उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 130 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई है जबकि सैकड़ों अन्य घायल भी हुए हैं। जिस सत्संग में यह भगदड़ मची है उसमें कथावाचक के तौर पर भोले भाबा का नाम सामने आ रहा है। भोले बाबा को नारायण साकार हरि के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग उन्हें कासगंज के पटियाली वाले बाबा भी कहते हैं। नारायण साकार हरि लोगों को ‘मानव धर्म’ अपनाने की सलाह देते हैं। उनके अधिकतर अनुयायी पश्चिम उत्तर प्रदेश से हैं। अखिलेश यादव भी नारायण साकार हरि के भक्त हैं।
नारायण साकार हरि उर्फ़ भोले बाबा का पूर्व में इतिहास क्या है ये उनके असली नाम की तरह रहस्य ही है। कुछ लोग और मीडिया की रिपोर्ट्स उनको इंटेलिजेंस ब्यूरो का पूर्व अधिकारी बताती हैं जबकि कुछ जगहों पर उन्हें भारतीय सेना का रिटायर्ड सैनिक लिखा गया है। कई लोग उन्हें पुलिस का सेवानिवृत जवान भी बताते हैं। कहा जाता है कि रिटायरमेंट के बाद नारायण साकार हरि अलीगढ़, एटा और आसपास के जिलों में लोगों के समूहों को सम्बोधित करने लगे। धीरे-धीरे उनका प्रचार बढ़ता गया जिस से लोगों की तादाद में बढ़ोतरी होने लगी।
कथित भोले बाबा उर्फ़ नारायण साकार हरि के आयोजनों से पहले आयोजक पोस्टरों और पदयात्रा आदि से इलाके में खूब प्रचार करते हैं। वो ‘मानव धर्म’ की बात करते हैं। उनका अर्श वाक्य है, “मानव धर्म सत्य था, है और रहेगा।” उनके पोस्टरों के ऊपर नारायण साकार हरि की समूचे ब्रह्माण्ड में जय-जयकार लिखी जाती थी। उनके प्रवचनों में ‘सोचकर देखो साथ क्या जाएगा’ जैसी लाइनें अक्सर दोहराई जाती थीं। उनके अनुयायी आयोजित होने वाले सम्मेलनों को ‘मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम’ कह कर बुलाते हैं।
कोरोना काल में भी तमाम रोकटोक के बावजूद भोले बाबा के सत्संग जारी थे। तब उन्होंने 50 लोगों की अनुमति माँगी थी लेकिन इसके बावजूद 50 हजार से अधिक लोगों का जमावड़ा लगा दिया था। नारायण साकार हरि खुद को सोशल मीडिया से दूर रखते हैं। उनका आधिकारिक एकाउंट अभी तक किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं है। उनके अनुयायियों की अच्छी तादाद मूलतः पश्चिम उत्तर प्रदेश में हैं। हालाँकि, उनके सम्मेलनों में पूरे उत्तर प्रदेश एक अलावा उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से भी लोगों के आने का दावा किया जाता है।
साकार नारायण हरि का जन्म जाटव परिवार में हुआ था। उनके अनुयायियों में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक हैं। अखिलेश यादव साल 2023 में भोले बाबा के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। तब उन्होंने इस कार्यक्रम की तस्वीरें न सिर्फ अपने ‘X’ हैंडल पर शेयर की थीं बल्कि कैप्शन में ‘नारायण साकार हरि की सम्पूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो’ भी लिखा था। इसी दौरान अखिलेश यादव ने भोले बाबा की सभा में उमड़ी भीड़ को भी दिखाया था। भीड़ में सिख समुदाय के लोग भी दिख रहे थे।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 3, 2023
बताया जाता है कि नारायण साकार हरि का सत्संग खत्म होने के बाद उनके पैरों के नीचे दबी मिट्टी को छूने और हासिल करने के लिए खींचतान होती थी। कई बार आयोजक लोगों को लाइन में लग कर नारायण साकार हरि के पैरों से दबी मिट्टी देते थे।