केरल से अवैध संबंधों (Illegal Relationship) का मामला प्रकाश में आया है, जहाँ अपने पति को अनदेखा कर चोरी-छिपे एक महिला दूसरे पुरुष से बातें करती थी। इस मसले पर सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने फैसला सुनाया कि अपने पति के द्वारा दी गई चेतावनी को अनदेखा करना वैवाहिक क्रूरता की तरह होता है। इसी के आधार पर कोर्ट ने पति के हक में तलाक देने का फैसला सुनाया।
इस मामले की सुनवाई केरल उच्च न्यायालय के जस्टिर कौसर एडप्पागथ ने की। उन्होंने अपने फैसले में ये भी कहा कि केवल समझौता क्रूरता की माफी के बराबर नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा, “पति की चेतावनी को अनदेखा करते हुए पत्नी द्वारा किसी दूसरे पुरुष को बार-बार फोन करना वो भी गलत समय में वैवाहिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।” अदालत पीड़ित पति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसमें उसने फैमिली कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने व्यभिचार और क्रूरता के आधार पर विवाह को रद्द करने की माँग को खारिज कर दिया था।
हाई कोर्ट में पीड़ित पति की पैरवी कर रहे वकील टीएम रमन कार्थी ने अदालत में सबूत के तौर पर बताया कि बीएसएनएल के सीडी प्रिंट के देखकर पता चलता है कि कि उनके मुवक्किल की पत्नी और किसी दूसरे व्यक्ति के बीच लगातार बातचीत होती थी, जिससे ये सिद्ध होता है कि दोनों के बीच अवैध संबंध थे। वहीं इस मुद्दे पर महिला के पति ने भी कहा है कि जब से उसकी शादी हुई थी, तभी से उसकी पत्नी के ‘विधर्मी कार्यों’ के कारण उसका वैवाहिक जीवन नर्क सा बन गया है। उसका आरोप है कि शादी से पहले वो जिस व्यक्ति के संबंध में थी, शादी के बाद भी वो उसी के संपर्क में है।
पत्नी की ओर से पेश अधिवक्ता एम.बी.संदीप ने इन दावों का खंडन किया और तर्क दिया कि वह दूसरे प्रतिवादी को कभी-कभार ही बुलाती थी, वह भी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए।
तीन बार अलग हो चुके हैं दोनों
पति पत्नी के बीच कलह की शुरुआत 2012 में हुई उसके बाद से वो दोनों तीन बार अलग हो चुके हैं। लेकिन हर बार किसी न किसी समझौते के कारण फिर साथ आ जाते। पति ने कोर्ट में ये भी बताया कि उसने अपनी पत्नी और उस शख्स के बीच हुई अश्लील बातों को सुन लिया था। इसको लेकर जब उसने अपनी पत्नी से पूछताछ की तो उसने कहा कि उक्त शख्स का उसके शरीर और मन पर उससे अधिक अधिकार है।