“देख लो साथियों, जहाँ ट्रम्प और जिनपिंग ने कोरोना से बचने को करोड़ों खर्च कर डाले, वहीं हमारा फेकू मोदी भाषण से काम चला रहा है।”
“चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों ने क्या-क्या न किया कोरोना भगाने को और ये फासिस्ट मोदी हमसे घंटी बजवा रहा है।”
“सभी बड़े और समझदार देश इलाज बात कर रहे हैं और मूर्ख मोदी “जनता कर्फ्यू” लगवा रहा है।”
ये सब मैं नहीं बल्कि हमारे देश का ‘कामपंथी व चमनजी’ समाज कह रहा है। ये वह समाज है जिससे मोदी कह दें कि विष्ठा मलद्वार से करनी चाहिए तो वह अपने मुख से करने लगेगा। इनका ऑक्सीजन भी मोदी-विरोध है। इनका गड़बड़ाया पाचन तंत्र भी मोदी को गाली देकर दुरुस्त होता है। इस समाज के गाँजा और सेक्स लाइफ का एक्स फैक्टर है मोदी विरोध। घंटी वाली क्या बात कही मोदी ने? उन्होंने कहा था:
“डॉक्टर, नर्स, हॉस्पिटल स्टाफ, सैनिटेशन वर्कर, एयरलाइन्स कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी, पुलिस बल, मीडिया कर्मचारी, ट्रेन, बस/ऑटो ऑपरेटर और होम डिलिवरी से सम्बद्ध लोग- इन सबों ने हमारे लिए अपनी जान जोखिम में डाल कर और निस्वार्थ होकर हमें जो सेवाएँ दी हैं, वो साधारण कार्य नहीं है। ये सभी लोग हमारे और कोरोना के बीच राष्ट्र के रक्षक के रूप में मजबूती से खड़े हैं। राष्ट्र इन सभी का आभारी है। मेरी इच्छा है कि 22 मार्च रविवार को हम ऐसे सभी लोगों का आभार व्यक्त करें। रविवार को ठीक 5 बजे, हम सभी अपने घरों के दरवाजे, बॉलकनी खिड़कियों पर खड़े हों और 5 मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन दें। हम अपने हाथों से तालियाँ बजा कर, बर्तन पीट कर या घंटियाँ बजा कर इन सबकी सेवा को सलाम करें।”
अब आप बताइए की ‘चमनजी’ और कामपंथियों की सभी शाखाओं को किसी की सेवा के प्रति आभार जताने से भी आपत्ति है। कोई तुम्हारी जान के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहा है और तुम्हें उन्हें सल्यूट करने पर आपत्ति है? देखो ‘चमनाधिपतियों’ और कॉन्ग्रेस+वामपंथ के गठबंधन से बने ‘कामपंथियों’, अपना स्टैंड क्लियर करो। ऐसे राष्ट्र-रक्षकों को सम्मान मिलने से समस्या क्या है तुम्हें या फिर घंटी, तालियों और बर्तन की आवाज से दिक्कत है? यूँ तो आपलोग बहुत पढ़ते हो (हालाँकि, ‘कामशास्त्र और सूराशास्त्र’ के अलावा क्या पढ़ते हो- मुझे नहीं पता)। लेकिन आओ, इसी बहाने कुछ ज्ञान की बातें बताता जाऊँ।
थोड़ा पल्मिस्ट्री और थोड़ा एक्यूप्रेशर पढ़ोगे तो ज्ञान पाओगे कि ताली बजाने से न केवल शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है बल्कि, यह हार्ट, साँस सम्बन्धी समस्याओं को भी कम करता है। इससे डायबेटिक्स को भी आराम मिलता है। जिन्होंने अब तक कोरोना को पढ़ा व समझा होगा, उन्होंने इसमें होने वाली साँस सम्बन्धी समस्या और डायबेटिक्स वालों के खतरे को भी पढ़ा ही होगा। यूँ तो ताली बजने से हुए एक्यूप्रेशर से बैक, नेक और ज्वाइंट पेन भी ठीक होता है, डिप्रेशन भी कम होता और बच्चों का दिमाग दुरुस्त होता है, लेकिन तुम लोगों का क्या? तुम्हारा तो दिमाग अब न बच्चों का रहा और न बचा हुआ।
अब आओ बताता हूँ कि बर्तन पीटने और घंटियाँ बजाने का क्या असर होता है। सबसे बड़ा फायदा तो तुम ‘चिलगोजों’ को ये मिलेगा कि इस ध्वनि से तुम्हारे अंदर की नेगेटिविटी कम होगी। हाँ! बर्तन, करताल और घंटियों में इस्तेमाल होने कुछ धातुओं को पीटने से जो स्पंदन उत्पन्न होता है वो 7-10 सेकंड तक हमारे कानों में लगातार पड़ता है। यह ध्वनि न केवल रिचुअल है, बल्कि हमारे शरीर पर इसके कई सारे सकारात्मक परिणाम भी हैं। जैसे, हमारी एकाग्रता का बढ़ना, हमारे लेफ्ट और राइट ब्रेन को बैलेंस्ड करना, आँखों देखी का ब्रेन द्वारा बेहतर और जल्द समझना, श्रवण शक्ति को समझने में सुधार, हार्ट की ब्लड पम्पिंग में बैलेंस, शरीर के सातों हीलिंग सेंटर को एक्टिवट करना।
हमारी सेंसिंग को बेहतर करना और हमारे मेन्टल डिसऑर्डर को ठीक करना भी इसके सकारात्मक परिणाम हैं। कुल मिलाकर ये ध्वनि न केवल मोदी द्वारा राष्ट्र रक्षकों के सम्मान के लिए है, बल्कि तुम हरे-पिले और ‘चिलगोजों’ के दिलों-दिमाग के लिए भी फायदेमंद है। लेकिन, तुम्हें तो मोदी-विरोध करना है। अब भले चाहे तुम्हारा दिमाग खराब रहे, दिल-गुर्दे फ्यूज हो जाएँ या फिर तुम्हारे अंतःपुर में खुजली होती रहे।
मोदी ने सरकारी व्यवस्थाएँ नहीं दुरुस्त की और भाषण देने आ गया। क्या कर दे मोदी उपलब्ध व्यवस्था और उसको भी न मानने वाले हम महान लोगों के लिए फिर? अपने मुँह में सैनिटाइजर लगा कर स्प्रे करे या फिर आकर जनता के हाथों पर साबुन मले? दुनिया कह रही है की प्रिवेंशन ही इलाज है इसका। कोई सरकार और कोई स्वास्थ्य सुविधा कुछ नहीं कर सकती इसका। फिर किसका इलाज नहीं हुआ अब तक देश में? किसको कहीं मरने को छोड़ दिया मोदी ने? प्यारे ‘चिलगोजों’, इस वायरस चेन को ब्रेक कर ही रोका जा सकता है। ये तो तुम्हें पता है न? तुम्हारे पास इस चेन ब्रेक के लिए 24 घंटे के जनता कर्फ्यू से बेहतर कोई उपाय हो तो कहो। मुँह से ही कहो न क्योंकि अब तक तो शायद मोदी ने ये कहा नहीं है- “मेरे प्यारे देशवासियों, हमें मुँह से बोलना चाहिए” कि तुम लोग कहीं और से बोलने लगो। तो मेरे प्यारों, समस्या के समाधान में हाथ नहीं बँटा सकते हो, ठीक है, चलेगा। मगर कुछ हो रहा उस पर हंगामा कर समस्या तो न बढ़ाओ।