सोमवार (26 सितंबर, 2022) को सूचना और प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) ने आईटी अधिनियम 2021 के तहत 10 यूट्यूब (YouTube) चैनलों के 45 वीडियो को ब्लॉक करने का फैसला किया था। आईटी अधिनियम 2021 सरकार को यह अधिकार देता है कि वो उन डिजिटल सामग्री को ब्लॉक कर सके जो देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हों या जिनसे कानून-व्यवस्था बिगड़ने का डर हो। ऑपइंडिया ने सोमवार (26 सितंबर) को एक रिपोर्ट में बताया था कि 45 वीडियो की उस लिस्ट में शामिल यूट्यूबर ध्रुव राठी के एक वीडियो पर यूट्यूब ने सरकार के आदेश का पालन नहीं किया।
ध्रुव राठी को ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ समर्थक के तौर पर जाना जाता है। उन पर अपने वीडियो से झूठी सूचना फैलाने और दुष्प्रचार का आरोप है। भारत सरकार की ब्लॉक लिस्ट में शामिल उनके वीडियो में राठी ने भारत का एक आधा-अधूरा नक्शा दिखाया था। इस नक्शे में कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में और विवादित के तौर पर दिखाया गया था। भारतीय कानून में ऐसा नक्शा दिखाना दंडनीय अपराध है।
भारत सरकार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के उन वीडियो को ब्लॉक करने की जानकारी साझा की थी लेकिन कॉन्फ्रेंस के कुछ समय बाद तक भी ध्रुव राठी का वीडियो यूट्यूब पर ऑनलाइन रहा। NDTV के पत्रकार अखिलेश शर्मा ने ट्वीट कर के ध्रुव राठी के उस वीडियो का स्क्रीनशॉट शेयर किया था। इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर यूट्यूब द्वारा भारत सरकार का आदेश न मानने की चर्चा छिड़ गई थी। हालाँकि बाद में ऑपइंडिया की रिपोर्ट और लोगों के विरोध को देखते हुए यूट्यूब ने ध्रुव राठी के उस वीडियो को भारत में प्रतिबंधित कर दिया था।
Abhi bhi hai? https://t.co/oh9NC4MCg8
— Lala 🇮🇳 (@FabulasGuy) September 26, 2022
अब राठी के इस वीडियो लिंक पर क्लिक करने पर यूट्यूब भारत सरकार द्वारा कानूनी शिकायत के बाद वीडियो के भारत में उपलब्ध न होने की जानकारी दे रहा है।
ध्रुव राठी ने यह विवादित वीडियो 11 अप्रैल, 2022 को अपलोड किया था। तब उन्होंने इसे पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गिरने के मुद्दे से जोड़ा था। इसी वीडियो के 4:41 मिनट पर राठी ने भारत का विकृत मानचित्र दिखाया था। इस मानचित्र में भारत के कुछ हिस्से पाकिस्तान में दिख रहे थे। यही इस वीडियो के भारत सरकार के ब्लॉक लिस्ट में होने की वजह बनी थी। ध्रुव राठी कई मुद्दों पर वीडियो बनाते हैं, जिसमें राजनीति, विज्ञान, यात्रा और फिल्म जैसे विषय भी शामिल हैं। राठी पेड प्रमोशन भी करते हैं।
इस पूरी उठा-पटक में ये बात खास रही कि यूट्यूब द्वारा वीडियो बैन करने से पहले ध्रुव राठी ने अपने वीडियो को एडिट कर के बचने की कोशिश की थी। इस एडिटिंग में उन्होंने विवादित मानचित्र वाले हिस्से को धुंधला किया था। हालाँकि, राठी की एडिटिंग काम नहीं आई और अंततः यूट्यूब को उस वीडियो को ब्लॉक करना पड़ा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि उन्हें इस बात का संदेह है कि यूट्यूब अंदर ही अंदर ध्रुव राठी की मदद कर रहा है।
ऑपइंडिया से बातचीत के दौरान सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, “आमतौर पर यूट्यूब वीडियो अपलोड करने वाले को कानूनी आदेश की जानकारी एक संदेश भेज कर देता है। इन संदेशों में आपत्तिकर्ता से सम्पर्क कर के मामले को सुलझाने की सलाह भी होती है। यूट्यूब के उन संदेशों में कुछ अतिरिक्त और विशेष जानकारी शामिल नहीं होती, जिसमें आपत्ति का बिंदु आदि बताना शामिल हो। ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी ने राठी को सरकार की आपत्ति वाला बिंदु बता कर उसके समाधान की सलाह दी हो। ऐसी जानकारी साझा करना नियमों के विरुद्ध है।”
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने यह भी खुलासा किया कि मंत्रालय के सवाल के बाद भी ध्रुव राठी ने किसी प्रकार की जानकारी देना भी मुनासिब नहीं समझा। उन्होंने सूचना देने की जहमत भी नहीं उठाई, जैसा कि मंत्रालय ने माँगी थी। हालाँकि, पूर्व में ऑपइंडिया सहित कई कंटेंट क्रिएटर्स और तमाम डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स ने किसी भी आपत्ति पर सरकार द्वारा माँगी सूचना पर उन्हें विधिवत रूप में जानकारी दी है।
यहाँ ये बात भी गौर करने योग्य है कि यूट्यूब द्वारा भारत सरकार के आदेश पर राठी के वीडियो को बैन करने से पहले ही वीडियो का विवादित हिस्सा एडिट कर दिया गया था। यहाँ ये सवाल उठता है कि बिना किसी आंतरिक सूत्र के आखिर राठी को कैसे पता चला कि सरकार उसके वीडियो के किस हिस्से पर आपत्ति दर्ज करवाने वाली है। यहाँ दूसरा सवाल ये उठता है कि सरकार की लिस्ट में शामिल सभी वीडियो को बैन करने वाले यूट्यूब ने ध्रुव राठी का भी वीडियो उसी समय बैन क्यों नहीं किया था। इस से कहीं न कहीं शक उठता है कि यूट्यूब के अंदर कोई राठी की अंदरूनी मदद कर रहा है।
आखिरकार यूट्यूब ने अपवाद बनाने के बाद भारत सरकार के आदेशों का पालन किया। इस चिंता के विषय पर भारत सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए कि कैसे बड़ी-बड़ी टेक्निकल कंपनियों द्वारा उनके आदेशों की नाफरमानी की जाती है।