चारा घोटाले में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के घर अरसे बाद खुशियॉं लौटी है। आम चुनावों की निराशा और पारिवारिक कलह को पीछे छोड़ते हुए परिवार के सदस्यों ने जश्न मनाया है। जश्न हरियाणा विधानसभा चुनाव में लालू के दामाद और कॉन्ग्रेस के टिकट पर चिरंजीव राव की जीत का मनाया गया। मीडिया रिपोर्टों की माने तो इस खुशी का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।
चिरंजीव हरियाणा के दिग्गज कॉन्ग्रेस नेता कैप्टेन अभय सिंह के पुत्र हैं। उनकी शादी लालू की छठी नंबर की बेटी अनुष्का से हुई है। आपको याद होगा कि जब पटना बारिश के पानी में डूब गया था और लोग पूछ रहे थे कि विपक्ष कहॉं है तो लालू के बेटे तेजस्वी यादव की एक तस्वीर वायरल हुई थी। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी हरियाणा में एक उम्मीदवार का नामांकन पत्र दाखिल करवा रहे थे। ये उम्मीदवार चिरंजीव राव ही थे।
असल में उस समय तेजस्वी के ट्विटर हैंडल से पटना जलजमाव को लेकर ज्ञान भरे ट्वीट्स आ रहे थे, तो दूसरी तरफ चिरंजीव राव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जो चीजें सामने आ रही थीं, उसमें तेजस्वी हरियाणा के कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने के गुर सिखाते नज़र आ रहे थे। तेजस्वी कार्यकर्ताओं को बता रहे थे कि कैसे मजबूती से एकजुट होकर काम करना है और हर बूथ पर नजर रखना है।
आप लोग मजबूत हौसले के साथ काम करें और एकजुट रहें। हर एक एक बूथ की रक्षा कीजिये।
— Chiranjeev Rao (@Chiranjeev_INC) October 3, 2019
बूथ जीतोगे तो चुनाव जीतोगे- श्री @yadavtejashwi जी#जीतेगा_रेवाड़ी_जीतेगी_कांग्रेस” pic.twitter.com/8T2hIsqnJl
जब बिहार में ये चर्चाएँ जोरो पर चल रही थीं कि जलजमाव की इस भयंकर स्थिति में निष्क्रिय सरकार से सवाल पूछने के लिए विपक्ष कहाँ है, तब तेजस्वी यादव अपनी बहन के पति चिरंजीव राव के समर्थकों को बता रहे थे कि हर बूथ जीतोगे तो चुनाव जीतोगे। हरियाणा के रेवाड़ी सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय था। भाजपा के सुनील यादव, भाजपा से बगावत कर निर्दलीय लड़ रहे रणधीर सिंह कापड़ीवास और कॉन्ग्रेस के चिंरजीव राव के बीच। भाजपा का वोटर कापड़ीवास के बगावत को समर्थन देता दिख रहा था, लेकिन पीएम मोदी की रैली ने तस्वीर बदल दी और सुनील यादव के पक्ष में भाजपा का वोटर झुक गया। इस बदले समीकरण में चिरंजीव ने महज 1,331 वोटों से बाज़ी मार ली।
लालू यादव की पुत्री धन्नू उर्फ़ अनुष्का और हरियाणा के तत्कालीन बिजली मंत्री कैप्टेन अजय सिंह यादव के पुत्र चिरंजीव राव की शादी 2012 में हुई थी। उस समय लगन समारोह के लिए रेवाड़ी पहुँचे लालू के स्वागत में रणदीप सुरजेवाला सहित कई कॉन्ग्रेसी नेता स्वागत के लिए पलकें बिछाए खड़े थे। वकालत की पढाई कर चुके चिरंजीव तब हरियाणा युवक कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष थे। अप्रैल महीने में हुए इस समारोह में करीब-करीब हरियाणा का पूरा मंत्रिमंडल ही मौजूद था। इस हाई प्रोफाइल शादी समारोह के बारे में तब राष्ट्रीय मीडिया में ख़ूब चर्चा हुई थी। उस समय लालू बिहार और केंद्र, दोनों जगह सत्ता से बाहर थे, लेकिन उनका राजनीतिक वजूद बचा हुआ था।
चिरंजीव राव अब अपने पिता की विरासत संभालने के लिए विधायक चुने गए हैं। उनके पिता 6 बार विधायक रह चुके हैं। उनके दादा अभय सिंह यादव भी 3 बार विधायक रहे थे। ऐसे में, लालू परिवार के भीतर खुशियाँ लौट आईं और चिरंजीव के जीतने के बाद परिवार ने जश्न मनाया। लेकिन, तब और अब की परिस्थितियाँ काफ़ी अलग हैं। जो रामविलास पासवान अनुष्का और चिरंजीव की शादी में सक्रिय रहे थे और लालू यादव के साथ हर समारोह में दिखे थे, आज पिछले साढ़े 5 वर्षों से राजग का हिस्सा हैं और मोदी कैबिनेट के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। उस समय विपक्ष की गोलबंदी के हिमायती रहे लालू आज बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं और अपने गृह राज्य के चुनावों में भी दखल देने की उनकी ताक़त नहीं रही है।
चिरंजीव की जीत उनके पिता के लिए भी संजीवनी बन कर आई है, क्योंकि लगातार 6 बार विधायक रहने के बाद उन्हें 2014 में हार का सामना करना पड़ा था। उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री राव वीरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत सिंह मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हैं और पिछली बार भी वह मंत्रिमंडल का हिस्सा थे। हालिया लोकसभा चुनाव में उन्होंने ही कैप्टेन अजय सिंह को बड़े अन्तर से हराया था। ऐसे में उनके ख़िलाफ़ लगातार अपना कद बढ़ाने में लगे और पिछले 2 चुनाव हार चुके कैप्टेन अजय सिंह को अपने बेटे की जीत से राहत मिली होगी।
जीत के बाद चिरंजीव राव ने सबसे पहले राव इंद्रजीत सिंह पर ही निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राव ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था और इसीलिए यहाँ मुख्यमंत्री खट्टर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की रैली कराई गई (जिससे उन्हें फायदा ही हो गया)। इस चुनाव में महिलाओं की भी अहम भूमिका रही। जहाँ चिरंजीव की तरफ से उनकी माँ रणनीति तैयार करने में लगी रहीं, उनकी पत्नी और लालू की बेटी अनुष्का बिहारी वोटरों को लुभाने में लगी रहीं। उधर राव इंद्रजीत की बेटी आरती सिंह राव ने भी सघन चुनाव प्रचार अभियान चलाया था। यह दोनों पुराने राजनीतिक खानदानों की विरासत को मजबूत करने की लड़ाई बन गई थी।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार के झटके के बाद से लालू की पार्टी ही नहीं, बल्कि उनका परिवार भी बिखर रहा है। उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और ऐश्वर्या राय की शादी के बाद के घटनाक्रम ने इस पारिवारिक कलह को मीडिया की नियमित ‘मनोरंजक ख़बर’ का हिस्सा बना दिया है। जिस तरह तैमूर की चड्डी लगातार कवर की जाती है, उसी तरह तेज प्रताप और ऐश्वर्या की कहानी भी रोज़ मीडिया में ख़ूब चली, अभी भी चल रही है। इस सार्वजनिक फजीहत के बीच बिहार से भी लालू परिवार को अच्छी ख़बर मिली है। उपचुनाव में बिहार में भी पार्टी के दो विधायक चुने गए हैं। राजद का चुनाव प्रचार कमजोर रहा था, ऐसे में इसे नीतीश और जदयू की नाकामी ही कहेंगे।
जदयू ने अपने दो सांसदों को उम्मीदवार उतारने की जिम्मेदारी दे दी। जहाँ सिवान की सांसद कविता सिंह ने अपने पति अजय सिंह को ही अपने बदले दरौंदा से चुनावी मैदान में उतार दिया, वहीं बाँका के सांसद गिरधारी लाल यादव ने लालधारी यादव को प्रत्याशी बना कर उतरवा दिया। बिहार में विकल्पहीनता के रथ पर सवार नीतीश की पार्टी को तगड़ा झटका लगा और उसके दोनों प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया। बेलहर और सिमरी बख्तियारपुर सीटें जदयू के कब्जे में थी, जिसे राजद ने छीन लिया।