नेश्नल हेराल्ड ने कल (मार्च 10, 2019) एक ख़बर छापी। इसमें नासिक के पुजारी सुधीर प्रभाकर के दुबई में अरेस्ट होने का समाचार था। इस ख़बर में मूल जानकारी के साथ कई तरह की पृष्ठभूमि को तैयार किया गया। इसे पढ़ते हुए आपको बार-बार लगेगा कि ख़बर पुजारी पर न होकर मुख्यत: RSS और BJP पर केंद्रित है। जिस तरह से नेशनल हेराल्ड ने इस खबर को एंगल दिया है, वो इस बात को ही दर्शाता है कि आरोपित पर लगे आरोप से ज्यादा बड़ा मुद्दा RSS और भाजपा को टारगेट करना है।
अपनी इस खबर को एंगल देने के लिए नेशनल हेराल्ड के सूत्रों का तर्क कितना हास्यास्पद है… जरा समझिए। इस खबर में बताया गया है कि दुबई में जिस सुधीर प्रभाकर को पकड़ा गया है वह RSS का करीबी है। इसलिए उसके गिरफ्तार होने के कुछ देर बाद ही भारतीय दूतावास का एक अधिकारी खुद पुलिस थाने में आकर उसकी बेल को सुनिश्चित किया।
इस ख़बर में अपनी बात को उचित साबित करने के लिए सुधीर के फेसबुक पेज का हवाला देते हुए बताया गया कि सोशल मीडिया पर वह ‘सुधीर दास पुजारी महाराज’ के नाम से सक्रिय है। साथ ही उसकी डीपी RSS प्रमुख मोहन भागवत और महाराष्ट्र मुख्य मंत्री के साथ भी है। यह तर्क किसी के आरोपों को समझाने के लिए जितने हास्यास्पद हैं उतने ही हैरान करने वाले भी… आखिर कोई किसी के सोशल मीडिया अकॉउंट से किसी के अपराधों की पृष्ठभूमि को किस तरह से तय कर सकता है?
इस पूरे ख़बर में हर दूसरी बात में प्रभाकर को आरएसएस और बीजेपी से जुड़ा हुआ बताया जाता रहा है। जबकि ख़बर लिखने वाले ने खुद ही यह बताया है कि प्रभाकर 2006-07 में उस समय लाइमलाइट में आए, जब उन्होंने दलितों के लिए नासिक में मंदिर खोला था, और कहा था कि वह अपने दादा के पापों का प्रायश्चित कर रहे हैं, जिन्होंने डॉ बीआर अम्बेडकर को मंदिर में जाने से रोका था। इसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी से जुड़े और 2009 में बीएसपी की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन इसमें वो हार गए।
नेशनल हेराल्ड इतने पर भी नहीं रुका। इसके तुरंत बाद ख़बर में जिक्र किया गया कि प्रभाकर विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख कार्यकर्ता और सलाहकारी बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं। साथ ही लगातार इस बात पर फोकस किया गया कि यह शख्स बीजेपी का और प्रधानमंत्री मोदी का कट्टर समर्थक है। इसे प्रमाणित करने के लिए खबर में सुधीर के ट्विटर से कई ट्वीट भी शामिल किए गए। कोई व्यक्ति अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कैसी चीजें पोस्ट कर रहा, किसके साथ ली गई फोटो शेयर कर रहा, इससे वह व्यक्ति किस संस्था से जुड़ा है कैसे पता चल जाता है, यह खुद जाँच का विषय है।
राफेल की कमी आज देश ने महसूस की है। हिंदुस्तान आज एक स्वर में कह रहा है कि अगर हमारे पास राफेल होता तो शायद इससे भी नतीजा कुछ और होता।
— Shri Mahant sudhirdas Maharaj (@mahantpt03) March 2, 2019
मोदी विरोध करना है तो जरूर कीजिए लेकिन देश के सुरक्षा हितों का विरोध मत कीजिए: पीएम #ModiAtConclave19 pic.twitter.com/PPkoetSFSN
सोचने वाली बात है कि आखिर कोई मीडिया संस्थान किसी व्यक्ति के अपराध की ख़बर को उसके सोशल मीडिया की वॉल से जोड़कर क्यों दिखाने का प्रयास कर रहा है। आप किसी के सोशल मीडिया से कैसे जाँच सकते हैं कि उसके किए कारनामों के पीछे उसके सोशल मीडिया पर शेयर की गई चीजें जिम्मेदार हैं। स्वयं ही इस बात को बताना कि प्रभाकर बीएसपी से चुनाव लड़ चुके हैं और फिर खुद ही प्रभाकर के सोशल मीडिया खंगालना दर्शाता है कि खबर कि दिशा चाहे कुछ भी लेकिन उसे मोड़ा आरएसएस और बीजेपी की तरफ ही जाएगा।
किसी खबर को कवर करना हर मीडिया संस्थान का काम होता है लेकिन झूठ और अनुमानों का सहारा लेकर किसी खबर को एंगल देना उस संस्थान की विश्वस्नीयता पर सवाल खड़ा करता है। प्रभाकर पर इल्जाम है कि उन्होंने अपनी पूँजी को बढ़ाने के लिए एक शाही परिवार के नाम का इस्तेमाल किया है लेकिन नेशनल हेराल्ड ने इस ख़बर को जो एंगल देकर पेश किया उसमें साफ़ है कि वह विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस की छवि को धूमिल करने के लिए प्रयासरत है। नेशनल हेराल्ड जैसी पत्तलकारिता (माफी चाहती हूँ क्योंकि पत्रकारिता तो ये कर नहीं रहे) करने वाले संस्थानों को समझने की आवश्यकता है कि किसी पार्टी का समर्थन करना और किसी से व्यक्तिगत धोखेबाजी करना एक दूसरे का पर्याय नहीं है।