Sunday, November 17, 2024
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इतना तो गिरगिट भी नहीं बदलता रंग, जितने विनेश फोगाट ने बदल लिए

राजनीति करने के चक्कर में विनेश फोगाट यह तक भूल गईं कि जिस मोदी सरकार पर वह इतने बड़े-बड़े लांछन लगा रही है, उस मोदी सरकार ने न केवल उनकी ट्रेनिंग को प्रमुखता से कराया बल्कि वित्तीय सहायता भी खी। इसके अलावा खेल क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2016 में अर्जुन पुरस्कार और 2020 में ध्यानचंद खेल रत्न दिया।

ओलंपिक खेलों के बाद भारत आकर कॉन्ग्रेस ज्वाइन करने वाली विनेश फोगाट हरियाणा चुनावों के मध्य काफी चर्चा में हैं। अब तक लोग जहाँ उन्हें नारीशक्ति के रूप में कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे। वहीं अब ये सवाल होने लगे हैं कि विनेश फोगाट राजनीति करने के लिए कितने सच और कितने झूठ बोल रही हैं।

एक के बाद एक विनेश फोगाट की वीडियो वायरल हो रही है जिसमें कॉन्ग्रेस की तारीफ करने के चक्कर में वो अलग-अलग दावे कर रही हैं और मोदी सरकार को लेकर विशुद्ध झूठ बोल रही हैं।

पहले तो उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए ये कहा कि वो ओलंपिक में जाने का श्रेय अगर प्रियंका गाँधी को दें तो गलत नहीं होगा… उन्होंने ये क्या सोचकर कहा और कैसे प्रियंका गाँधी को श्रेय दिया जा सकता है ये तो नहीं पता, लेकिन लोग ये जानते हैं कि ओलंपिक तक विनेश को पहुँचाने के लिए मोदी सरकार ने कोई कसर नही छोड़ी थी।

ओलंपिक के बाद खुद खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने संसद में बताया था कि सरकार ने विनेश पर 70 लाख 45 हजार रुपए खर्च किए। उन्होंने कहा था कि विनेश को ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजा गया था। क्या बिन इस समर्थन के विनेश का ओलंपिक जाना संभव था?

उस समय, इस पर सरकार ने कोई सफाई नहीं दी, उन्होंने बस अपने खिलाड़ी के लिए क्या किया इसकी एक जानकारी दी जो कोई भी सरकार देती…। इस पर भी एहसानफरामोश होकर विनेश ये बोलती दिखीं कि सरकार ने उन्हें ट्रेनिंग देकर या पैसे खर्च करके कोई एहसान नहीं किया ये सरकार का फर्ज था।

विनेश आज कॉन्ग्रेस ज्वाइन करके जिस प्रकार की राजनीति कर रही हैं अगर मोदी सरकार को ऐसी पॉलिटिक्स करनी होती तो फिर वो क्यों एक ऐसी खिलाड़ी को बढ़ावा देते जो चुनावों से ठीक पहले उनके खिलाफ माहौल बनाने का काम कर रही थीं…। मोदी सरकार ने राजनीति को किनारे रखकर विनेश के भीतर के खिलाड़ी को प्राथमिकता दी और उन्हें आगे बढ़ाया।

अगर बावजूद इस सच्चाई के, विनेश अब भी यही कहती हैं कि ओलंपिक के वक्त भी प्रियंका ही उनकी मददगार थीं तो क्या ये सवाल उठना नहीं बनता कि प्रियंका ने उनकी मदद किन मायनों में और कहाँ की? कैसे प्रियंका गाँधी की वजह से वो ओलंपिक में गईं?

इस झूठ की तरह विनेश का एक और झूठ सोशल मीडिया पर वायरल है। हाल में विनेश ने राजदीप सरदेसाई को इंटरव्यू देते हुए कहा कि भाजपा के किसी नेता ने उन्हें ओलंपिक के दौरान कॉल नहीं किया। वीडियो में उन्होंने ऐसे दिखाया जैसे मोदी सरकार उन्हें ओलंपिक के दौरान सपोर्ट नहीं कर रही थी। उनके साथ अन्य खिलाड़ियों से अलग बर्ताव कर रही थी…।

इस दावे की हकीकत को किसी पुराने उदाहरण के साथ गलत साबित करने की जरूरत नहीं है। विनेश ने द लल्लनटॉप को दिए बयान से ही खुद के इस झूठ का खंडन कर दिया। वीडियो में देख सकते हैं कि उन्होंने खुद कहा था कि ओलंपिक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन किया था लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया।

विनेश के मन में अगर राजनीति पहले से नहीं थी तो वो ऐसी स्थिति में एक ऐसे व्यक्ति का अनादर नहीं करतीं जो देश के प्रधानमंत्री हैं और उससे भी बड़ी बात उन्हें हौंसला देने के लिए उनसे बात करना चाहते थे…? उन्होंने पहले बात करने को नकारा और उसके बाद कॉन्ग्रेस ने इस हरकत को प्रमोट किया ।

विनेश के जब झूठ पकड़े गए.. फजीहत ज्यादा हुई तो क्या किया जाता… कॉन्ग्रेस ने उनकी एक वीडियो बनाई। वीडियो में उन्होंने बताया कि ओलंपिक खेल के बाद प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उनके कमरे में कैमरे लगाए गए थे और उन्हें खुद अपने फोन से वीडियो नहीं बनाने दी जा रही थी, इसलिए उन्होंने बात करने से मना कर दिया।

विनेश जहाँ अपने हर बयान के साथ पक्ष बदल रही थीं वहीं उनकी पार्टी कॉन्ग्रेस इससे भी ज्यादा घिनौनी हरकत करने में लगी थी। उन्होंने अपनी वीडियो के थंबनेल से मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए उसमें ऐसे दिखाया जैसे मोदी सरकार ने रात भर विनेश फोगाट के बेडरूम से लेकर हर जगह पर कैमरे फिट करवा दिए थे और वो विनेश की रिकॉर्डिंग करना चाहते थे।

जब सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठाने लगे तो बड़ी चालाकी से उस थंबनेल को बदल दिया गया। हालाँकि स्क्रीनशॉट वायरल होने के चलते ये घटिया हरकत छिप नहीं पाई। देख सकते हैं कि विनेश की कही गई बातों को जनता तक पहुँचाने का तरीका कितना ज्यादा भ्रमित करने वाला है।

अजीब बात ये है कि कॉन्ग्रेस की इस हरकत पर विनेश फोगाट ने विरोध तक नहीं किया। राजनीति में आकर वह ये तक भूल गईं कि जिस मोदी सरकार पर वह इतने बड़े-बड़े लांछन लगा रही है। उस मोदी सरकार ने न केवल उनकी ट्रेनिंग को प्रमुखता से कराया बल्कि वित्तीय सहायता भी खी। इसके अलावा खेल क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2016 में अर्जुन पुरस्कार और 2020 में ध्यानचंद खेल रत्न दिया।

इसके अलावा ओलंपिक में भी ट्रेनिंग, पर्सनल स्टाफ और वित्तीय सहायता से लेकर हर प्रकार की सहायता तब मिली जब भाजपा केंद्र और उनके गृह राज्य हरियाणा में सत्ता में थी। बावजूद इन सब सच्चाइयों के विनेश झूठ बोलने में जुटी हैं। उनकी बहन बबीता फोगाट खुद मानती हैं कि विनेश बदल गई हैं।

उन्होंने बताया कि जब विनेश के पिता का देहांत हुआ था तब उनके पिता यानी महावीर फोगाट ने उनकी दोबारा कुश्ती में वापसी कराई थी। मगर जब वो ओलंपिक से लौटीं तो उन्होंने अपने गुरु को धन्यवाद देना तो दूर, दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ रोड शो किया था जैसे हुड्डा ही उनके कोच हों।

गौरतलब है कि अपने ओलंपिक में डिस्क्वालिफाई होने को भी विनेश फोगाट ने हरियाणा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। भाजपा सरकार ने उनके सम्मान में उन्हें रजत विजेता की तरह हर सुविधा देने का ऐलान किया था लेकिन विनेश चुनावों के लिए जगह-जगह घूमकर ये दिखा रही हैं जैसे ओलंपिक में भी हारी वह मोदी सरकार के कारण ही थीं । जबकि, सच्चाई तो ये है कि मोदी सरकार ने उन्हें हराने क प्रयास नहीं बल्कि उन्हें विजेता साबित करवाने के लिए जी-जान लगाई थी। सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को भेज विनेश के लिए अपील की गई थी, लेकिन वजन ज्यादा निकलने की वजह विनेश डिस्क्वालिफाई हुईं और अब वो उसी बात को भूल गई हैं। उनकी आँख पर सिर्फ राजनीति की पट्टी चढ़ गई हैं जो उन्हें आवाज उठाने का अर्थ सिर्फ मोदी सरकार का विरोध बता रही है।

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