अयोध्या में भगवान राम के नवनिर्मित भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। आज मंगलवार (16 जनवरी 2024) से शुरू यह अनुष्ठान 22 जनवरी 2024 को संपन्न होगा। इस संपूर्ण कार्यक्रम की शुरुआत अयोध्या में ‘प्रायश्चित पूजा’ के साथ की गई है। प्रायश्चित पूजा को मुख्य यजमान द्वारा किया जाता है। इसे विशेष पूजा माना जाता है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा को प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का मुख्य यजमान बनाया गया है। उन्हें इस पूरे कार्यक्रम के दौरान न सिर्फ मौजूद रहना है, बल्कि उन्हीं के हाथों से सभी कार्यक्रम संपन्न कराए जाएँगे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यजमान के तौर पर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान अनुष्ठान करेंगे। इसके वो कड़े व्रत का पालन भी कर रहे हैं।
क्या है प्रायश्चित पूजा?
प्रायश्चित पूजा के माध्यम से रामलला से क्षमा माँगी जा रही है। ये क्षमा प्रतिमा बनाने के दौरान छेनी-हथौड़ी या किसी भी वजह से उन्हें जो चोट लगी होगी, उसके लिए माँगी जाती है। प्रायश्चित पूजा के लिए यजमान को विशेष तौर पर तैयार किया जाता है। मुख्य यजमान को 10 विधि से स्नान कराया जाया है। उनमें सबसे पहले गोमूत्र से स्नान कराया जाएगा। उसके बाद गोमय, गोदुग्ध, गोदधि, गोघृत, कुशोदक, भस्म, मिट्टी और शहद से स्नान कराए जाने के बाद अंत में पवित्र जल से स्नान कराया जाएगा।
यजमान के स्नान इत्यादि के दौरान प्रायश्चित पूजा से जुड़े मंत्रोच्चार और अंगभूत हवन होता रहता है। हवन के बाद मुख्य यजमान पंचगव्य का प्राशन करते हैं। तब जाकर मुख्य यजमान इस पूरे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए योग्य होते हैं। प्रायश्चित पूजा के दौरान गोदान भी किया जाता है। इसके अलावा द्रव्य (मुद्रा) दान, स्वर्ण दान भी करना होता है। इस पूरे अनुष्ठान में लगभग 2 घंटे का समय लगता है। इसके बाद कर्मकूटि पूजन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए अयोध्या में होंगे। इसके लिए वे खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर शुद्ध रखने के लिए 11 दिनों का व्रत कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर के तीन दिन लकड़ी से बनी चौकी पर केवल कंबल बिछाकर सोएँगे।
इन तीन दिनों पीएम मोदी सिर्फ फलाहार करेंगे। खुद पीएम मोदी ने इस बात की जानकारी माँगी थी कि उन्हें व्रत से जुड़ी जानकारियाँ दी जाए। वो कठिन से कठिन व्रत करने को भी तैयार हैं। ऐसे में पीएम मोदी को जाप के लिए विशेष मंत्रों की भी जानकारी दी गई है।
कर्मकूटि पूजन
कर्मकूटि पूजन उस पूजन को कहा जाता है, जिसमें मुख्य हवन वाली वेदी को जागृति किया जाता है। इस पूजन के पश्चात ही मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कार्यक्रम की शुरुआत होती है। प्रायश्चित पूजा भगवान से क्षमा और यजमान को तैयार करने के लिए होती है। कर्मकूटि पूजन कार्यक्रम के साथ ही अनुष्ठान को मुख्य मंदिर में किया जाता है। कर्मकूटि पूजन में भगवान विष्णु का आह्वान किया जाता है। इस पूजन के बाद ही अन्य वेदियों को जागृत किया जाता है।
22 जनवरी तक होंगे ये अनुष्ठान
16 जनवरी: प्रायश्चित और कर्मकूटि पूजन
17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जलयात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास
भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार (22 जनवरी, 2024) को है। सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजित मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ 16 जनवरी 2024 से शुरु हो गया है, जो 21 जनवरी 2024 तक चलता रहेगा। इसके बाद 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। इस संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान गणेश्वर शास्त्री द्राविड सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन कर रहे हैं। वहीं, काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।