मॉनसून शुरू होते ही दिल्ली नाले में तब्दील हो जाता है। सड़कों पर पानी भर जाता है और उसमें गाड़ियाँ घंटों तक रेंगने के लिए मजबूर हो जाती हैं। गड्ढे में पानी भरने के लिए दुर्घटनाएँ भी होती हैं और लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ती है। राजधानी के हर्ष विहार इलाके में बारिश के कारण पानी से भरे गड्ढे में ऑटो गिरने से चालक अजीत की मौत हो गई।
ये कोई पहली घटना नहीं है। ऐसी घटनाएँ हर साल मॉनसून में सामने आती हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राजधानी वासियों से वादा किया था कि उनकी पार्टी की सरकार बनने के बाद वे दिल्ली को विश्वस्तरीय राजधानी बना देंगे। उन्होंने दिल्ली को लंदन, पेरिस, टोक्यो आदि की कैटेगरी में खड़ा करने का वादा किया था।
Delhi | Autorickshaw driver dies after his auto falls into a pothole filled with water due to rain in Harsh Vihar area. The incident happened last night, say police. pic.twitter.com/5Wy4HZT9RH
— ANI (@ANI) June 30, 2023
अगल अरविंद केजरीवाल की सरकार के कुल आठ साल के सफर को देखें तो उन्होंने दिल्ली के विकास पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया है। जो थोड़ा बहुत बदलाव दिख रहा है, उसकी वजह केंद्र सरकार और भाजपा शासित नगर निगम रहा है। हाँ, इस दौरान वे अपना सीएम हाउस को निखारने में जरूरत सक्रिय रहे। अपने बंगले को सँवारने के लिए उन्होंने कोविड महामारी के दौरान 45 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।
बंगले के बाथरूम के टाइल्स से लेकर घर के पर्दे तक, रसोई के चम्मच से लेकर सोफे तक उन्होंने विदेशों से मँगवाए। सीएम हाउस को तोड़कर उसे और बड़ा करने का टेंडर जारी किया। ये सब होता रहा, वो भी कोविड काल में, लेकिन दिल्ली की जनता कोविड महामारी के दौरान भी सड़कों पर भटकती रही है। उनकी मदद करने के बजाय दिल्ली की सरकार उन्हें डराने के लिए अफवाह फैलाती रही। वो तो भला को यूपी की योगी सरकार का, जिन्होंने इन मजदूरों को उनके घर तक पहुँचाया।
सरकारी बंगला नहीं लेने से लेकर आलीशान बंगला बनवाने तक सफर तय करने वाले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को विश्वस्तरीय राजधानी बनाने और यमुना को लंदन की टेम्स नदी की तरह साफ-सुथरा करने का सपना यहाँ के लोगों को बार-बार दिखाया। इन सपनों के आधार पर लोगों की भावनाओं का शोषण करते हुए वे वोटों का सौदा करते रहे, हालात सुधरने के बजाय बदतर हुए हैं।
आज भी बारिश शुरू होते ही नालों से पानी बाहर आकर सड़कों पर भर जाने जाते हैं और दुर्गंध से लोगों का जीना हराम कर देते हैं। बारिश की थोड़ी सी बूँदे क्या बनी दिल्ली की सड़कों में बने गड्ढों में पानी भरकर वह तालाब बन जाता है। यमुना नदी का हाल तो दिल्ली के लोग देख ही रहे हैं। यमुना को प्रदूषण मुक्त करना तो दूर, उनमें गिरने वाले शहर के कचरों के प्रबंधन का भी केजरीवाल सरकार कोई हल आजतक नहीं खोज पाई।
अब तक दिल्ली सरकार इन सबके लिए दिल्ली नगर निगम की भाजपा सरकार को दोषी ठहराते आई थी। उसने अक्सर आरोप लगाया कि वह काम करना तो चाहती है, लेकिन केंद्र सरकार फंड नहीं दे रही है, या भाजपा शासित नगर निगम उनके अभियान को सफल नहीं होने दे रही है। हालाँकि, अब MCD भी केजरीवाल के पास है। ऐसे में अब बहाना करने के लिए उनके पास कुछ नहीं बचा।
दिल्ली में जब-जब चुनाव होता है, केजरीवाल सरकार लंदन-पेरिस की बात करती है। साल 2013 और 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने यही मुद्दा लोगों के सामने उठाया। इसके लिए उन्होंने सारा दोष कॉन्ग्रेस की शीला दीक्षित की सरकार पर मढ़ा। लोकसभा चुनाव से पहले 2018 में लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कच्ची कॉलोनी वालों को यही सपना बेचा।
उन्होंने घोषणा की थी कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने के बाद अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर AAP के उम्मीदवार जीतते हैं, दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों को लंदन-पेरिस की तरह बना दिया जाएगा। उन्होंने जनता को मूर्ख बनाने के लिए एक बैठक की और कमिटी बनाने की घोषणा भी की। उसका क्या हुआ, आज तक किसी को पता नहीं चला।
उन्होंने दिल्ली को लंदन-पेरिस जैसा स्वच्छ बनाने का वादा किया, लेकिन प्रदूषण के लिए वे पंजाब के किसानों पर दोष मढ़ते रहे। पंजाब में जब उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो उन्होंने किसानों द्वारा पराली जलाए जाने के खिलाफ ना ही जागरूकता अभियान चलाया और ना ही उन्हें रोकने की कोशिश की। ये वादे भी वादे ही रह गए।
कुल मिलाकर दिल्ली सरकार ना ही सड़कों, नालों, फुटपाथों आदि की दशा सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए और ना ही प्रदूषण को कम करने और दिल्ली को साफ सुथरा बनाने के लिए कोई निर्णय लिया। अंडरपास में पानी भरना, सॉसायटी और कॉलनियों को डूबना दिल्ली के आम बात सी हो गई है।
जगह-जगह बिजली तारों का लटकना, कूड़े-कचरों का सड़ना, बरसात के बाद भी बीमारी का कारण बन गया है। दिल्ली के लोग डेंगू, चिकनगूनिया और मलेरिया के डर से सहमे हुए हैं। हालाँकि, दिल्ली सरकार इन पर प्रभाव काम करने के बजाय राजनीति में व्यस्त है।