डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती, पैगंबर मोहम्मद पर अपने विचार रखने के बाद से ही इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। उन्हें अनेकों धमकियाँ भी मिल चुकी हैं किन्तु फिर भी उन्होंने बिना डरे गोवा क्रॉनिकल को दिए गए एक इंटरव्यू में इस्लाम पर अपने विचारों को रखा।
‘ट्रुथ मैटर्स’ नाम के एक शो में चर्चा करते हुए यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा, “इस्लाम और कट्टरवादी इस्लाम में कोई अंतर है ही नहीं। इस्लाम कट्टरपंथी ही है। सॉफ्ट इस्लाम जैसा कुछ होता ही नहीं है। इस्लाम सिर्फ मुहम्मद के बताए रास्ते पर चलता है। मुस्लिमों को मुहम्मद के विचार और शिक्षाओं का अनुसरण करना होता है। इस्लाम इस दुनिया के सभी धर्मों के लिए एक खतरा है। पिछले 1400 वर्षों में इस्लाम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। बल्कि यह आज और खतरनाक हुआ है।“
यति नरसिंहानंद ने कहा कि अपनी महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए लोगों को यह सत्य स्वीकार करना ही होगा।
महंत यति नरसिंहानंद ने कहा कि वह सनातन धर्म के अनुयायी हैं और किसी भी दूसरे पंथ या मजहब के विरोधी नहीं हैं लेकिन दूसरे मजहब को अपने पर थोपे जाने के विरोधी अवश्य हैं। उन्होंने कहा, “मैं हिन्दू महिलाओं और बच्चों की रक्षा करने के लिए आवाज उठा रहा हूँ। हमारे बच्चों और महिलाओं को भी जीने की आजादी है लेकिन यदि कोई मजहब यह सोचता है कि वह हमारी महिलाओं और बच्चों को डरा सकता है तो मैं यह काभी भी बर्दाश्त नहीं करूँगा। मैं इसके विरुद्ध आवाज उठाता रहूँगा।“
यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि उन्हें इस बात का अंदाजा था कि उनके जीवन को खतरा है लेकिन फिर भी वह भारतीय समाज को जागृत करने के लिए कार्य करते रहेंगे।
पैगंबर मुहम्मद के विषय में अपने विचार रखने के बाद से ही डासना देवी मंदिर के मुख्य महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के विरुद्ध मुस्लिम कट्टरपंथी प्रदर्शन कर रहे हैं। कई राजनैतिक दलों के नेताओं और मुस्लिम समूहों द्वारा यति नरसिंहानंद की कथित ईशनिंदा पर उनकी गर्दन काटने का फतवा भी दिया जा चुका है।