महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे। यहाँ मुस्लिमों ने बीजेपी के विरोध में इंडी गठबंधन को एकमुश्त वोटिंग की। यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कुछ राज्यों में भारी नुकसान की वजह से बीजेपी अपने दम पर पूर्ण बहुमत नहीं प्राप्त कर सकी। महाराष्ट्र में आश्चर्यजनक नतीजे आए, जहाँ सीएम एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना ने 7 सीटें हासिल कीं और बीजेपी ने 9 सीटें जीतीं। वहीं, मुस्लिमों, कम्युनिष्टों का समर्थन पाने वाली एनसीपी (शरद पवार), भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) जैसी पार्टियों ने क्रमशः 8, 13 और 9 सीटें हासिल कीं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि महाराष्ट्र के मुस्लिमों ने बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के मुकाबले में खड़ी पार्टियों के पक्ष में एकजुटता के साथ वोटिंग की।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी की भारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए नतीजों के तुरंत बाद इस्तीफा देने की पेशकश की। फडणवीस ने कहा, “महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में हमें जो भी नुकसान हुआ है, मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूँ। इसलिए मैं शीर्ष नेतृत्व से आग्रह करता हूँ कि मुझे मेरे मंत्री पद से मुक्त कर दिया जाए क्योंकि मुझे पार्टी के लिए काम करने और राज्य विधानसभा चुनावों की तैयारियों में अपना समय देने की जरूरत है।”
Massive conspiracy was hatched in Maharashtra to defeat Narendra Modi Govt at centre.
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) June 7, 2024
The details coming out are shocking and must awaken the central leadership. Alarm was raised by Dy CM Devendra Fadnavis pic.twitter.com/0V0mQMA51U
फडणवीस ने आगे कहा, “कुछ सीटों पर किसानों के मुद्दों ने अहम भूमिका निभाई, तो संविधान में बदलाव किए जाने के झूठे प्रचार ने भी कुछ वोटरों को प्रभावित किया, जिसका मुस्लिमों और मराठा समुदाय के वोटरों पर भी असर पड़ा।” देवेंद्र फडणवीस ने संकेत दिया कि मुस्लिमों ने कॉन्ग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) को समर्थन दिया, जिससे बीजेपी के लिए प्रतिकूल परिणाम आए।
‘फतवों ने शिवसेना (यूबीटी) को मुंबई में सीटें जीतने में मदद की’: दीपक केसरकर
शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर जो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खास माने जाते हैं। उन्होंने 6 जून 2024 को कहा कि मुस्लिमों द्वारा बीजेपी के खिलाफ जारी किए गए ‘फतवों’ की वजह से ही शिवसेना (यूबीटी) और कॉन्ग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) मुंबई, सांगली, बारामती, शिरुर और डिंडोरी से अधिकाँश सीटें मिली। दीपक केसरकर ने कहा कि मुस्लिम वोटर इस बात को लेकर बिल्कुल आश्वस्त थे कि उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की विचारधारा को छोड़ दिया है। केसरकर ने कहा, “फतवों ने शिवसेना (यूबीटी) को मुंबई में सीटें जीतने में मदद की। अगर आप इसे घटा दें, तो शिवसेना के हर उम्मीदवार को 1-1.5 लाख से ज़्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ता।”
दीपक ने कहा कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को मुंबईकरों और मराठी मतदाताओं के वोट मिले हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए पाकिस्तान में एक साजिश रची गई थी। उन्होंने दावा किया, “पाकिस्तान में दो मंत्रियों ने मोदी की हार की वकालत की और अफसोस की बात है कि यहाँ कुछ लोगों ने उनकी बातों पर ध्यान दिया।” केसरकर ने आगे कहा कि विपक्ष ने दलित समुदायों को गुमराह करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने पर संविधान बदल दिया जाएगा। इसे देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मुस्लिमों ने हकीकत में लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के उम्मीदवारों के खिलाफ एकजुट होकर वोटिंग की।
पुणे में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के खिलाफ फतवा हुआ था जारी
मीडिया रिपोर्ट्स में 7 मई को दावा किया गया कि पुणे के इलाके में इस्लामी धर्मगुरुओं ने बीजेपी के खिलाफ फतवा जारी किया और मुस्लिम मतदाताओं से पुणे, शिरुर, बारामती और मावल निर्वाचन क्षेत्रों से क्रमशः कॉन्ग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) का प्रतिनिधित्व करने वाले उम्मीदवारों को ही वोट देने को कहा। इस्लामी नेताओं ने 2 मई को कोंडवा क्षेत्र में जमाती तंजीम पुणे द्वारा आयोजित ‘हज़रत मौलाना सज्जाद नोमानी की तकरीर’ कार्यक्रम में ये फतवा जारी किया।
Jamiyat-Ulema-E-Hind (Pune) has issued a fatwa to vote for Congress+Pawar+UT Indi alliance candidates in Maharashtra.
— Mr Sinha (Modi's family) (@MrSinha_) May 7, 2024
Dear Hindus, they're united… What are you waiting for? pic.twitter.com/b21lSrVZTa
इस कार्यक्रम का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया था। कार्यक्रम के आयोजकों में से एक व्यक्ति वीडियो में कॉन्ग्रेस और एनसीपी-शरद पवार गुट को सपोर्ट करता दिख रहा है। वो व्यक्ति वीडियो में बोलता है, “कुल जमाती तंजीम ने पुणे से कॉन्ग्रेस के कैंडिडेट रवींद्र धांगेकर, बारामती और शिरुर से एनसीपी-शरद पवार की कैंडिडेट सुप्रिया सुले और अमोल कोल्हे और मावल से शिवसेना (यूबीटी) के कैंडिडेट संजय वाघेरे को समर्थन देने का फैसला किया है। हम इन चार कैंडिडेट्स का समर्थन करते हैं और आप सभी मुस्लिमों से अपील है कि उन्हें जिताएँ, साथ ही परिवार के सदस्यों और दोस्तों से भी उनके लिए वोटिंग की अपील की।
ये घोषणा मौलाना सज्जाद नोमानी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में की गई, जिसमें ‘मौजूदा हालात और हमारी ज़िम्मेदारी’ सब्जेक्ट पर चर्चा की गई। अपने भाषण में नोमानी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के सभी लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने मुस्लिमों के मन में ये डर भी पैदा किया अगर मोदी सत्ता में आए, तो सभी मजार और मदरसे तोड़ दिए जाएँगे।
नोमानी ने सरकार के खिलाफ मुस्लिमों को भड़काते हुए कहा, “अगर आप अपने अधिकारों (वोट) का सही दिशा में इस्तेमाल नहीं करेंगे तो आपका देश ऐसा है कि रोहिंग्याओं को भूल जाएगा। इस देश के नेता के पास इस देश में वक्फ व्यवस्था को खत्म करने की योजना है। आप ही हमारे मदरसों, मस्जिदों और मजारों को बचाएँगे। मोदी की यह एक योजना पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए खतरा पैदा करने वाली है।”
शिवसेना-यूबीटी की मुंबई रैली में फहराए गए इस्लामिक झंडे
शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे ने कुछ साल पहले अपने पिता और शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित हिंदुत्व विचारधारा को छोड़ दिया था, जिसकी वजह से एकनाथ शिंदे और उनके साथियों ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था। तब से उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी मुस्लिम समुदाय से अपने समर्थन की उम्मीद करता है। शिवसेना-यूबीटी के नेता मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़के मुद्दों पर चुप रहे, या उन्हें अच्छे से ‘संभाल’ लिया।
एक उदाहरण साल 2020 के पालघर में साधुओं की लिंचिंग के बाद राज ठाकरे की धमकी से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर लाउडस्पीकर पर अजान बंद नहीं की गई, तो वो हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। माना जाता है कि ऐसी घटनाओं ने उद्धव ठाकरे के पक्ष में काम किया और शिवसेना के झंडे-निशान के बिना भी महाराष्ट्र में 9 सीटें जीत ली। आपको याद दिला दें कि 14 मई 2024 की रिपोर्ट में ऑपइंडिया ने बताया था कि कैसे शिवसेना-यूबीटी की मुंबई रैली में इस्लामिक झंडे फहराए गए थे। इस्लामिक झंडे लहराने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिसमें इस्लामिक झंडे सबसे ऊपर फहराए दिख रहे थे और मुस्लिम समर्थकों के साथ शिवसेना-यूबीटी के कार्यकर्ता पटाखे फोड़ रहे थे।
इस बीच, बीजेपी के नितेश राणे ने शिवसेना (यूबीटी) पार्टी की आलोचना की और कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव बालासाहेब ठाकरे को खुद को हिंदू नेता बालासाहेब ठाकरे का बेटा कहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि रैली में पाकिस्तानी झंडा फहराया गया था। हालाँकि बाद में ये साफ हो गया था कि उद्धव ठाकरे की रैली में पाकिस्तानी झंडा नहीं, बल्कि इस्लामिक झंडा फहराया गया था।
UBT च्या मिरवणुकित पाकिस्तान चा झेंडा !
— nitesh rane ( Modi ka Parivar ) (@NiteshNRane) May 14, 2024
आता काय PFI , SIMI, AL QAEDA चे लोक मातोश्रीत बिर्याणी घेऊन जातील…
हे दाऊद च मुंबईत स्मारक पण बांधतील..
आणि म्हणे हा मा.बाळासाहेबांचा “असली संतान” pic.twitter.com/JA7pJcUx1d
शिवसेना-यूबीटी की रैली में फहराए गए कम्युनिस्टों के लाल झंडे
शिवसेना-यूबीटी का समर्थन कम्युनिष्टों ने भी किया, जिन्होंने अप्रैल 2024 में उद्धव ठाकरे गुट की रैली में कम्युनिष्टों के लाल झंडे लहराए। इस बात से जुड़ी तस्वीरें भी इंटरनेट पर वायरल हो गई थी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व विचारधारा के अपमान का आरोप लगाया।
Red flags of communism has replaced saffron flags in Uddhav Thackeray’s rally pic.twitter.com/vmw4eLFyiA
— Rishi Bagree (@rishibagree) April 12, 2024
इस बीच, उद्धव ठाकरे ने घोषणा की कि वो पीएम मोदी का साथ कभी नहीं देंगे और न ही अपनी पार्टी का कभी बीजेपी में विलय करेंगे। ठाकरे ने पीएम मोदी को विश्वासघाती कहते हुए कहा कि वो लोकसभा का चुनाव हार जाएँगे। ठाकरे का ये बयान अजित पवार और एकनाथ शिंदे गुट के बीजेपी के साथ आने के बाद सामने आया था।
निष्कर्ष
मुंबई में मुस्लिम उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए उस जोश के साथ काम कर रहे हैं जो 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से नहीं देखा गया है जब आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल ने उन्हें किनारे कर दिया था। उस समय मुस्लिमों के असंतोष से घबराई कॉन्ग्रेस ने उन्हें गुजरात 2002 का डर दिखाया और कोशिश की कि उसके वोट न बँटे। हालाँकि मुस्लिमों ने कॉन्ग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी का साथ दिया और महाराष्ट्र में आम आदमी पार्टी के 48 उम्मीदवारों के पक्ष में लामबंद हो गए थे।
साल 2019 के लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस-एनसीपी गठबंधन को महाराष्ट्र के मुस्लिम वोट डिफ़ॉल्ट रूप से मिले। उनके पास कोई विकल्प नहीं था, कि वो बीजेपी के खिलाफ किसे वोट करें। लेकिन इस बार इंडी अलायंस सिर्फ़ मुस्लिमों के लिए ही नहीं बल्कि बीजेपी के विरोधियों के लिए भी एक स्पष्ट विकल्प बन गया। मानो मुस्लिमों और बीजेपी विरोधियों के पास कोई खास थीम हो, ‘कैंडिडेट तो मजबूरी है, इंडी अलायंस जरूरी है।’
मुस्लिम मतदाताओं ने कॉन्ग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) जैसी पार्टियों का भरपूर समर्थन किया, जबकि इंडी गठबंधन ने एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं उतारा था। इंडी गठबंधन न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे देश में संयुक्त रूप से अभियान शुरू करने में विफल रहा, फिर भी ‘धर्मनिरपेक्षता’ में विश्वास रखने वाले मतदाताओं ने बीजेपी और पीएम मोदी के विरोध की वजह से इंडी गठबंधन का समर्थन किया। आने वाले सालों में विशेष रूप से गैर-मुस्लिम, जो मुस्लिम वोट पाने वाले एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी) और कॉन्ग्रेस का समर्थन करते हैं, वे समझेंगे कि बीजेपी के खिलाफ उन्हें समर्थन कर उन्होंने कितनी बड़ी गलती की।
यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गई है। मूल लेख पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।