Sunday, November 17, 2024
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लोकसभा में ‘परंपरा’ की बातें, खुद की सत्ता वाले राज्यों में दोनों हाथों में लड्डू: डिप्टी स्पीकर पद पर हल्ला कर रहा I.N.D.I. गठबंधन, जानिए तमिलनाडु-बंगाल सहित 9 प्रदेशों का हाल

तेलंगाना की बात कर लेते हैं। वहाँ भी कॉन्ग्रेस की सरकार है। वहाँ सत्ताधारी कॉन्ग्रेस के गड्डम प्रसाद कुमार विधानसभा अध्यक्ष हैं। वो वो चेवेल्ला लोकसभा क्षेत्र स्थित विकाराबाद से कॉन्ग्रेस विधायक हैं। वहीं रेवंत रेड्डी की सरकार ने विधानसभा उपाध्यक्ष का पद रिक्त रखा है।

लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के बाद लोकसभा का नया सत्र शुरू हो चुका है। ओडिशा के कटक से सांसद भर्तृहरि महताब ने बतौर प्रोटेम स्पीकर लोकसभा सदस्यों को शपथ दिलाई, उनकी अनुपस्थिति में बिहार के पूर्वी चम्पारण से सांसद राधामोहन सिंह ने पीठासीन होकर ये प्रक्रिया पूरी कराई। अब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है। भाजपा ने एक बार फिर से ओम बिड़ला को आगे किया है, जिनकी जीत लगभग तय है।

वहीं कॉन्ग्रेस पार्टी की तरफ से केरल के मावेलिक्करा से सांसद K सुरेश नामांकन भरेंगे। उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने की माँग भी कॉन्ग्रेस ने की थी। पार्टी का कहना था कि वो 8 बार के सांसद हैं, जबकि भर्तृहरि महताब 7वीं बार सांसद बने हैं। हालाँकि, कोडीकुन्नील सुरेश 2 बार चुनाव हार चुके हैं, जबकि भर्तृहरि महताब लगातार जीतते रहे हैं। अब विपक्ष की माँग है कि स्पीकर का पद अगर भाजपा के पास जाता है तो डिप्टी स्पीकर का पद उसे दिया जाए।

लोकसभा के डिप्टी स्पीकर का पद बना विवाद का केंद्र

हालाँकि, भाजपा I.N.D.I. गठबंधन की इस माँग के आगे झुकती हुई नहीं दिख रही है। कॉन्ग्रेस वाले इसके लिए ‘परंपरा’ का हवाला दे रहे हैं। हाँ, ये सत्य है कि 1991 में जब कॉन्ग्रेस की सरकार बनी थी और नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे तब कर्नाटक के तुमकुर से भाजपा सांसद S मल्लिकार्जुनैया को लोकसभा का उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसी तरह 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो लक्षद्वीप के कॉन्ग्रेस सांसद P मोहम्मद सईद ये पद ले गए।

2004 में कॉन्ग्रेस नेता मनमोहन सिंह के नेतृत्व में UPA की सरकार बनी तब विपक्षी पार्टी ‘अकाली’ दल के चरणजीत सिंह अटवाल को ये पद मिला, जो पंजाब के फिल्लौर से सांसद थे। UPA के दूसरे कार्यकाल में झारखण्ड के खूँटी से सांसद करिया मुंडा को ये पद मिला। हालाँकि, 2014 में जब नरेंद्र मोदी PM बने तब तमिलनाडु के करूर से AIADMK सांसद M थंबीदुरई ने ये पद सँभाला। ध्यान दीजिए, उस समय AIADMK भाजपा गठबंधन का हिस्सा नहीं थी, फिर भी उसे ये पद दिया गया।

2019 में जब दोबारा मोदी सरकार बनी तब ये पद अगले 5 वर्षों के लिए खाली रहा। अब एक बार फिर से गहमागहमी इसके लिए शुरू हो चुकी है। राहुल गाँधी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परस्पर सहयोग की बातें करते हैं संसद के अंदर, लेकिन बाहर कुछ और बोलते हैं। बता दें कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पीकर पद पर आम सहमति बनाने के लिए फोन किया था, डिप्टी स्पीकर की माँग पर उन्होंने फिर फोन करने की माँग की लेकिन राहुल गाँधी का कहना है कि फोन आया नहीं।

राहुल गाँधी का कहना है कि विपक्ष की शर्त ये है कि वो स्पीकर का समर्थन तभी करेगी, तब डिप्टी स्पीकर का पद उसे मिले। अब जब विपक्ष ने स्पीकर पद के लिए नामांकन भर दिया है, जिससे साफ़ है कि डिप्टी स्पीकर का पद देने के लिए भाजपा तैयार नहीं है। K सुरेश की हार तय लग रही है क्योंकि विपक्ष के पास संख्या बल नहीं है। K सुरेश की सदस्यता 2009 में केरल हाईकोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई थी, क्योंकि उन पर ईसाई होकर दलितों के लिए आरक्षित सीट से लड़ने के आरोप लगे थे। बचपन में ही उनका Baptisma हो चुका है।

खैर, अब फिर से बात करते हैं ताज़ा हालात की। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष का होना चाहिए। उन्होंने इसके लिए उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया जहाँ उनके हिसाब से आश्वासन के बावजूद उन्हें उपाध्यक्ष का पद नहीं मिला विधानसभा में। बता दें कि उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा अध्यक्ष का पद रिक्त है, अक्टूबर 2021 में सपा के बाग़ी नितिन अग्रवाल का समर्थन कर के भाजपा ने उन्हें जिता दिया था, उससे पहले भी 5 वर्षों से ये पद रिक्त था।

विपक्ष शासित राज्यों में I.N.D.I. गठबंधन वाले भूले ‘परंपरा’

खैर, अब बात करते हैं विपक्ष शासित राज्यों की। पीछे न जाते हुए मौजूदा स्थिति को ही देखते हैं। दक्षिण भारत से शुरू करते हैं। तमिलनाडु में विपक्ष सबसे अधिक मजबूत है, क्या वहाँ उसने विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया है? तमिलनाडु विधानसभा में तिरुनेलवेली के राधापुरम से सत्ताधारी दल DMK के विधायक M अप्पवु स्पीकर हैं, वहीं इसी पार्टी के K पिचांदी डिप्टी स्पीकर हैं। वो तिरुवन्नामलाई के किलपेन्नाथुर से MLA हैं। इस तरह तमिलनाडु में विपक्ष ‘परंपरा’ की बातें नहीं करेगा।

अब आते हैं जरा पश्चिम बंगाल पर। वहाँ 2012 से ही TMC का शासन है। देखते हैं, वहाँ परंपरा कैसे निभाई जा रही है। वहाँ सत्ताधारी दल के बिमान बनर्जी स्पीकर हैं, जो साउथ 24 परगना के बरुईपुर से विधायक हैं। डिप्टी स्पीकर, विपक्ष का है? एकदम नहीं। विधानसभा का उपाध्यक्ष भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी ही पार्टी के आशीष बनर्जी को बना रखा है, जो बीरभूम के रामपुरहाट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहाँ भाजपा को ये पद क्यों नहीं दे रही TMC?

अब तीसरे राज्य पर आते हैं। कर्नाटक को देखते हैं, जहाँ कॉन्ग्रेस सत्ता में है। वही कॉन्ग्रेस, जिसे लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद चाहिए। कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की सरकार ने अपनी ही पार्टी के UT खादेर फरीद को स्पीकर बना रखा है, जो दक्षिण कन्नड़ लोकसभा क्षेत्र में स्थित मंगलौर से विधायक हैं। डिप्टी स्पीकर? नहीं, उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को नहीं दिया गया है, बल्कि हावेरी से कॉन्ग्रेस के ही विधायक रुद्रप्पा लामानी को ये पद दिया गया है।

विपक्ष ‘परंपरा’ का कितना पालन कर रहा है, हुए भी उदाहरण देखते हैं। वामपंथियों की बात कर लेते हैं। केरल में सत्ताधारी CPI(M) के AN शमशीर स्पीकर हैं जो वाटकरा लोकसभा क्षेत्र के थालास्सेरी से MLA हैं, वहीं पतनमतिट्टा लोकसभा क्षेत्र के अडूर से CPI के विधायक चित्तायाम गोपकुमार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने डिप्टी स्पीकर बना रखा है। CPI(M) और CPI सिर्फ पार्टी अलग है, दोनों ही साथी हैं और हमेशा से साथ लड़ते रहे हैं। साथ ही दोनों घोर वामपंथी विचारधारा से भी ताल्लुक रखती हैं।

अब तेलंगाना की बात कर लेते हैं। वहाँ भी कॉन्ग्रेस की सरकार है। वहाँ सत्ताधारी कॉन्ग्रेस के गड्डम प्रसाद कुमार विधानसभा अध्यक्ष हैं। वो वो चेवेल्ला लोकसभा क्षेत्र स्थित विकाराबाद से कॉन्ग्रेस विधायक हैं। वहीं रेवंत रेड्डी की सरकार ने विधानसभा उपाध्यक्ष का पद रिक्त रखा है। झारखंड में भी ये पद रिक्त है, जबकि सत्ताधारी JMM के रवींद्रनाथ महतो स्पीकर हैं, जो दुमका जिले और जामताड़ा लोकसभा क्षेत्र में स्थित नाला से MLA हैं। वहाँ हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपई सोरेन सीएम हैं।

थोड़ा पंजाब की भी बात कर लेते हैं। ‘ड्रामा कंपनी’ AAP की सरकार है वहाँ। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने ही नेता कुलतार सिंह संधवाँ को विधानसभा का स्पीकर बना रखा है, जो फरीदकोट में स्थित कोटकपुरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं डिप्टी स्पीकर का पद किसी विपक्षी नेता को नहीं, बल्कि होशियारपुर के गढ़शंकर से अपने ही MLA जयकृष्ण सिंह रौरी को बना रखा है। AAP की दिल्ली में भी यही परिपाटी रही है। शाहदरा के MLA रामनिवास गोयल स्पीकर हैं जबकि मंगोलपुरी की MLA राखी गोयल उनकी डिप्टी हैं। दोनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP से ही हैं।

अंत में थोड़ा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की भी बात कर लें, जहाँ कॉन्ग्रेस सत्ता में है और सुखविंदर सिंह सुक्खू CM हैं। वहाँ पार्टी ने कांगड़ा के भटियात से अपने विधायक कुलदीप सिंह पठानिया को स्पीकर बना रखा है, जबकि शिमला के श्री रेणुकाजी से अपनी ही पार्टी के विनय कुमार को विधानसभा उपाध्यक्ष बना रखा है। आज यही पार्टी ‘परंपरा’ और ‘परिपाटी’ की बातें कर रही है। लोकसभा उपाध्यक्ष का पद माँग रही है। जबकि ये न संसद चलने देना चाहते हैं, न सरकार को ठीक से काम करने देते हैं।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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