चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का खुला उल्लंघन चल रहा है। नेताओं द्वारा किए जाने वाली करतूतों की बात तो आयोग तक पहुँच रही है लेकिन मीडिया एजेंसियों द्वारा जो सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने का काम किया जा रहा है, उस पर रोक लगाने में चुनाव आयोग विफल रहा है। राजनीतिक पार्टियाँ माहौल बनाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाती हैं जिस तरह से माहौल बनाने के लिए विदेशी एजेंसियों को हायर करने की ख़बरें आती हैं, उससे पता चलता है कि इस दौर में मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक, प्रचार-प्रसार के हर आयाम पर नज़र रखना कड़ी चुनौती साबित हो रही है। सबसे पहले जानते हैं कि चुनाव आयोग ने क्या नियम बनाया था और कैसे कुछ मीडिया एजेंसियों ने उसका उल्लंघन किया।
चुनाव आयोग ने साफ़-साफ़ कहा था कि पहले चरण का चुनाव शुरू होने से लेकर अंतिम चरण का चुनाव संपन्न होने तक किसी भी प्रकार का एग्जिट पोल प्रतिबंधित रहेगा। अर्थात, 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक किसी तरह के कोई भी एग्जिट पोल प्रिंट या डिजिटल माध्यम से प्रकाशित या प्रसारित नहीं किए जा सकेंगे। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन माना जाएगा। इसके अलावा चुनाव आयोग ने चुनाव से 48 घंटे पूर्व किसी भी प्रकार के ओपिनियन पोल पर भी प्रतिबन्ध चालू हो जाएगा, ऐसा नियम बनाया गया था। ये प्रतिबन्ध प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सिनेमा, टीवी- इन सभी माध्यमों पर लागू करने की बात कही गई थी।
सभी समाचारपत्रों, टीवी न्यूज़ चैनलों और मीडिया संस्थाओं को आयोग द्वारा ये सूचना भेज दी गई थी। लेकिन तब भी, एग्जिट पोल धड़ल्ले से जारी किए जा रहे हैं और बीच चुनाव में माहौल को प्रभावित करने की कोशिशें हो रही हैं। सबसे पहले बात यौन शोषण के आरोपित पत्रकार विनोद दुआ की। विनोद दुआ की बेटी मल्लिका दुआ यौन शोषण के आरोपों पर तब तक काफ़ी मुखर रही थीं और आरोपितों को सज़ा देने की बात कह रही थीं, जब तक ख़ुद उनके पिता पर आरोप न लग गए। उसके बाद उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली। ख़ैर, यहाँ बात एग्जिट पोल्स की हो रही है और विनोद दुआ ने क्या किया, ये भी हम आपको बताते हैं।
Open Violation of EC Guidelines by a news channel @SwarajExpress and it’s anchor @VinodDua7 by showing Exit Polls on air.
— Chowkidar Zankrut Oza (@zankrut) May 7, 2019
Strictest action shall be taken against them @ECISVEEP pic.twitter.com/WDgnfELzek
स्वराज एक्सप्रेस ने एग्जिट पोल जैसे ही कुछ आँकड़े जारी किए, जिसमें विनोद दुआ बतौर एंकर प्रसारित कर रहे थे। यूट्यूब पर इसका वीडियो डाला गया लेकिन जब जनता ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के उल्लंघन को लेकर चेताया तब वीडियो हटा लिया गया। आप इस यूट्यूब लिंक पर जाकर देख सकते हैं कि वीडियो को डिलीट कर लिया गया है। चुनाव आयोग का मानना है कि ऐसे एग्जिट पोल दर्शकों को प्रभावित करते हैं इससे चुनावी प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। विनोद दुआ और स्वराज एक्सप्रेस की एग्जिट पोल में कॉन्ग्रेस को भारी फ़ायदा होता दिख रहा था और भाजपा को औंधे मुँह गिरते हुए दिखाया गया था। इससे समझा जा सकता है कि किसके पक्ष में माहौल बनाने के लिए इस एग्जिट पोल को प्रसारित किया गया।
विनोद दुआ के एग्जिट पोल का चुनाव शुरू होने से पहले पहले कई मीडिया एजेंसियों द्वारा कराए गए ओपिनियन पोल्स से कोई लेना-देना नहीं था, जिससे यह साफ़ पता चलता है कि अगर किसी ख़ास पार्टी के पक्ष में नहीं तो एक ख़ास पार्टी के विरोध में माहौल बनाने और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इस पोल का प्रयोग किया गया। इसका उद्देश्य ही था कि मतदाताओं को बरगलाया जाए। इसे यूट्यब पर लाखों लोगों ने देखा। एक स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है, इसे 5 लाख से भी अधिक लोग देख चुके थे। इस एग्जिट पोल में यूपीए को 2014 में आईं 49 सीटों के मुक़ाबले 137 सीटें दी गई थीं जबकि राजग को 134 सीटों के मुक़ाबले मात्र 66 सीटें दी गई थीं (पहले तीन चरणों के चुनाव के बाद)। डिलीट किए गए वीडियो का लिंक यहाँ क्लीक कर के देखें।
विनोद दुआ के बारे में सारी बातें जगज़ाहिर है, अतः, उनके इरादों पर शायद ही किसी को संदेह हो। अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद उनकी बुराइयाँ गिनाने वाले दुआ ने राजीव गाँधी के बारे में कुछ भी बोले जाने की भर्त्सना की थी। वाजपेयी के निधन के बाद उनकी दलील थी कि मृत व्यक्ति की बुराइयाँ भी जाननी चाहिए जबकि राजीव गाँधी को भ्रष्टाचारी बोले जाने के बाद नाराज़ दुआ ने कहा था कि हमारे देश में नियम है कि मृत व्यक्ति को कुछ नहीं कहा जाना चाहिए। इसीलिए विनोद दुआ के एग्जिट पोल के क्या इरादे थे, इसपर संदेह नहीं होना चाहिए। कुछ इसी तरह की करतूत प्रोपेगंडा वेबसाइट न्यूज़क्लिक ने भी की। असल में, दुआ ने अपना आँकड़ा यहीं से उठाया।
न्यूज़क्लिक की रिपोर्ट अब तक डिलीट नहीं की गई है। अब ताज़ा मामले में देश की प्रमुख समाचार एजेंसियों में से एक आईएएनएस ने भी एक एग्जिट पोल जारी किया। ट्विटर पर अपने आधिकारिक अकाउंट से जारी किए गए इस एग्जिट पोल में कहा गया कि इसे मतदाताओं के बीच किए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है। इस एग्जिट पोल में भी यूपीए को भारी बढ़त दिखाई गई और राजग की सीटों में भारी कमी बताया गया। कुछ लोगों ने कहा कि इस पोल में कुछ राज्यों में कॉन्ग्रेस को इतनीं सीटें दे दी गई हैं, जिसे उसे ख़ुद के इंटरनल सर्वे में भी नहीं मिली। एक यूजर ने कहा कि कॉन्ग्रेस नेताओं को खाता खुलने पर भी संशय है लेकिन आईएएनएस ने 4 सीटें दे रखी है।
A survey of voters undertaken by institutions and calculations by independent psephologists have indicated a surprising unanimity of possible scenarios post-May 23 when the results of the #LokSabhaelections are declared.#Dangal2019 pic.twitter.com/FRdO2gjxun
— IANS Tweets (@ians_india) May 13, 2019
कई ट्विटर यूजर्स ने इस एग्जिट पोल को हिटजॉब करार दिया। इसी तरह हाल ही में कॉन्ग्रेस ने एक ऐसे एग्जिट पोल के माध्यम से प्रचार किया, जिसे एक ब्रिटिश पत्रकार द्वारा जारी किया गया था। यह सीधा चुनाव आयोग के आदेश का उल्लंघन था। इस एग्जिट पोल में राहुल गाँधी के प्रधानमंत्री बनने की बात कही गई थी। उस पूरी रिपोर्ट में भाजपा को लेकर प्रोपेगंडा फैलाया गया। इस रिपोर्ट में चार जजों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर भारतीय संवैधानिक संस्थाओं पर कथित हमलों की बात की गई थी। तुफैल अहमद जैसे पत्रकारों ने इस रिपोर्ट के माध्यम से कॉन्ग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
Here is the latest Election tracker….
— Sumit Kashyap (@sumitkashyapjha) April 25, 2019
Congress is at 150 on its own
Congress+ 213
BJP+ is at 178
Others at 152
Let us see, how things turn out ultimately… pic.twitter.com/BVwtldHRbM
अब सवाल यह उठता है कि ऐसे एक भी एग्जिट पोल प्रकाशित होते हैं तो उन्हें हाथोंहाथ लेकर गिरोह विशेष द्वारा प्रचारित-प्रसारित किया जाता है, आयोग इसे कैसे रोकेगा? मान लीजिए कि आयोग ने कारर्वाई की और उन रिपोर्ट्स या वीडियोज को हटा भी दिया जाता है, लेकिन उससे मतदाता प्रभावित तो होता ही है। जैसे, स्वराज एक्सप्रेस आयोग द्वारा फटकारे जाने पर माफ़ी माँग सकता है लेकिन वीडियो हटाए जाने तक भी उसे पाँच लाख लोग देख चुके हैं, उसका क्या? कई लोगों ने उस वीडियो को डाउनलोड कर रखा है और वे इसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर अलग-अलग रूप में काट-छाँट कर प्रस्तुत कर रहे हैं, इसकी पहुँच बढ़ रही है, उसका क्या? आज के दौर में एक मिनट के लिए भी रिपोर्ट आए और 10 मिंट बाद डिलीट भी हो जाए तो बस एक स्क्रीनशॉट ही काफ़ी होता है प्रोपेगंडा फैलाने के लिए।
क्या कोई राजनीतिक पार्टी रुपयों का प्रयोग कर ऐसा कर रही है? सारे के सारे एग्जिट पोल में भाजपा को भारी घाटा होते क्यों दिखाया जा रहा है? चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन कर के बीच चुनाव में इस तरह के एग्जिट पोल क्यों जारी किए जा रहे हैं? और अव्वल तो यह कि इन एग्जिट पोल्स के आते ही गिरोह विशेष के लोग इसे प्रसारित करने में क्यों व्यक्त हो जाते हैं? क्या दल विशेष को फ़ायदा पहुँचाने के लिए ऐसा हो रहा है? यौन शोषण आरोपित विनोद दुआ, समाचार एजेंसी आईएएनएस, प्रोपेगंडा वेबसाइट न्यूज़क्लिक और ब्रिटिश पत्रकार द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल्स को लेकर चुनाव आयोग उन सब पर कोई कार्रवाई करेगा? इसे आगे बढ़ने वाले पत्रकारों व नेताओं को भी दोषी माना जाएगा? अभी ये सारे ही सवाल अनुत्तरित हैं।