तमाम मुश्किलों के बाद भी यदि भाजपा का शुरुआती समय याद किया जाए, तो मालूम पड़ेगा कि देश की सत्ता संभालने के साथ ही मोदी जी ने ऐसी योजनाओं को शुरू किया, जिसने समाज के उस तबके को आगे बढ़ाया है, जो सालों से पिछड़ा था। जिनकी वजह से लोगों के उज्ज्वल भविष्य की न केवल कामना की गई, बल्कि उन्हें समाज में आगे बढ़ने का पूरा मौका दिया गया। ऐसे में भी कुछ नकारात्मक शक्तियों के लगातार वार करने के बाद भी विकास गति धीमी नहीं हुई।
विपक्ष में बैठे लोगों का कहना है कि मोदी जी देश मे बुलेट ट्रेन को लाने का सपना देख रहे हैं, जबकि ग़रीब तबके की स्थिति बिगड़ती जा रही है। ऐसे में लोगों को उन योजनाओं के बारे में जानना ज़रूरी है, जो कि आम लोगों की ज़िंदगी पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से असर करती हैं और जिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता सँभालते ही काम करना शुरु कर दिया था।
सरकार तरह- तरह की योजनाओं के ज़रिये देश के आख़िरी आदमी को रोजगार दिलाने के लिए मशक्कत कर रही है, जिसमें ‘स्टार्टअप इंडिया’ से लेकर ‘स्किल इंडिया’ और ‘मुद्रा योजना’ जैसी योजनाएँ प्रमुख हैं। साथ ही, सरकार न सिर्फ रोज़गारदाता बनना चाहती है, बल्कि उसका एक लक्ष्य देश के युवाओं की क्षमता को विस्तार देते हुए उन्हें भी हर संभव मदद दे रही है जिससे वो समाज में कई लोगों को रोज़गार दे सकें।
जहाँ, मोदी सरकार आम आदमी की ज़िंदगी को बेहतर बनाने के उपाय करती नज़र आती है, वहीं 2014 में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने बेहतर विपक्ष के रूप में सरकार की मदद की बजाय भाजपा के हर कार्य पर प्रश्न चिन्ह लगाने का काम किया है। फिर चाहे वो 2016 में की गई नोटबंदी हो या फिर दुश्मनों के खिलाफ उठाया गया सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में सबसे कड़ा कदम, विरोधी खेमा हर बात में अपने विचारों और सवालों का स्तर गिराता ही जा रहा है।
आज हम आपको भाजपा के उन शुरुआती योजनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनकी वजह से भाजपा ने आम आदमी के कल्याण का सपना पहले साल से ही देखा है। इसमें भारत का विकास सर्वोपरि है। लेकिन कांग्रेस ने जनता को भाजपा के प्रति ऐसे बरगलाया है, कि देश की जनता अब इन बातों में आने लगी है कि भाजपा द्वारा किए गए देश के या देश के नागरिकों के लिए कार्य उनके हित में नही हैं। इसलिए जानना ज़रूरी है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद उसने किस प्रकार जनता के भविष्य को उज्ज्वल करने के लिए लाभकारी कदम उठाए हैं। आइये जानते हैं उन शुरुआती योजनाओं के बारे में जिनके तमाम फ़ायदे यदि आम आदमी की समझ में आ जाएँ, तो भाजपा के लिए 2019 में दोबारा बहुमत से पाना आसान ही होगा।
विपक्ष की कुर्सी पर बैठे कांग्रेस ने विपक्ष की भूमिका अदा करने से ज्यादा भाजपा से अपनी दुश्मनी का समय-समय पर प्रमाण दिया है। क्योंकि, जहां तक राजनैतिक मूल्यों की बात है, उसमें विपक्ष की भूमिका सत्ता में बैठे लोगों को सही दिशा में लाना होता है। सत्ताधारियों को उनकी ज़ुबाँ से किए गए वादे याद दिलाने का होता है, जिन्हें अक्सर राजनेता कुर्सी पाने के बाद भूलते दिखाई पड़ते हैं। लेकिन बेवजह ही लगातार हर मुद्दे पर भाजपा पर ऊँगली उठाना, मोदी सरकार को कटघरे में लेना, साफ़ बताता है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव जीतने के लिए जनता तक पहुँचने की बजाय भाजपा को नीचा दिखाने का एजेंडा बना कर चल रही है।
डिजिटल इंडिया
आधार कार्ड के माध्यम से भारत सरकार ने देश के 121.9 करोड़ निवासियों को डिजिटल पहचान दिलाई है। जिसमें 30 नवम्बर 2018 तक के आंकड़ों में 99% वयस्क शामिल हैं। ‘डिजिटल इंडिया’ के बढ़ते हुए प्रभावों से देश की अर्थव्यवथा में भी बड़ा बदलाव आया है। आधार कार्ड से पैसों का लेन-देन भी डिजिटल तरीकों से किया जाने लगा है। ये सरकार की उपलब्धि है कि भीम एप और आधार कार्ड को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है।
बीते 4 सालों में डिजिटल रास्ता अपनाकर लोगों ने इन आँकड़ों को काफी उछाला है। एक तरफ 2014-15 में जहाँ मात्र ₹316 करोड़ के ट्रान्जेक्शन हुए थे, वहीं 2017-2018 में यह आँकड़ा ₹2,071 करोड़ तक पहुँच गया। यहीं ध्यान देने योग्य बात यह है कि आज के समय में ‘डिजिटल इंडिया’ के लिए भारत सरकार द्वारा बनाए गए ‘भीम एप्लीकेशन’ के ज़रिए सबसे ज्यादा डिजिटल ट्रान्जेक्शन होता है।
इसके अलावा ‘डिजिटल इंडिया’ की दिशा में ‘डिजी लॉकर’ नाम की एप भी लॉन्च की गई। इसमें आप अपने आधार नंबर से ही सभी ज़रूरी काग़ज़ात निकाल सकते हैं, चाहे वो दसवीं की मार्कशीट ही क्यों न हो। जिन काग़ज़ात के खो जाने पर हमें संस्थानों के चक्कर लगाने पड़ते थे, आज वो सब इंटरनेट के ज़रिये मात्र आधार नंबर से पाए जा सकते हैं।
अटल पेंशन योजना
2015 में शुरू हुई यह योजना प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए काफी लाभकारी है। इसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्रों में कार्य करने वालों और मजदूरों के लिए 60 की उम्र के बाद एक नियमित पेंशन प्रदान करना है, ताकि वह मात्र 42 रुपये निवेश करने के साथ खुद को और अपने बुढ़ापे को सुरक्षित कर सके। अब तक ‘अटल पेंशन योजना’ के लाभार्थियों की संख्या 1.24 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। साल 2018-19 में इनकी संख्या में लगभग 27 लाख से ज़्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है।
जन-धन योजना
28 अगस्त 2014 से इस योजना की शुरुआत हुई थी। एक दिन में ही लोगों ने इस योजना के तहत लगभग डेढ़ करोड़ खाते खोले। इन सभी लोगों को 1 लाख रुपये दुर्घटना का बीमा कवर दिया गया। 2016 में तक ये आंकड़े 3.02 करोड़ तक पहुँच गए थे। मार्च 2018 के रिकॉर्डों के अनुसार इस योजना के तहत खोले गए खातों की संख्या 31.20 करोड़ हो गई है। जिनमें 75 लाख से अधिक की धन राशि भी जमा है। लोगों द्वारा इस योजना का बढ़-चढ़ कर फायदा उठाया जा रहा है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ प्रधानमंत्री द्वारा ‘डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रॉन्सफ़र’ योजना द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का सीधा लाभार्थी के बैंक अकाउंट में पहुँचना था। पहले ग़रीबों, वंचितों आदि के पास बैंक अकाउंट न होने के कारण भ्रष्टाचार करनेवाले उनके हक़ के पैसे खा जाते थे, और उचित लोगों तक उनके हिस्से का पैसा नहीं पहुँच पाता था।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
जिस देश में युवाओं के रोजगार को लेकर आए दिन संशय की स्थिति जताई जाती है, वहीं ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ का यही उद्देश्य है कि गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाए। देश के युवाओं को इस काबिल बनाया जाए कि वो बढ़ते दौर में रोज़गार के लिए न सिर्फ़ खुद को सक्षम बना पाएँ बल्कि अपने स्टार्टअप के ज़रिये दूसरों को भी अवसर दे सकें। ‘स्किल इंडिया’ जैसी योजना के द्वारा युवाओं को कई संस्थानों में प्रशिक्षण भी दिया गया।
12 दिसंबर 2018 के आँकड़ों के अनुसार 33,43,335 अभ्यर्थियों को या तो प्रशिक्षण दिया जा चुका है या दिया जा रहा है। इनमें में से कुछ को कम अवधि वाला प्रक्षिक्षण दिया जा रहा है तो कुछ को विशेष परियोजनाओं के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। साल 2018 में इस योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा लोगों को प्लेसमेंट के ज़रिए रोज़गार मिला जिसमें एक बेहतर बात देखने को मिली कि महिलाओं ने पुरुषों को लगभग एक लाख की संख्या से पछाड़ दिया है। साथ ही, अन्य प्रशिक्षुओं के लिए रोज़गार के कई क्षेत्र खुलते दिखाई दिए।
मेक इन इंडिया
‘मेक इन इंडिया’ एक ऐसी सोच का नतीजा है, जिसमें भाजपा ने भारत के सशक्त होने का सपना देखा था। जिसके ज़रिए मोदी सरकार ने एक ऐसे देश की कल्पना की थी जहाँ पर विदेशी और देशी सभी कंपनियाँ भारत में ही वस्तुओं का निर्माण करें। ‘मेक इन इंडिया’ में 4 चीजों पर ज़ोर दिया गया था: नई कार्यविधि, नए बुनियादी ढाँचे, नए क्षेत्र और नई सोच। ‘डिजिटल इंडिया’ के बाद ‘मेक इन इंडिया’ एक ऐसा प्रयोग था जिसने लोगों को अपनी क्षमताओं को विस्तार करने का मौका दिया।
आज हर दिन तिगुनी रफ्तार से लोग अपने बिज़नेस को ऑनलाइन शिफ्ट कर रहे है। घर बैठे अपने हुनर को व्यवसाय का रूप देते लोग ही ‘मेक इन इंडिया’ के उद्देश्य को कामयाब बना रहे हैं। सैमसंग जैसी प्रतिष्ठित मोबाइल कंपनी जो अभी तक केवल विदेशों में अपने मोबाइल सेट का निर्माण करती थी, उसने पहली बार इसी बीच भारत मे अपने मोबाइल बनाने शुरू किए। ये भारत जैसे देश के लिए बहुत बड़ी बात है। जिसे लोग मामूली-सी चीज समझ कर नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ के ज़रिये भाजपा ने देश के लिए एक ऐसा सपना देखा, जहाँ हर घर की रसोई में चूल्हे के धुएँ की जगह एलपीजी सिलिंडर पहुँचाए गए। उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से इस योजना की शुरुआत की गई थी, जिसमें 5 करोड़ महिलाओं की रसोई में मुफ्त गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। पर, हाल ही के आंकड़ों पर यदि पर गौर करें तो इस योजना ने 6 करोड़ का आँकड़ा छू लिया है।
एलपीजी की शुरुआत के बाद से 50 वर्षों में केवल 13 करोड़ कनेक्शन लोगों को उपलब्ध कराए गए थे, जबकि पिछले 54 महीनों में सरकार ने लगभाग इतने ही कनेक्शन उपलब्ध कराए हैं। आज लगभग 80 प्रतिशत लाभार्थी अपने एलपीजी सिलेंडरों की रीफ़िलिंग करवा रहे हैं।
तो, ये थी वो योजनाएँ जिन्हें कुर्सी को सँभालने के साथ ही मोदी सरकार ने कार्यान्वित किया था और जिनका लाभ करोड़ों लोगों ने उठाया है। 2014 से लेकर 2018 के बीच में आज भी कई योजनाएं शुरू की जा रही हैं। जिनका उद्देश्य, बिना जाति-धर्म आदि देखे, हर व्यक्ति का कल्याण है। लेकिन आज भ्रम की स्थिति में फँसकर लोग इन बातों को भी भूल गए हैं कि देश के व्यवस्थित तबके को सुव्यवस्थित करने के साथ ही मोदी सरकार ने बिगड़ी चीजों को भी सुधारा है।
आज हमें समझने की जरूरत है कि विकास की राह इतनी आसान नहीं होती जितनी अपेक्षा की जाती है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिए गए छोटे-बड़े फ़ैसले देश के हित में कार्य कर रहे हैं, जिन्हें समझने के लिए सकारात्मक नज़रिये की ज़रूरत है। 60 साल तक देश को सँभालने वाली कांग्रेस सरकार को ये बात अच्छे से समझनी चाहिए कि यदि उनका लक्ष्य देश का विकास है तो फिर उन्हें हर बात में कमी निकालने की जगह समस्याओं के समाधान के लिए विस्तार से बात करके उन पर सुझाव देना चाहिए। जो लोग भाजपा की कोशिशों को समझते हैं उन्हें बेहतर भारत की तस्वीर भी दिखती ही होगी।
मध्यम वर्ग के लिए मोदी सरकार बनाम कांग्रेस का रिपोर्ट कार्ड आप यहाँ विस्तार से पढ़ सकते हैं।