कोरोना वायरस के कहर से कराह रही देश की राजधानी दिल्ली में वैक्सीनेशन के लिए केजरीवाल सरकार ने बजट में 50 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। जबकि, दिल्ली की जनसंख्या ही 2 करोड़ है। यहाँ के सभी लोगों का टीकाकरण करने के लिए कम से कम 4 करोड़ वैक्सीन डोज की आवश्यकता होगी। एक खुराक की लागत 250 रुपए या उससे कुछ ज्यादा ही है। यानी दिल्ली की पूरी आबादी के टीकाकरण के लिए कम से कम 1000 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी के लिए इतना छोटा सा बजट केजरीवाल सरकार की महामारी को लेकर कथित गंभीरता को दर्शाता है।
कोविड संकट से खराब तरीके से निपटने के लिए अपनी सरकार से नाराज लोगों को शांत करने के लिए दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली वासियों के लिए फ्री कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम-‘आम आदमी फ्री कोविड वैक्सीन’ की घोषणा की।
.#COVID19 वैक्सिनेशन लगाने के दिल्ली की सरकार ने बजट में रखे – 50 करोड़
— Harish Khurana (@HarishKhuranna) May 14, 2021
अपने प्रचार में ख़र्च – 293.करोड़
यह है “@msisodia का वैक्सिनेशन मैनज्मेंट “
Budget- 50 CR on Covid Vaccination
293 CR on Self Promotion.
This is what “@ArvindKejriwal model of vaccination management “ pic.twitter.com/bAPM22aOjX
दिल्ली कोरोना वायरस की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है। रेमडेसिविर सहित आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, मेडिकल ऑक्सीजन समेत प्रमुख एंटीवायरल ड्रग्स की कमी दिल्ली में है। इस महामारी ने दिल्ली सरकार की इससे निपटने की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है। इससे इस बात का खुलासा हो गया है कि किस तरह से केजरीवाल सरकार की अक्षमता के कारण दिल्ली में संक्रमण के हालात बहुत ही बुरे रहे हैं।
वैक्सीन एकाधिकार को खत्म करने के लिए केजरीवाल ने हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोविशील्ड और कोवैक्सीन के निर्माण का जिम्मा दूसरी कंपनियों को भी देने की माँग की थी। उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर को बहुत ही घातक बताते हुए कहा केंद्र सरकार से पूरे देश का टीकाकरण बहुत तेजी से करने की अपील की थी।
केजरीवाल ने पीएम मोदी के नाम लिखे पत्र में कहा, “कोविड की दूसरी लहर बहुत घातक है और कई लोगों की जान लेने के बाद यह बीमारी गाँवों तक पहुँच गई है। जल्द से जल्द सभी नागरिकों को टीका लगाने की आवश्यकता है। वर्तमान में केवल दो कंपनियाँ भारत में टीके का निर्माण कर रही हैं। सिर्फ दो कंपनियों के जरिए पूरे देश को वैक्सीन मुहैया कराना संभव नहीं है। इसके लिए युद्ध स्तर पर वैक्सीन निर्माण में तेजी लाने की आवश्यकता है। ”
केजरीवाल के लिए जन स्वास्थ्य से अधिक प्रचार अहम
केजरीवाल सरकार की कथनी-करनी में अंतर को इस बात से समझा जा सकता है कि इस सरकार ने वैक्सीनेशन के लिए कुल 50 करोड़ रुपए ही आवंटित किए। इसके विपरीत, AAP ने खुद के विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए 2021 के पहले तीन महीने में ही 150 करोड़ रुपए से अधिक का आवंटन किया था। बीते 8 अप्रैल 2021 को एक आरटीआई के जवाब से पता चला था कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने जनवरी 2021 से मार्च 2021 के दौरान विज्ञापनों पर 150 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
एक ट्विटर यूजर आलोक भट्ट द्वारा शेयर किए गए आरटीआई से पता चला है कि जनवरी 2021 में AAP सरकार द्वारा विज्ञापनों पर 32.52 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, फरवरी 2021 में 25.33 करोड़ रुपए और मार्च 2021 में 92.48 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। ऐसे हालात में जब कोरोना की दूसरी लहर से राष्ट्रीय राजधानी की स्वास्थ्य सेवाएँ चरमरा रही हैं, केजरीवाल सरकार ने औसतन हर दिन 1.67 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं।
इसमें कुल खर्च प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से विज्ञापन और प्रचार में किया गया है। केजरीवाल सरकार ने बीते 2 साल में अपने प्रचार-प्रसार में 800 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च किया है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि केजरीवाल सरकार के लिए उसका पीआर मैनेजमेंट दिल्ली के सभी लोगों को फ्री वैक्सीन देने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। हाल ही में अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि दिल्ली सरकार जल्द ही कोरोना वैक्सीन खरीदने के लिए वैश्विक स्तर पर निविदा जारी करेगी। लेकिन, केवल 50 करोड़ रुपए के छोटे से बजट के साथ ये संभव नहीं दिख रहा है।
केजरीवाल सरकार की अपनी जिम्मेदारियों को केंद्र पर डालने की प्रवृति रही है, जैसा कि उन्होंने हाल ही में केंद्र सरकार को सभी राज्यों की ओर से टीके खरीदने का सुझाव दिया था। ऐसे में इस बात से कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि वो केंद्र सरकार से दिल्ली के लोगों के मुफ्त टीकाकरण अभियान के लिए बिल भरने को कहें।
कोरोना की दूसरी लहर से दिल्ली की हालत खराब
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले महीने कोरोना वायरस का ऐसा विस्फोट हुआ कि इसके मामलों में तेजी से वृद्धि हुई। हालात ये हो गए कि राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन के लिए मारामारी शुरू हो गई। इसके अलावा दिल्ली के अस्पतालों में बड़ी मात्रा में कोविड बेड, एंटीवायरल ड्रग्स आदि की भारी किल्लत देखने को मिली। हालात इतने अधिक खराब हो गए थे कि राज्य में एक जिम्मेदार सरकार की कमी के चलते मरीजों के रिश्तेदारों को ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मदद माँगनी पड़ा।
इतना ही नहीं दिल्ली के अस्पताकेजरीवाल सरकार के लिए उसका पीआर मैनेजमेंट दिल्ली के सभी लोगों को फ्री वैक्सीन देने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।लों ने एक सुर से आम आदमी पार्टी सरकार पर कोरोना के कुप्रबंधन और ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई नहीं करने का आरोप लगाया था। अस्पतालों का कहना था कि ऑक्सीजन नहीं मिलने से मरीजों की मौतें हुईं। अगर दिल्ली सरकार ने हालात को ठीक से संभाला होता तो संकट को टाला जा सकता था।
राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूरा करने में दिल्ली सरकार की अक्षमता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे अक्सर शहर में ऑक्सीजन की आवश्यकता के संबंध में अपनी खुद की ही बातों का खंडन करते रहते हैं।
ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जब एनसीआर में ऑक्सीजन आपूर्ति, वितरण और उपयोग का ऑडिट करने के लिए एक पैनल गठित करने का आदेश दिया, तो आश्चर्यजनक तरीके से केजरीवाल सरकार ने गुरुवार (13 मई) को ऐलान कर दिया कि उनके पास जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन है। केंद्र सरकार चाहे तो इसे दूसरे राज्यों को दे सकती है।
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन संकट से बाहर आने के लिए दिल्ली को कम से कम 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन हर दिन चाहिए। इसके लिए आप सरकार केंद्र सरकार को लगातार दोषी ठहरा रही है कि वो आवश्यक 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नहीं दे रहा है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक जब केंद्र सरकार ने प्रतिदिन दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी, तो केजरीवाल ने यह कहना शुरू कर दिया कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है।