन्होंने एक-एक कर के अनंत समर्थकों व उनके गिरोह के लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। हालाँकि, बाद में मोकामा से पिछले 15 साल से विधायक अनंत सिंह ने भी आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया गया।
लिपि सिंह के पति सुहर्ष भगत भी आईएएस अधिकारी हैं और वो फ़िलहाल बाँका के डीएम हैं। ये चर्चा आम है कि चुनाव के दौरान ट्रांसफर के क्रम में लिपि सिंह का स्थानांतरण क्यों नहीं किया गया? उनके जदयू कनेक्शंस के बावजूद उन्हें चुनावी ड्यूटी पर लगाने को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अनंत सिंह पर कार्रवाई के कुछ महीने बाद वो एएसपी से एसपी बनी थीं। अनंत ने भी आरोप लगाया था कि वो अपने पिता के इशारों पर उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही थीं।
लिपि सिंह 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान जब आयोग ने उनके ट्रांसफर किया था, तब उन्हें ‘एंटी टेररिज्म स्क्वाड’ में एएसपी बनाया गया था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि बिहार एक पुरुष प्रधान राज्य है। उनका कहना था कि एक महिला होने के कारण किसी को नहीं लगता कि वो रात में छापेमारी कर सकती हैं और ऐसा होने पर लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं।
Shame on RJD for politicising the unfortunate incident. Bihar is in the middle of an election and administration is under the guidance of EC. Local reports suggest that a faction aligned to RJD, with the intention of wanting to create trouble in the run up to polls, opened fire. https://t.co/dahbSAWMlE
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 28, 2020
अगस्त 2019 में लिपि सिंह पर आरोप लगा था कि वो दिल्ली के साकेत कोर्ट में अनंत सिंह के लिए जब ट्रांजिट रिमांड लेने गई थीं, तो उन्होंने जदयू नेता की गाड़ी का इस्तेमाल किया था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि वो जदयू के विधान पार्षद रणवीर नंदन की गाड़ी से दिल्ली गई थीं। तब कॉन्ग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने भी यही आरोप लगाए थे। कॉन्ग्रेस ने जाँच की माँग उठाते हुए पूछा था कि उन्होंने पुलिस की गाड़ी का उपयोग क्यों नहीं किया?
हालाँकि, तब जदयू प्रवक्ता ने इसका बचाव करते हुए पूछा था कि क्या किसी नेता की गाड़ी का प्रयोग करना गुनाह है? सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा था। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी अब नीतीश कुमार से सवाल दागा है कि पुलिस को जनरल डायर बन निर्दोषों पर क्रूरतापूर्वक गोली चलाने की अनुमति किसने दी? साथ ही अपनी सरकार बनने पर दोषियों को सज़ा देने की बात कही है।
इधर भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय का कहना है कि बिहार में हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का राजद राजनीतिकरण कर रहा है। उनका कहना है कि बिहार में फ़िलहाल चुनाव चल रहे हैं और वहाँ प्रशासन की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजद के ही एक स्थानीय गुट ने क्षेत्र में चुनाव से पहले तनाव फैलाने के इरादे से फायरिंग की। जो भी हो, मुंगेर में जनता ने मतदान में सक्रियता न दिखा कर अपना आक्रोश सभी राजनीतिक दलों के सामने प्रकट कर दिया है।