अगर आपके घर में टीवी है, तो आपने संबित पात्रा का नाम ज़रूर सुना होगा। असल में, आपने उन्हें ज़रूर देखा होगा। तथ्यों को रखने की उनकी क्षमता, विपक्षियों के दावों की पोल खोलती उनकी प्रतिक्रियाएँ और हंगामेबाज न्यूज़ एंकरों के तीखे सवालों के सुलझे हुए जवाब देने की उनकी कला, ये सब उनको उनके प्रतिद्वंद्वी प्रवक्ताओं में सबसे अलग बनाती है। बहस के दौरान वो बीच में हंगामा नहीं करते, ऊँगली उठाकर अपनी पाली का इंतजार करते हैं। वो आँकड़ों पर पूरी तैयारी करके आते हैं, सिर्फ़ आरोप-प्रत्यारोप से अपना काम नहीं चलाते। संबित पात्रा ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में टीवी दर्शकों को केंद्र सरकार की नीतियाँ व योजनाओं की सफलता समझाने में अहम भूमिका निभाई है, जिसका पुरस्कार उन्हें जगन्नाथपुरी से लोकसभा टिकट के रूप में मिला। उन्होंने ज़ोर-शोर से अपना प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है।
अगर आप संबित पात्रा के प्रचार अभियान और उनके सोशल मीडिया हैंडल पर ग़ौर करें तो आप पाएँगे कि उनका प्रचार अभियान हिंदुत्व और ग़रीबी पर केंद्रित है। उनके बारे में एक ख़ास बात यह है कि वो राहुल गाँधी की तरह अकस्मात हिन्दू नहीं बने हैं बल्कि पहले भी वो अक्सर मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए जाते रहे हैं, जलाभिषेक इत्यादि धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं और भारतीय पारम्परिक परिधानों में भी दिखते रहे हैं। कभी-कभी माथे पर त्रिपुण्ड और बदन पर धोती के साथ वो न्यूज़ बहस में भी पहुँच जाया करते हैं। अतः उन्हें लगातार देखने वालों को पता है कि जगन्नाथपुरी का उनका ताज़ा प्रचार अभियान उनकी इसी सोच, लक्षण और व्यवहार के आयाम का विस्तार है, ये उनके लिए कुछ नया नहीं है।
उन्होंने गोवर्धन पीठ जाकर पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती से मुलाक़ात की। शंकराचार्य के चरणों में दंडवत करते संबित पात्रा की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई और लोगों ने उनकी श्रद्धा और सादगी को सराहा। न सिर्फ़ शंकराचार्य, बल्कि पात्रा ने उनके साथ बैठे अन्य साधू-संतों को भी दण्डवत प्रणाम किया। यह कुछ नया नहीं है, यही हिन्दू संस्कृति है और पात्रा ऐसा पहले भी करते आए हैं। संबित शंकराचार्य को पुष्पहार पहनाने के लिए आगे बढ़े लेकिन शंकराचार्य ने वो हार संबित को ही पहना दिया। संबित पात्रा के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने का फ़ायदा भी उन्हें मिल रहा है। नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार अभियानों तक, मीडिया की माइक उनके आगे तनी रहती है और उनके बयानों को अच्छी कवरेज मिल जाती है।
नामांकन दाखिल करने से पहले संबित पात्रा ने जगन्नाथपुरी मंदिर में दर्शन किए। हाथों में ज्वलित अग्नि वाली आरती का थाल लिए पात्रा ने समर्थकों सहित भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे नामांकन दाखिल करने पहुँचे। नामांकन दाखिल करने से पहले हुई रैली में भी ओडिशा की संस्कृति की झलक दिखी और उसमें शामिल लोग उड़िया तौर-तरीकों से सुसज्जित थे। इस दौरान उन्होंने दक्षिण काली माता के भी दर्शन किए। सबसे बड़ी बात कि पात्रा ने न सिर्फ़ पुरी जाकर मंदिरों के दर्शन किए बल्कि पार्टी कार्यालय में भी भक्ति का माहौल पैदा कर दिया। अगर आप प्रचार अभियान में लगे संबित की वेशभूषा पर गौर करें तो पाएँगे कि उसमें उड़िया संस्कृति और हिंदुत्व, दोनों की ही महक है।
संबित ने पार्टी कार्यालय में पूजा अर्चना की। समर्थकों व कार्यकर्ताओं ने भी पूरी के भाजपा दफ़्तर में हुए इन धार्मिक क्रियाकलापों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने चिल्का में जनसभा को सम्बोधित करने के साथ-साथ माँ अङ्कुलेश्वरी के भी दर्शन किए। नयागढ़ में उन्होंने पूर्व बीजद नेता दिवंगत कुमार हेमेंद्र चंद्र की प्रतिमा का लोकार्पण किया। नयागढ़ राजपरिवार से आने वाले हेमेंद्र को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही संबित ने बीजद के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश शुरू कर दी है। 2014 में हेमेंद्र पौने दो लाख से भी अधिक मतों के अंतर से जीत कर लोकसभा पहुँचे थे। संबित द्वारा उनकी प्रतिमा लोकार्पण के समय केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बीजद से भाजपा में शामिल हुए बैजयंत जय पांडा भी थे।
संबित पात्रा के पुरी पहुँचने के बाद भाजपा के दफ़्तर का उद्घाटन भी हुआ, जिसमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हिस्सा लिया। संबित ने ब्रह्मगिरि से कई बार विधायक रहे दिवंगत नेता लालतेन्दु विद्याधर मोहापात्रा की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया। 5 वर्षों तक ओडिशा प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे लालतेन्दु की जन्मस्थली पुरी संसदीय क्षेत्र में आने वाले गाँव गदरोडंगा में ही है। कॉन्ग्रेस व बीजद के दिवंगत स्थानीय नेताओं की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण व उनका लोकार्पण कर संबित ने अपना चुनावी एजेंडा सेट कर दिया है। चाहे वो किसी भी पार्टी के दिवंगत जनप्रतिनिधि हों, संबित ने उनका सम्मान कर व उन्हें याद कर यह सन्देश देने की कोशिश की है कि उनके लिए भी उनके मन में आदरभाव है। इसी तरह उन्होंने पीपली विधानसभा में हनुमानजी के दर्शन भी किए।
ପାଇକମାନଙ୍କୁ ଅଣଦେଖା କରିଛନ୍ତି ରାଜ୍ୟ ସରକାର। ତାଙ୍କର ପ୍ରତିଭାକୁ ସର୍ବସାଧାରଣଙ୍କ ପାଖକୁ ମୁଁ ପହଞ୍ଚେଇବି। @BJP4Odisha #PhirEkBaarModiSarkar pic.twitter.com/qF7dsazpZP
— Chowkidar Sambit Patra (@sambitswaraj) March 27, 2019
इसी तरह उन्होंने पाइक विद्रोह के नेतृत्वकर्ता बख्शी जगबंधु की प्रतिमा के भी दर्शन किए और वहाँ माल्यार्पण किया। बख्शी जगबंधु ओडिसा के अग्रणी व सबसे पुराने स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक हैं। इसी तरह संबित ने ब्रह्मगिरि में अलरनाथ मंदिर के भी दर्शन किए। शुरुआती प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने अपने हाथ में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा रखी थी, जिस पर चुनाव आयोग में उनके ख़िलाफ़ शिक़ायत दर्ज कराई गई है। इन सबके बावजूद संबित पात्रा के प्रचार अभियान को क़रीब से देखने पर पता चलता है कि उन्होंने अपनी भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व वाली छवि के साथ ही चुनाव में उतरने का निश्चय किया है।
इसके अलावा संबित सिर्फ़ मंच से हाथ हिलाने और गाड़ियों से रैली करने वाले नेताओं के उलट पदयात्रा और ग़रीबों के घर जाकर उनसे मिलने का कार्य भी कर रहे हैं। संबित ने जनसम्पर्क का नरेंद्र मोदी वाला तरीका ही अपनाया है। बच्चों को गोद में लेकर खिलाना, बुज़ुर्गों के पाँव छूना, युवाओं को गले लगाने से लेकर कार्यकर्ताओं व संगठन के लोगों को एकजुट करने तक, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाला तरीका ही अपनाया है। एक और वीडियो में वह एक बूढ़ी महिला को अपने हाथों से खाना खिलाते हुए दिख रहे हैं। वह महिला खाना बना कर उन्हें परोस रही है। एक अन्य फोटो में उन्हें एक बुज़ुर्ग के पाँव पर अपना सिर रख कर प्रणाम करते हुए देखा जा सकता है। हालाँकि, अगर चुनावी गणित की बात करें तो जगन्नाथपुरी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर है। यहाँ पिछले 21 वर्षों से बीजद उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं।
ପୁରୀ ଜିଲ୍ଲାର ଏକ ଛୋଟ ଗାଁରେ ରହୁଥିବା ଏକ ବିଧବା ବୁଢ଼ୀ ମା ଯାହାର ୩ଟି ଝିଅ ମଧ୍ୟରୁ ୨ଟି ଝିଅ ଦିବ୍ୟାଙ୍ଗ ଆଉ ପୁଅ ମଜଦୁରୀ କରନ୍ତି୍। ଏହି ମାଁ କୁ ଘର ବନେଇ ଦେଇଛନ୍ତି @narendramodi ଜୀ । [1/2]@BJP4Odisha #PhirEkBaarModiSarkar pic.twitter.com/R39iM299LF
— Chowkidar Sambit Patra (@sambitswaraj) March 31, 2019
पुरी संसदीय क्षेत्र में आने वाले चिल्का विधानसभा क्षेत्र से पिछले चुनाव में भाजपा को मात्र 541 मतों से विजय प्राप्त हुई थी। भाजपा के लिए यहाँ उम्मीद की किरण तो है लेकिन उनका मुक़ाबला वरिष्ठ बीजद नेता पिनाकी मिश्रा से है। 1996 में तत्कालीन पुरी सांसद और केंद्रीय मंत्री ब्रज किशोर त्रिपाठी को हरा कर सांसद बने मिश्रा 2009 और 2014 में इसी क्षेत्र से संसद पहुँचे थे। पुरी के एक पुराने नेता होने के साथ-साथ पिनाकी बीजद के प्रवक्ता भी हैं। मजे की बात यह कि कॉन्ग्रेस उम्मीदवार सत्यप्रकाश भी अपनी पार्टी के प्रवक्ता हैं। प्रवक्ताओं की इस लड़ाई में हिंदूवादी संबित कहाँ ठहरते हैं, ये तो समय ही बताएगा। पुरी सीट का महत्व अचानक से इसीलिए भी बढ़ गया है क्योंकि यहाँ से ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लड़ने की चर्चाएँ चल निकली थी।