Sunday, December 22, 2024
Homeबड़ी ख़बरशेखर गुप्ता के The Print का रिपोर्टिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा, लेखक ने अपने...

शेखर गुप्ता के The Print का रिपोर्टिंग के नाम पर फर्जीवाड़ा, लेखक ने अपने शब्दों के साथ खिलवाड़ पर लताड़ा

द प्रिंट की रिपोर्ट में खुद के भाषण के साथ की गई कारस्तानी को मिश्र ने ट्विटर पर किया उजागर, कहा- द प्रिंट की नीयत पर पहले से ही था संदेह। रिपोर्टर ने उनकी आपत्तियों पर कहा- मेरी मर्जी जो लिखूँ

राजीव गाँधी को ‘डैशिंग यंग मैन’ और ‘बाल-बच्चों वाला प्रधानमंत्री’ होने के नाते आईएनएस विराट का इस्तेमाल ‘शाही छुट्टियों’ के लिए करने पर क्लीन चिट देने वाले शेखर गुप्ता का पोर्टल ‘द प्रिंट’ (एक बार फिर) विवादों के केंद्र में है। अबकी बार युवा लेखक नित्यांनद मिश्र ने पोर्टल पर अपनी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और रिपोर्ट में गलतबयानी का आरोप लगाया है। लेखक ने ट्विटर के जरिए द प्रिंट की कथित पत्रकार कृतिका शर्मा की कारस्तानी उजागर की है।

लेखक नित्यानंद मिश्र ने कहा है कि कृतिका शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए न केवल पत्रकारिता के नैतिक और व्यवसायिक मूल्यों को ताक पर रखा है, बल्कि सफ़ेद झूठ भी बोला है।

कृतिका की इस रिपोर्ट को प्रिंट की संपादकों में से एक रमा लक्ष्मी ने भी शेयर किया था। साथ ही लेखक के विचारों की तुलना पाकिस्तानी तानाशाह जिया-उल-हक से की थी।

‘मेरी मर्जी जो लिखूँ’

यह रिपोर्ट पिछले हफ़्ते दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में दिए गए नित्यानंद मिश्र के भाषण को लेकर है। रिपोर्ट झूठों का पुलिंदा है और इसमें कई तथ्यात्मक गलतियां है। लेखक के अनुसार, कथित पत्रकार ने उनकी बातों की गलत व्याख्या करने की बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि वह (कृतिका) जो सही समझे, वैसा लिखने को स्वतंत्र है। खुद के शब्दों के साथ खिलवाड़ को लेकर नित्यानंद ने कृतिका को अपने भाषण पर बनाई गई एक पीपीटी (पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन) भी भेजी। उन्होंने बार-बार फोन कर, ईमेल और वॉट्सऍप के जरिए कृतिका से इस पर गौर करने का निवेदन भी किया। लेकिन, बार-बार रजामंदी जताने के बावजूद कृतिका ने ऐसा नहीं किया।

गलतियों पर गलतियाँ क्या जान-बूझ कर की गई है ?

लेखक ने अपने भाषण में अरबी-फारसी शब्दों के इस्तेमाल से बचने और उनकी जगह हिन्दी का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। लेकिन, कृतिका शर्मा ने कई जगहों पर अपनी सहूलियत से फ़ारसी को ‘उर्दू’ कर दिया। नित्यानंद मिश्र का यह भी कहना है कि उन्होंने केवल “शासन/प्रभुत्व” बनाम “सरकार” शब्दों की बात की थी, लेकिन कृतिका ने रिपोर्ट को सनसनीखेज़ बनाने के लिए “मोदी” जोड़कर “मोदी सरकार” बनाम “मोदी शासन” कर दिया।

कृतिका ने यह भी झूठ कहा है कि मिश्र ने भाजपा को सलाह दी थी।

इसके अलावा, मिश्र के काम, उनके किताबों की संख्या और संस्कृत तथा हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए वे कब से काम कर रहे हैं सहित कई अन्य तथ्यात्मक गलतियां भी रिपोर्ट में है।

जो मौजूद ही नहीं, उसने कैसे बनाई रिपोर्ट?

नित्यानंद मिश्र का कहना है कि जिस कार्यक्रम में उन्होंने प्रेज़ेंटेशन दिया था, उसमें कृतिका शर्मा मौजूद ही नहीं थीं। साथ ही द प्रिंट का कार्यक्रम में 150 लोगों की मौजूदगी का दावा भी गलत है, क्यूंकि वहां महज़ 40 लोग थे। उन्होंने कहा है कि द प्रिंट की नीयत पर उन्हें पहले से संदेह था। इसलिए, प्रेज़ेंटेशन सार्वजनिक तौर पर किया गया और जल्दी ही YouTube पर वीडियो भी अपलोड कर दिया जाएगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -