दिल्ली में कोरोना से सैकड़ों मौतें हो रही है। दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में रोज कोरोना से हो रही मौतों के रजिस्टर का डाटा बताता है कि स्थिति बहुत भयानक है। लेकिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार कोरोना से हुई मौतों का जो डाटा सर्वजनिक कर रही है, वह अस्पतालों के डाटा से एकदम अलग है।
एक छोटा सा उदाहरण आपको हिलाकर रख देगा। दिल्ली सरकार के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (LNJP) के रिकॉर्ड के मुताबिक अस्पताल में कोरोना से अब तक 47 मौतें हो चुकी है। एक-एक मौत का रिकॉर्ड अस्पताल के पास है। लेकिन दिल्ली सरकार ने मीडिया को दी अपनी ब्रीफिंग में लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में केवल 5 मौतों का आँकड़ा दिया है। जी हाँ, 47 मौतों को छिपाकर केवल 5 मौतों की जानकारी दी गई है।
4 मई को एक ही दिन में अकेले लोकनायक अस्पताल में 6 लोगों की कोरोना से मौत हुई। लेकिन दिल्ली सरकार के आँकड़ों के अनुसार 4 मई को पूरी दिल्ली में कोई मौत नहीं हुई।
इसी प्रकार राजीव गाँधी अस्पताल में 4 से 6 मई के बीच कोरोना से तीन मौतें हुई, लेकिन केजरीवाल सरकार ने एक भी मौत का आँकड़ा जारी नहीं किया। ऐसे ही आँकड़ा दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML) का भी है। अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक यहाँ कोरोना से अब तक 52 मौतें हो चुकी है। लेकिन केजरीवाल सरकार ने केवल 20 मौतों का आँकड़ा सार्वजनिक किया है।
यही स्थिति दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना से हो रही मौतों के आँकड़े में भी दिख रही है। दिल्ली के मैक्स अस्पताल के रिकॉर्ड में कोरोना से अब तक 20 मौतें हो चुकी है। लेकिन केजरीवाल सरकार ने केवल 4 मौतों का आँकड़ा सार्वजनिक किया है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के सिर्फ 4 अस्पतालों RML, AIIMS, LNJP, लेडी हार्डिंग में अब तक ऑफिशियल 116 लोग कोरोना से मौत का शिकार हो चुके हैं। लेकिन केजरीवाल सरकार के मुताबिक पूरी दिल्ली में कोरोना से सिर्फ 66 मौतें हुई है। ऐसे ही नेशनल हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में 20 मौत कोरोना से हो चुकी है। लेकिन केजरीवाल सरकार की मीडिया ब्रीफ़िंग में मैक्स में केवल 4 मौत बताई गई।
इन्हीं पाँच अस्पतालों के ऑफिसियल डाटा के अनुसार कम से कम 136 मौत दिल्ली में कोरोना से हो चुकी, जबकि केजरीवाल सरकार के आँकड़ों के मुताबिक इन पाँच अस्पतालों में केवल 33 मौत हुई है। जी हाँ, 136 मौतों में केवल 33 मौतों का आँकड़ा सार्वजनिक किया गया है।
इन 136 मौतों के डाटा में राजीव गाँधी अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल, जग प्रवेश, सफदरजंग, गंगाराम जैसे कम से कम 20 से ज्यादा अस्पतालों के आँकड़े शामिल नहीं हैं।
बात यहीं खत्म नहीं होती, दिल्ली के कब्रिस्तान खासतौर पर ITO के कब्रिस्तान का डाटा बता रहा है कि मौतों का आँकड़ा बहुत भयानक है। दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक ITO के कब्रिस्तान में कोरोना के कारण मरे 86 लोग अब तक दफनाए जा चुके हैं। ये सच तब सामने आया जब कब्रिस्तान की कमेटी ने लेटर लिख कर माँग की कि कब्रिस्तान की जमीन छोटी पड़ रही है और जमीन दी जाए।
कब्रिस्तान कमेटी के मुताबिक केवल शुक्रवार को ही एक दिन में छह लाशें कोरोना से मरे हुए लोगों की आई थी। इनमें से किसी मौत का आँकड़ा दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया है।
अस्पतालों और कब्रिस्तान के अलावा दिल्ली में कई जगह घरों में ही कोरोना से मौत की जानकारियाँ भी आ रही है। सोशल मीडिया पर दिख रहे एक वीडियो में दिल्ली के शालीमार बाग में एक व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गई और कोई शव को उठाने भी नहीं आया।
दिल्ली में स्थिति बहुत भयानक है और केजरीवाल सरकार लगातार सच्चाई छिपा रही है। अस्पतालों और कब्रिस्तान के आँकड़े एक ही ओर इशारा कर रहे हैं कि दिल्ली में कोरोना से देश मे सबसे ज्यादा मौतें हो रही है।
दिल्ली में कोरोना से सैकड़ो मौतें हो रही है और दिल्ली की केजरीवाल सरकार दारू की दुकानें खोलने के लालच में असली डाटा छिपा रही है। दिल्ली को मौत के मुँह में धकेल दिया गया है।